Phanishwar Nath Renu
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उड़ान भरने के लिए तैयार पुरैनिया, 'हीरामन की बैलगाड़ी' अब नहीं खाती बेमौके हिचकोले
- Saturday September 13, 2025
काला बुखार वाला पुरैनिया अब काफी बदल चुका है. अब पुरैनिया उड़ान भरने के लिए तैयार है. क्योंकि पूर्णिया राष्ट्रीय हवाई मार्ग के मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है.
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मुझे तुम मिले....महान कवि लेखक फणीश्वर नाथ मंडल रेणु की मनमोहक कविताएं
- Saturday April 5, 2025
Phanishwar Nath Renu ki kavitayen: फणीश्वर नाथ मंडल 'रेणु' की रचना वे मैला आंचल के लेखक हैं, जिसे प्रेमचंद के गोदान के बाद सबसे महत्वपूर्ण हिंदी उपन्यास माना जाता है. पढ़िए फणीश्वर नाथ मंडल 'रेणु' की दिल छू लेने वाली कविताएं.
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पहले प्यार में टूटा दिल, छोड़ दी पढ़ाई, लिखे उपन्यास, फिर इलाज के दौरान नर्स से हुआ प्यार, किए तीन विवाह, फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी
- Wednesday January 22, 2025
रेणु का लिखा उपन्यास मैला आंचल पहला आंचलिक उपन्यास माना जाता है. जिसे आज भी पढ़ें तो वो ताजा हालातों का सटीक चित्रण लगता है. रेणु के और भी बहुत से उपन्यास लोगों ने पसंद किए.
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बेहद जरूरी यह फिल्म फिर भी रह गई अधूरी, फोटो में नजर आ रही एक्ट्रेस को पहचानने में छूट जाएंगे पसीने
- Monday January 31, 2022
बॉलीवुड के सितारों की कई ऐसी फिल्में होती हैं जो कभी पूरी नहीं हो पाती हैं. इन फिल्मों की बड़ी जोर-शोर से तैयारी शुरू होती है, लेकिन फिर यह डिब्बे में बंद रह जाती हैं.
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कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु के घर चोरी, 'मैला आंचल' समेत कई किताबों का पहला संस्करण ले गए चोर
- Thursday October 1, 2020
चोरों ने उनकी कई सारी साहित्य विरासत और पांडुलिपियां चुराकर ले गए .जिसमें रेणु जी के परती परिकथा , मैला आंचल और सत्तर के दशक में चुनाव में हार के बाद अधूरी लिखी काग़ज़ की नांव शामिल हैं . परिवार के सदस्यों की माने तो इसके अलावा कई और किताबें, दुर्लभ चिट्टियां और उनके विधायक रहे पुत्र पद्म प्रयाग रेणु के अहम काग़ज़ात भी शामिल हैं.
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किसानी के संग कलम- स्याही करने वाले फणीश्वर नाथ रेणु
- Sunday March 5, 2017
- Girindranath Jha
आज (4 मार्च) मेरे प्रिय लेखक फणीश्वर नाथ रेणु का जन्मदिन है. रेणु अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन खेत में जब भी फसल की हरियाली देखता हूं तो लगता है कि रेणु हैं, हर खेत के मोड़ पे. उन्हें हम सब आंचलिक कथाकार कहते हैं लेकिन सच यह है कि वे उस फसल की तरह बिखरे हैं जिसमें गांव-शहर सब कुछ समाया हुआ है.
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