India | Reported by: रवीश रंजन शुक्ला |रविवार जनवरी 27, 2019 08:37 PM IST केके मोहम्मद बताते हैं कि नब्बे के दशक में जब पहली बार वो बटेश्वरा मंदिर पहुंचे तो मंदिर के बचे अवशेष पर लंबी मूंछ और हाथ में बंदूक लिए एक शख्श मिला. उसे जब पता चला कि वो इन मंदिरों का जीर्णोद्वार करने आए तो खुश हुआ. बाद में लोगों ने बताया कि ये दुर्दांत डाकू निर्भय गुज्जर था. डाकुओं और खनन माफियाओं के चलते मंदिर के जीर्णोद्वार का काम कोई करने को तैयार न था लेकिन केके मोहम्मद को अकेले काम करता देख लोगों का हौसला बढ़ा फिर इसका काम शुरू हुआ.