Adultery
- सब
- ख़बरें
- वीडियो
-
अपने ही पतियों की जान की दुश्मन क्यों बन जाती हैं पत्नियां? आपके होश उड़ा देगी यह रिपोर्ट
- Sunday September 29, 2024
- Reported by: Ramraje Shinde, Edited by: अभिषेक पारीक
गुरुग्राम स्थित एकम न्याय फाउंडेशन (Ekam Nyay Foundation) ने पुरुषों की हत्या और आत्महत्या को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट के अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
- ndtv.in
-
होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी को अपराध के दायरे में वापस लाना चाहता था पैनल, PM मोदी नहीं हुए सहमत
- Monday December 11, 2023
- Reported by: सुनील प्रभु, Edited by: अंजलि कर्मकार
संसद की स्थायी समिति (कमिटी) की एक अन्य सिफारिश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत गैर-सहमति वाले कामों को दंडित करने की थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन कमिटी ने इसे नए विधेयक में बनाए रखने के लिए कहा है.
- ndtv.in
-
"एडल्टरी, होमोसेक्सुअलिटी फिर हों अपराध के दायरे में" : पैनल की केंद्र से सिफारिश, अब SC के फैसले पर नजर
- Tuesday November 14, 2023
- Reported by: सुनील प्रभु, Edited by: अंजलि कर्मकार
गृह मामलों की स्थायी समिति की रिपोर्ट चाहती है कि एडल्टरी कानून को थोड़ा बदलकर क्राइम के दायरे में वापस लाया जाए. इसका मतलब है कि पुरुष और महिला दोनों को सजा का सामना करना पड़ेगा.
- ndtv.in
-
सशस्त्र बलों में व्याभिचार पर आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई जारी रहेगी : रक्षा मंत्रालय की अर्जी पर SC का स्पष्टीकरण
- Tuesday January 31, 2023
- Reported by: आशीष कुमार भार्गव, Edited by: आनंद नायक
सशस्त्र बलों में व्याभिचार पर आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई जारी रहेगी. व्यभिचार के लिए सशस्त्र कर्मियों/ अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, इसके लिए सशस्त्र बल के जवानों का कोर्ट मार्शल किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय की अर्जी पर यह स्पष्टीकरण दिया है.
- ndtv.in
-
"नैतिक अधमता के कृत्यों का वर्दीधारी पेशे...", व्याभिचार पर सशस्त्र बलों को बाहर रखने की याचिका पर सुनवाई में रक्षा मंत्रालय
- Tuesday January 31, 2023
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: तिलकराज
केंद्र ने एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें 2018 के फैसले में आईपीसी की धारा 497 के तहत व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिसमें कहा गया था कि यह सशस्त्र बलों पर लागू नहीं होना चाहिए.
- ndtv.in
-
Relationship Tips: इन 5 वजहों से पत्नी करती है पति पर शक, Husbands समय रहते सुधार लें अपनी गलतियां
- Wednesday July 6, 2022
- Written by: Seema Thakur
Relationship Tips For Husbands: पति अक्सर जाने-अंजाने ऐसे कई काम कर देते हैं जिनकी वजह से पत्नी ना चाहते हुए भी उनपर शक करने लगती है. अपने रिश्ते को बिगाड़ने वाली ये गलतियां आप ना करें.
- ndtv.in
-
'आर्म्ड फोर्सेज में व्यभिचार को क्राइम ही रहने दें', सुप्रीम कोर्ट से केंद्र की गुहार- 3 जजों ने CJI को भेजा केस
- Wednesday January 13, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण
158 साल पुराने व्यभिचार-रोधी कानून को रद्द करते हुए तब सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि व्यभिचार अपराध नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि इसे तलाक का आधार माना जा सकता है लेकिन यह कानून महिला के जीने के अधिकार पर असर डालता है.
- ndtv.in
-
क्योंकि संपत्ति नहीं है स्त्री
- Thursday September 27, 2018
- प्रियदर्शन
व्यभिचार कानून को रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला बस इतना नहीं है कि स्त्री और पुरुष के विवाहेतर संबंधों को अब जुर्म नहीं माना जाएगा. दुर्भाग्य से हमारे लगातार सतही-सपाट होते समय में ज़्यादातर लोग इस फैसले की इतनी भर व्याख्या करेंगे. लगातार चुटकुलेबाज होते जा रहे हमारे समाज को यह फैसला अपने लिए स्त्री-पुरुष संबंधों के खुलेपन पर कुछ छींटाकशी का अवसर भर लग सकता है, लेकिन यह एक ऐतिहासिक फैसला है.
