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1949 में छपा था ये हिंदी उपन्यास, अभी तक आ चुके हैं 82 संस्करण, प्रेम कहानी ऐसी दिल हो जाएगा छलनी- बन चुका है सीरियल
- Thursday September 12, 2024
- Written by: नरेंद्र सैनी
हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है. हिंदी दिवस 2024 के मौके पर आपके लिए एक ऐसी किताब लेकर आए हैं जिसका हिंदी साहित्य में सिर्फ नाम ही काफी है. हिंदी साहित्य में कई ऐसे उपन्यास रहे हैं जो कालजयी रहे हैं. ऐसा ही एक उपन्यास के बारे में हम आपको बता रहे हैं.
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मन्नू भंडारी: परंपरा की देह और आधुनिकता की आत्मा
- Monday November 15, 2021
- प्रियदर्शन
मन्नू भंडारी का उपन्यास 'आपका बंटी' मैंने लगभग छलछलाती आंखों से पढ़ा था. ये मेरे किशोर दिनों की बात है. मां-पिता के टकराव के बीच फंसे बंटी की कथा बहुत सारे लोगों को रुलाने वाली थी. बाद के वर्षों में कई बार यह पढ़ने को मिला कि इस उपन्यास ने कई घरों को टूटने से बचाया, दंपतियों के बीच के तलाक़ स्थगित कराए.
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प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी का 90 साल की उम्र में निधन
- Monday November 15, 2021
- Edited by: राहुल चौहान
उनका उपन्यास आपका बंटी हिंदी में सबसे ज़्यादा बिकने वाले साहित्यिक उपन्यासों में रहा. महाभोज भी काफ़ी चर्चित हुआ. उनकी कहानी यही सच है पर बनी फिल्म 'रजनीगंधा' हिंदी की अविस्मरणीय फिल्मों में है.
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हिंदी का मुकाबला अंग्रेजी से नहीं, खुद हिंदी से ही है: प्रभात रंजन
- Sunday April 26, 2020
- Reported by: शहादत
आज की हिंदी नई और आत्मविश्वास से भरी हुई दिखाई देती है. पहले अधिकतर लेखक हिंदी विभागों से निकलते थे, आज अलग-अलग पृष्ठभूमियों के लेखक बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं. मुझे यह अधिक उत्साहवर्धक दिखता है कि आज हिंदी किताबों को पढ़ना शर्म की बात नहीं समझी जाती, हिंदी के लेखकों को बहुत जल्दी पहचान मिल जाती है. समाज के अलग अलग तबकों में हिंदी लेखकों को लेकर आकर्षण बढ़ गया है. यह देखकर अच्छा तो लगता ही है. लेकिन एक बात है कि अधिकतर लेखक आज बाज़ार को ध्यान में रखकर लिख रहे हैं, बिक्री के मानकों पर खरा उतरने के लिए लिख रहे हैं.
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पद्मश्री से सम्मानित और ‘पहला गिरमिटिया’ के लेखक गिरिराज किशोर का निधन
- Sunday February 9, 2020
- Reported by: भाषा, Edited by: शहादत
गिरिराज का जन्म आठ जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फररनगर में हुआ था. उनके पिता ज़मींदार थे. गिरिराज ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन किया. वह जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर सेवारत रहे तथा दिसंबर 1975 से 1983 तक आईआईटी कानपुर में कुलसचिव पद की जिम्मेदारी संभाली. राष्ट्रपति द्वारा 23 मार्च 2007 में साहित्य और शिक्षा के लिए गिरिराज किशोर को पद्मश्री पुरस्कार से विभूषित किया गया.
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साल 2019: हिंदी साहित्य में इन 10 किताबों का रहा जलवा, रही सबसे ज्यादा लोकप्रिय और चर्चित
- Wednesday January 1, 2020
- Written by: शहादत
साल भर किन किताबों की सोशल मीडिया पर चर्चा हुई, समीक्षाएं प्रकाशित हुई, लेकिन ज़ाहिर है कि हज़ारों किताबों में कुछ किताबों को ही चुना जा सकता था. इसलिए एक आधार यह भी रहा कि किताबें अलग-अलग विधाओं की हों, जैसे इस साल हिंदी में कम से कम चार जीवनियां ऐसी आई, जो हिंदी के लिए नई बात रही. इसलिए इस विधा को भी रेखांकित किया जाना ज़रूरी था.
