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खाना खिलाने से लेकर अंतिम संस्कार तक, कोविड प्रभावितों की मदद कर रहे हैदराबाद के 10 Techies
- Tuesday June 22, 2021
- Reported by: उमा सुधीर
हैदराबाद के इन 10 तकनीकी विशेषज्ञों के लिए पिछले 15 माह का समय, घटनाप्रधान और सार्थक रहा है, पिछले साल मार्च में लॉकडाउन के दौरान ये भूखे प्रवासियों और जरूरतमंदों को भोजन कराने के मकसद से साथ आए थे. जब खुद के संसाधन पर्याप्त साबित नहीं हुए तो इन्होंने ऐसे लोगों से ऑनलाइन संपर्क साधा जो जरूरतमंदों की मदद तो करना चाहते थे लेकिन पता नहीं था कि यह किस तरह की जा सकती है.
- ndtv.in
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Lockdown: जरूरतमंदों की मदद के लिए इन दो भाईयों ने अपनी जमीन बेच डाली
- Saturday April 25, 2020
- Reported by: नेहाल किदवई, Edited by: सूर्यकांत पाठक
Karnataka Lockdown: कर्नाटक के कोलार के दो मुस्लिम भाईयों ने अपनी ज़मीन बेचकर 25 लाख रुपये इकट्ठे किए ताकि लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद हो सके. बचपन में मां-बाप को खो चुके दोनों भाईयों के मुताबिक जब वे 5 साल की उम्र में कोलार में रहने आए तो हिंदू, सिख और मुसलमान, सभी ने सहारा दिया. उन्हें खाना खिलाया, जब तक वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो गए. ऐसे में इस मुश्किल दौर में जरूरतमंदों की मदद करने के मकसद से उन्होंने अपनी ज़मीन बेच दी.
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खाना खिलाने से लेकर अंतिम संस्कार तक, कोविड प्रभावितों की मदद कर रहे हैदराबाद के 10 Techies
- Tuesday June 22, 2021
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हैदराबाद के इन 10 तकनीकी विशेषज्ञों के लिए पिछले 15 माह का समय, घटनाप्रधान और सार्थक रहा है, पिछले साल मार्च में लॉकडाउन के दौरान ये भूखे प्रवासियों और जरूरतमंदों को भोजन कराने के मकसद से साथ आए थे. जब खुद के संसाधन पर्याप्त साबित नहीं हुए तो इन्होंने ऐसे लोगों से ऑनलाइन संपर्क साधा जो जरूरतमंदों की मदद तो करना चाहते थे लेकिन पता नहीं था कि यह किस तरह की जा सकती है.
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Lockdown: जरूरतमंदों की मदद के लिए इन दो भाईयों ने अपनी जमीन बेच डाली
- Saturday April 25, 2020
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Karnataka Lockdown: कर्नाटक के कोलार के दो मुस्लिम भाईयों ने अपनी ज़मीन बेचकर 25 लाख रुपये इकट्ठे किए ताकि लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद हो सके. बचपन में मां-बाप को खो चुके दोनों भाईयों के मुताबिक जब वे 5 साल की उम्र में कोलार में रहने आए तो हिंदू, सिख और मुसलमान, सभी ने सहारा दिया. उन्हें खाना खिलाया, जब तक वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो गए. ऐसे में इस मुश्किल दौर में जरूरतमंदों की मदद करने के मकसद से उन्होंने अपनी ज़मीन बेच दी.
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