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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? केंद्र ने कहा- धारा 377 का मसला हम सुप्रीम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं
- Wednesday July 11, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
समलैंगिकता अपराध है या नहीं, इसे तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. मंगलवार से जारी सुनवाई में कई तरह की बातें आने के बाद बुधवा को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ से कहा कि समलैंगिकता संबंधी धारा 377 की संवैधानिकता के मसले को हम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं.
- ndtv.in
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर आज से सुनवाई, 10 बड़ी बातें
- Tuesday July 10, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
समलैंगिगता को अपराध मानने वाली IPC धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ आज मंगलवार यानी 10 जुलाई मंगलवार से सुनवाई शुरू करेगी. इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चार हफ्ते के लिए सुनवाई टालने के आग्रह को ठुकरा दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सुनवाई टाली नहीं जाएगी. बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को दरकिनार करते हुए समलैंगिक यौन संबंधों को आईपीसी की धारा 377 के तहत ‘अवैध’ घोषित कर दिया था.
- ndtv.in
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को करेगा सुनवाई, केंद्र की सुनवाई टालने संबंधी याचिका ठुकराई
- Monday July 9, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
समलैंगिगता को अपराध मानने वाली IPC धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ 10 जुलाई यानी मंगलवार से सुनवाई शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चार हफ्ते के लिए सुनवाई टालने के आग्रह को ठुकरा दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सुनवाई टाली नहीं जाएगी. बता दें कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मामले में सरकार को हलफनामा दाखिल करना है जो इस केस में महत्वपूर्ण हो सकता है. इसलिए केस को चार हफ्ते के लिए टाला जाए. CJI ने केंद्र से कहा कि मंगलवार को कल याचिकाकर्ता बहस करेंगे. केंद्र उसके बाद कर सकता है.
- ndtv.in
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ 10 जुलाई से करेगी सुनवाई
- Friday July 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
समलैंगिगता को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ 10 जुलाई से सुनवाई शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंग्टन आर नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांग चुका है.
- ndtv.in
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सेना के 12,000 असैन्य सहायकों की मदद के लिए आगे आया उच्चतम न्यायालय
- Tuesday January 3, 2017
- Reported by: भाषा
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह जोखिम भरे इलाकों में सेना के लिए काम करने वाले सहायकों (पोर्टर) को बेहतर भुगतान, चिकित्सा सुविधा, बढ़ी हुई आर्थिक सहायता और सेवा से अलग होने की स्थिति में 50,000 रुपये की प्रस्तावित राशि से अधिक का अनुदान देने के लिए एक योजना तैयार करे.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? केंद्र ने कहा- धारा 377 का मसला हम सुप्रीम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं
- Wednesday July 11, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
समलैंगिकता अपराध है या नहीं, इसे तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. मंगलवार से जारी सुनवाई में कई तरह की बातें आने के बाद बुधवा को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ से कहा कि समलैंगिकता संबंधी धारा 377 की संवैधानिकता के मसले को हम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर आज से सुनवाई, 10 बड़ी बातें
- Tuesday July 10, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
समलैंगिगता को अपराध मानने वाली IPC धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ आज मंगलवार यानी 10 जुलाई मंगलवार से सुनवाई शुरू करेगी. इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चार हफ्ते के लिए सुनवाई टालने के आग्रह को ठुकरा दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सुनवाई टाली नहीं जाएगी. बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को दरकिनार करते हुए समलैंगिक यौन संबंधों को आईपीसी की धारा 377 के तहत ‘अवैध’ घोषित कर दिया था.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को करेगा सुनवाई, केंद्र की सुनवाई टालने संबंधी याचिका ठुकराई
- Monday July 9, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
समलैंगिगता को अपराध मानने वाली IPC धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ 10 जुलाई यानी मंगलवार से सुनवाई शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चार हफ्ते के लिए सुनवाई टालने के आग्रह को ठुकरा दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सुनवाई टाली नहीं जाएगी. बता दें कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मामले में सरकार को हलफनामा दाखिल करना है जो इस केस में महत्वपूर्ण हो सकता है. इसलिए केस को चार हफ्ते के लिए टाला जाए. CJI ने केंद्र से कहा कि मंगलवार को कल याचिकाकर्ता बहस करेंगे. केंद्र उसके बाद कर सकता है.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ 10 जुलाई से करेगी सुनवाई
- Friday July 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
समलैंगिगता को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ 10 जुलाई से सुनवाई शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंग्टन आर नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांग चुका है.
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सेना के 12,000 असैन्य सहायकों की मदद के लिए आगे आया उच्चतम न्यायालय
- Tuesday January 3, 2017
- Reported by: भाषा
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह जोखिम भरे इलाकों में सेना के लिए काम करने वाले सहायकों (पोर्टर) को बेहतर भुगतान, चिकित्सा सुविधा, बढ़ी हुई आर्थिक सहायता और सेवा से अलग होने की स्थिति में 50,000 रुपये की प्रस्तावित राशि से अधिक का अनुदान देने के लिए एक योजना तैयार करे.
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