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1949 में छपा था ये हिंदी उपन्यास, अभी तक आ चुके हैं 82 संस्करण, प्रेम कहानी ऐसी दिल हो जाएगा छलनी- बन चुका है सीरियल

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर के दिन मनाया जाता है. आप जानते हैं हिंदी साहित्य का ऐसा भी उपन्यास है जो पिछले 75 साल से बेस्टसेलर बना हुआ है और इसके अभी तक 82 संस्कारण आ चुके हैं और इस पर सीरियल भी बन चुका है.

1949 में छपा था ये हिंदी उपन्यास, अभी तक आ चुके हैं 82 संस्करण, प्रेम कहानी ऐसी दिल हो जाएगा छलनी- बन चुका है सीरियल
हिंदी साहित्य का बेस्टसेलर उपन्यास है गुनाहों का देवता
नई दिल्ली:

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है. हिंदी दिवस 2024 के मौके पर आपके लिए एक ऐसी किताब लेकर आए हैं जिसका हिंदी साहित्य में सिर्फ नाम ही काफी है. हिंदी साहित्य में कई ऐसे उपन्यास रहे हैं जो कालजयी रहे हैं. ऐसा ही एक उपन्यास गुनाहों का देवता है. सरल भाषा में धरमवीर भारती ने इस उपन्यास को लिखा है और इसकी दुखद प्रेम कहानी का ऐसा जादू चला कि 1949 में पहली बार छपे इस उपन्यास के अभी तक 82 संस्करण आ चुके हैं और इसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है. इस उपन्यास की गहराई को इस एक पंक्ति से समझा जा सकता है, ‘वह स्तब्ध! जैसे पत्थर बन गई हो. आंख में आंसू जम गए. पलकों में निगाहें जम गईं. होठों में आवाजें जम गयीं और सीने में सिसकियां जम गयीं.'

धरमवीर भारती के इस उपन्यास पर लाइफ ओके पर 2015 में सीरियल भी बन चुका है. जो एक था चंदर एक थी सुधा नाम से था. इसका प्रीमियर 21 सितंबर 2015 में हुआ था. इसके 20 एपिसोड एयर हुए थे और इसमें राहिल आजम और उमंग जैन लीड रोल में नजर आए थे. इसके प्रोड्यूसर अश्विनी धीर थे.

गुनाहों का देवता' हिंदी साहित्य के लेखक धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया एक प्रतिष्ठित उपन्यास है. यह उपन्यास 1949 में प्रकाशित हुआ था और आज भी इसकी लोकप्रियता बनी हुई है. उपन्यास एक तरफ तो प्रेम कथा है, लेकिन इसमें नैतिकता, बलिदान, और जीवन की जटिलताओं के विषयों को भी गहराई से छुआ गया है. 'गुनाहों का देवता' की कहानी चार मुख्य पात्रो चंदर, सुधा, बिनती, और पम्मी के इर्द-गिर्द घूमती है. चंदर एक सरल और आदर्शवादी युवक है, जो अपने प्रोफेसर के परिवार के काफी करीब है. सुधा, प्रोफेसर की बेटी, और चंदर एक-दूसरे से बहुत गहरा लगाव रखते हैं. हालांकि, दोनों के बीच का रिश्ता एक अनकही प्रेम कहानी बनकर रह जाता है. चंदर को जीवन में नैतिकता और आदर्शों के बीच के द्वंद्व से गुजरना पड़ता है, जिससे उसकी और सुधा की भावनाएं और उनके जीवन के फैसले प्रभावित होते हैं.

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