Patanjali Ads Case
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रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को बड़ी राहत, SC ने भ्रामक विज्ञापन मामले में माफीनामा किया मंजूर
- Tuesday August 13, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने आज भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु स्वामी रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना का मामला बंद कर दिया है.
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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस : सुप्रीम कोर्ट आईएमए अध्यक्ष के 'माफीनामे' से असंतुष्ट, कही ये बात
- Tuesday August 6, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने अशोकन को कहा, "उन सभी अखबारों में, जिनमें वह साक्षात्कार छपा था, आपको अपने पैसे से माफीनामा छपवाना होगा न कि आईएमए के पैसे से."
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"आप लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे": पतंजलि केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
- Wednesday April 10, 2024
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि (Patanjali) के संस्थापकों रामदेव (Ramdev) और बालकृष्ण द्वारा दायर नया माफीनामा खारिज कर दिया है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्ला की पीठ ने इस मामले में केंद्र के रवैये पर असंतोष भी जताया. कोर्ट ने कंपनी के संस्थापकों के साथ "हाथ मिलाकर" चलने के लिए राज्य के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई.
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"नतीजा भुगतने को तैयार रहें...", SC ने ठुकराया रामदेव, बालकृष्ण का माफ़ीनामा
- Wednesday April 10, 2024
न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, "जब तक मामला अदालत में नहीं आया, अवमाननाकर्ताओं ने हमें हलफनामा भेजना उचित नहीं समझा. उन्होंने इसे पहले मीडिया को भेजा, कल शाम 7.30 बजे तक यह हमारे लिए अपलोड नहीं किया गया था, वे स्पष्ट रूप से प्रचार में विश्वास करते हैं." .
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भ्रामक विज्ञापन मामला: योग गुरु रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण की आज सुप्रीम कोर्ट में पेशी
- Tuesday April 2, 2024
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करते हुए व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था.
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भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी
- Thursday March 21, 2024
Patanjal Misleading Ads Case: न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कंपनी और बालकृष्ण को पहले जारी किए गए अदालत के नोटिसों का जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी. उन्हें नोटिस जारी कर पूछा गया था कि अदालत को दिए गए वचन का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए.
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