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नहीं रहीं मशहूर लेखिका कृष्णा सोबती
- Saturday January 26, 2019
- रवीश कुमार
एक किताब होती तो आपके लिए भी आसान होता लेकिन जब कोई लेखक रचते-रचते संसार में से संसार खड़ा कर देता है तब उस लेखक के पाठक होने का काम भी मुश्किल हो जाता है. आप एक किताब पढ़ कर उसके बारे में नहीं जान सकते हैं. जो लेखक लिखते लिखते समाज में अपने लिए जगह बनाता है, अंत में उसी के लिए समाज में जगह नहीं बचती है.
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कृष्णा सोबती बहुत याद आएगा आपका जादुई व्यक्तित्व और बेबाकपन
- Friday January 25, 2019
- Written by: नरेंद्र सैनी
हिंदी साहित्य (Hindi Literature) में कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) एक अलग ही मुकाम रखती थीं और उनका व्यक्तित्व उनकी किताबों जितना ही अनोखा था. 1980 में कृष्णा सोबती को उनकी किताब 'जिंदगीनामा' के लिए साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi Award) से नवाजा गया था तो 2017 में हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ज्ञानपीठ (Jnanpith) पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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हम सबको सींचने वाले नामवर अस्पताल में हैं
- Thursday January 17, 2019
- प्रियदर्शन
नामवर सिंह अस्पताल में हैं. 92 बरस की उम्र में उन्हें सिर पर चोट लगी है. अगर प्रार्थना जैसी कोई चीज़ होती है तो हिंदी के संसार को उनके लिए प्रार्थना करनी चाहिए. हमारी पीढ़ी का दुर्भाग्य है कि हमने उन्हें उनके उत्तरार्द्ध में देखा- उस उम्र में जब उनकी तेजस्विता का सूर्य ढलान पर था.
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साहित्य अकादमी को हिंदी प्रकाशन के लिए मिला FICCI पुरस्कार
- Monday August 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने साहित्य अकादमी को अपना 'बुक ऑफ द ईयर' प्रकाशन पुरस्कार प्रदान किया है. यह पुरस्कार साहित्य अकादमी के शीर्षक 'नागफनी वन का इतिहास' के लिए दिया गया है.
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त्रिलोचन जन्म शताब्दी के मौके पर दो दिवसीय संगोष्ठी...
- Sunday August 20, 2017
- Reported by: IANS, Edited by: अनिता शर्मा
सादगी और सहजता के साथ स्पष्ट अभिव्यक्ति उनकी रचनाशीलता की विशेषता रही है. वे जितने अपनी धरती, लोक संस्कृति और परंपरा के जानकार थे, उतने ही शास्त्र के ज्ञाता भी थे.
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बच्चों के लिए हिन्दी में लिखने को दूसरे दर्जे का काम समझा जाता है : स्वयं प्रकाश
- Tuesday June 27, 2017
- भाषा
बाल साहित्य के लिए इस बार साहित्य अकादमी का पुरस्कार पाने वाले वरिष्ठ कहानीकार स्वयं प्रकाश का कहना है कि हिन्दी में बच्चों के लिए लिखने को दूसरे दर्जे का काम समझा जाता है.
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लेखक का कोई धर्म नहीं होता: नासिरा शर्मा
- Friday January 20, 2017
- Edited by: अनिता शर्मा
1948 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जन्मीं नासिरा शर्मा उपन्यास 'पारिजात' के लिए साहित्य अकादमी पुस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी 10 कहानी संकलन, 6 उपन्यास और 3 निबंध संग्रह प्रकशित हैं. वह हिंदी के अलावा फारसी, अंग्रेजी, उर्दू और पोश्तो भाषाओं पर भी अच्छी पकड़ रखती हैं.
