Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार मई 25, 2018 09:47 AM IST "भारत में मेडिकल शिक्षा कुछ स्थायी मिथकों से घिर गई है, जिन्हें तोड़ना सबसे ज़रूरी है. ख़ानदानी और कुलीन परिवारों के कब्ज़े से इसे निकालने के लिए व्यापक सामाजिक समूह को भी मेडिकल शिक्षा के दायरे में लाना पड़ेगा. इन लोगों ने जान-बूझकर यह बात लोगों के दिमाग में बिठा दी है कि डॉक्टर होने के लिए दैवीय गुणों से लैस कुशाग्र होना बहुत ज़रूरी है. इसके बिना काबिल डॉक्टर नहीं हुआ जा सकता, जबकि काबिल डॉक्टर का होना इस बात पर निर्भर करता है कि आप में सेवाभाव है या नहीं. यही असली मेरिट है.