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हिन्दी कवि रामदरश मिश्र को 'आग की हंसी' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
- Friday December 18, 2015
- Edited by: Bhasha
हिन्दी में रामदरश मिश्र, उर्दू में शमीम तारिक और अंग्रेजी में साइरस मिस्त्री सहित 23 साहित्यकारों को इस साल देश का प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे जाने का ऐलान किया गया है।
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1949 में छपा था ये हिंदी उपन्यास, अभी तक आ चुके हैं 82 संस्करण, प्रेम कहानी ऐसी दिल हो जाएगा छलनी- बन चुका है सीरियल
- Thursday September 12, 2024
- Written by: नरेंद्र सैनी
हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है. हिंदी दिवस 2024 के मौके पर आपके लिए एक ऐसी किताब लेकर आए हैं जिसका हिंदी साहित्य में सिर्फ नाम ही काफी है. हिंदी साहित्य में कई ऐसे उपन्यास रहे हैं जो कालजयी रहे हैं. ऐसा ही एक उपन्यास के बारे में हम आपको बता रहे हैं.
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मन्नू भंडारी: परंपरा की देह और आधुनिकता की आत्मा
- Monday November 15, 2021
- प्रियदर्शन
मन्नू भंडारी का उपन्यास 'आपका बंटी' मैंने लगभग छलछलाती आंखों से पढ़ा था. ये मेरे किशोर दिनों की बात है. मां-पिता के टकराव के बीच फंसे बंटी की कथा बहुत सारे लोगों को रुलाने वाली थी. बाद के वर्षों में कई बार यह पढ़ने को मिला कि इस उपन्यास ने कई घरों को टूटने से बचाया, दंपतियों के बीच के तलाक़ स्थगित कराए.
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प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी का 90 साल की उम्र में निधन
- Monday November 15, 2021
- Edited by: राहुल चौहान
उनका उपन्यास आपका बंटी हिंदी में सबसे ज़्यादा बिकने वाले साहित्यिक उपन्यासों में रहा. महाभोज भी काफ़ी चर्चित हुआ. उनकी कहानी यही सच है पर बनी फिल्म 'रजनीगंधा' हिंदी की अविस्मरणीय फिल्मों में है.
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हिंदी का मुकाबला अंग्रेजी से नहीं, खुद हिंदी से ही है: प्रभात रंजन
- Sunday April 26, 2020
- Reported by: शहादत
आज की हिंदी नई और आत्मविश्वास से भरी हुई दिखाई देती है. पहले अधिकतर लेखक हिंदी विभागों से निकलते थे, आज अलग-अलग पृष्ठभूमियों के लेखक बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं. मुझे यह अधिक उत्साहवर्धक दिखता है कि आज हिंदी किताबों को पढ़ना शर्म की बात नहीं समझी जाती, हिंदी के लेखकों को बहुत जल्दी पहचान मिल जाती है. समाज के अलग अलग तबकों में हिंदी लेखकों को लेकर आकर्षण बढ़ गया है. यह देखकर अच्छा तो लगता ही है. लेकिन एक बात है कि अधिकतर लेखक आज बाज़ार को ध्यान में रखकर लिख रहे हैं, बिक्री के मानकों पर खरा उतरने के लिए लिख रहे हैं.
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पद्मश्री से सम्मानित और ‘पहला गिरमिटिया’ के लेखक गिरिराज किशोर का निधन
- Sunday February 9, 2020
- Reported by: भाषा, Edited by: शहादत
गिरिराज का जन्म आठ जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फररनगर में हुआ था. उनके पिता ज़मींदार थे. गिरिराज ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन किया. वह जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर सेवारत रहे तथा दिसंबर 1975 से 1983 तक आईआईटी कानपुर में कुलसचिव पद की जिम्मेदारी संभाली. राष्ट्रपति द्वारा 23 मार्च 2007 में साहित्य और शिक्षा के लिए गिरिराज किशोर को पद्मश्री पुरस्कार से विभूषित किया गया.
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साल 2019: हिंदी साहित्य में इन 10 किताबों का रहा जलवा, रही सबसे ज्यादा लोकप्रिय और चर्चित
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साल भर किन किताबों की सोशल मीडिया पर चर्चा हुई, समीक्षाएं प्रकाशित हुई, लेकिन ज़ाहिर है कि हज़ारों किताबों में कुछ किताबों को ही चुना जा सकता था. इसलिए एक आधार यह भी रहा कि किताबें अलग-अलग विधाओं की हों, जैसे इस साल हिंदी में कम से कम चार जीवनियां ऐसी आई, जो हिंदी के लिए नई बात रही. इसलिए इस विधा को भी रेखांकित किया जाना ज़रूरी था.
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नहीं रहीं मशहूर लेखिका कृष्णा सोबती
- Saturday January 26, 2019
- रवीश कुमार
एक किताब होती तो आपके लिए भी आसान होता लेकिन जब कोई लेखक रचते-रचते संसार में से संसार खड़ा कर देता है तब उस लेखक के पाठक होने का काम भी मुश्किल हो जाता है. आप एक किताब पढ़ कर उसके बारे में नहीं जान सकते हैं. जो लेखक लिखते लिखते समाज में अपने लिए जगह बनाता है, अंत में उसी के लिए समाज में जगह नहीं बचती है.
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कृष्णा सोबती बहुत याद आएगा आपका जादुई व्यक्तित्व और बेबाकपन
- Friday January 25, 2019
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हिंदी साहित्य (Hindi Literature) में कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) एक अलग ही मुकाम रखती थीं और उनका व्यक्तित्व उनकी किताबों जितना ही अनोखा था. 1980 में कृष्णा सोबती को उनकी किताब 'जिंदगीनामा' के लिए साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi Award) से नवाजा गया था तो 2017 में हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ज्ञानपीठ (Jnanpith) पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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हम सबको सींचने वाले नामवर अस्पताल में हैं
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नामवर सिंह अस्पताल में हैं. 92 बरस की उम्र में उन्हें सिर पर चोट लगी है. अगर प्रार्थना जैसी कोई चीज़ होती है तो हिंदी के संसार को उनके लिए प्रार्थना करनी चाहिए. हमारी पीढ़ी का दुर्भाग्य है कि हमने उन्हें उनके उत्तरार्द्ध में देखा- उस उम्र में जब उनकी तेजस्विता का सूर्य ढलान पर था.
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साहित्य अकादमी को हिंदी प्रकाशन के लिए मिला FICCI पुरस्कार
- Monday August 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने साहित्य अकादमी को अपना 'बुक ऑफ द ईयर' प्रकाशन पुरस्कार प्रदान किया है. यह पुरस्कार साहित्य अकादमी के शीर्षक 'नागफनी वन का इतिहास' के लिए दिया गया है.
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त्रिलोचन जन्म शताब्दी के मौके पर दो दिवसीय संगोष्ठी...
- Sunday August 20, 2017
- Reported by: IANS, Edited by: अनिता शर्मा
सादगी और सहजता के साथ स्पष्ट अभिव्यक्ति उनकी रचनाशीलता की विशेषता रही है. वे जितने अपनी धरती, लोक संस्कृति और परंपरा के जानकार थे, उतने ही शास्त्र के ज्ञाता भी थे.
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बच्चों के लिए हिन्दी में लिखने को दूसरे दर्जे का काम समझा जाता है : स्वयं प्रकाश
- Tuesday June 27, 2017
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बाल साहित्य के लिए इस बार साहित्य अकादमी का पुरस्कार पाने वाले वरिष्ठ कहानीकार स्वयं प्रकाश का कहना है कि हिन्दी में बच्चों के लिए लिखने को दूसरे दर्जे का काम समझा जाता है.
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लेखक का कोई धर्म नहीं होता: नासिरा शर्मा
- Friday January 20, 2017
- Edited by: अनिता शर्मा
1948 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जन्मीं नासिरा शर्मा उपन्यास 'पारिजात' के लिए साहित्य अकादमी पुस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी 10 कहानी संकलन, 6 उपन्यास और 3 निबंध संग्रह प्रकशित हैं. वह हिंदी के अलावा फारसी, अंग्रेजी, उर्दू और पोश्तो भाषाओं पर भी अच्छी पकड़ रखती हैं.
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हिन्दी कवि रामदरश मिश्र को 'आग की हंसी' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
- Friday December 18, 2015
- Edited by: Bhasha
हिन्दी में रामदरश मिश्र, उर्दू में शमीम तारिक और अंग्रेजी में साइरस मिस्त्री सहित 23 साहित्यकारों को इस साल देश का प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे जाने का ऐलान किया गया है।
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