- ndtv.in
-
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने दूसरी बार पलटा अपने पिता का फैसला
- Thursday September 27, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर अपने पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के 33 साल पुराने फैसले को पलट दिया. सन 1985 में जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने व्यभिचार की धारा को बरकरार रखा था और कहा था कि यह असंवैधानिक नहीं है. अब जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि यह कानून असंवैधानिक है और रद्द किया जाता है.
- ndtv.in
-
व्यभिचार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से दिया केंद्र सरकार को बड़ा झटका , ठुकरा दी दलील
- Thursday September 27, 2018
- Written by: नवनीत मिश्र
व्यभिचार के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केंद्र सरकार को झटका देने वाला है.दरअसल व्यभिचार(एडल्टरी) कानून का मौजूदा मोदी सरकार ने समर्थन किया था. कानून खत्म होने को शादी जैसी संस्था के लिए खतरा बताया था.
- ndtv.in
-
बहुमत से अलग जस्टिस नजीर बोले- व्यापक परीक्षण के बिना लिया गया फैसला, धार्मिक आस्था को ध्यान में रखकर विचार की ज़रूरत
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने ‘मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं’ के बारे में शीर्ष अदालत के 1994 के फैसले को फिर से विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से गुरुवार को इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच में से 2-1 की बहुमत से यह फैसला लिया गया कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला अयोध्या जमीन विवाद से अलग है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर तीन जजों में से एक जस्टिस अब्दुल नजीर ने अन्य जजों की राय से अपनी असहमति जताई है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर का कहना है कि बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए था मामला.
- ndtv.in
-
सुप्रीम कोर्ट बोला: व्यभिचार अपराध नहीं, पति, पत्नी का मालिक नहीं, पढ़ें इस मामले की पूरी टाइमलाइन
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार कानून को रद्द कर दिया और अब से यह अपराध नहीं रहा. सुप्रीम कोर्ट की प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से व्यभिचार से संबंधित दंडात्मक प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए उसे मनमाना और महिलाओं की व्यक्तिकता को ठेस पहुंचाने वाला बताते हुए निरस्त किया. मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने कहा, "व्यभिचार अपराध नहीं हो सकता. यह निजता का मामला है. पति, पत्नी का मालिक नहीं है. महिलाओं के साथ पुरूषों के समान ही व्यवहार किया जाना. इस मामले में हुई सुनवाई से संबंधित घटनाक्रम कुछ इस प्रकार रहा.
- ndtv.in
-
Supreme Court verdict: इटली में रहने वाले इस शख्स ने उठाया था मुद्दा, तो सुप्रीम कोर्ट ने तोड़ा 158 साल पुराना व्यभिचार का कानून
- Thursday September 27, 2018
- Written by: नवनीत मिश्र
भारतीय मूल के इटली निवासी जोसेफ शाइन (Joseph Shine) ने व्यभिचार के मुद्दे को सबसे पहले उठाया था. व्यभिचार पर सिर्फ पुरुषों को दोषी मानने पर सवाल खड़े करते हुए आठ दिसंबर 2017 को शाइन ने सुप्रीम कोर्ट में आइपीसी की धारा 497 की वैधता को चुनौती दी.
- ndtv.in
-
सुप्रीम कोर्ट के ये हैं 5 जज, जिन्होंने समलैंगिकता के बाद अब व्यभिचार को किया अपराध से बाहर
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
- ndtv.in
-
जानें क्या है IPC 497? सुप्रीम कोर्ट ने 158 साल पुराने व्यभिचार कानून को किया खत्म
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार-रोधी कानून को रद्द कर दिया है और कहा है कि व्यभिचार अपराध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि यह तलाक का आधार हो सकता है लेकिन यह कानून महिला के जीने के अधिकार पर असर डालता है.
- ndtv.in
-
अपने ही पतियों की जान की दुश्मन क्यों बन जाती हैं पत्नियां? आपके होश उड़ा देगी यह रिपोर्ट
- Sunday September 29, 2024
- Reported by: Ramraje Shinde, Edited by: अभिषेक पारीक
गुरुग्राम स्थित एकम न्याय फाउंडेशन (Ekam Nyay Foundation) ने पुरुषों की हत्या और आत्महत्या को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट के अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
- ndtv.in
-
होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी को अपराध के दायरे में वापस लाना चाहता था पैनल, PM मोदी नहीं हुए सहमत
- Monday December 11, 2023
- Reported by: सुनील प्रभु, Edited by: अंजलि कर्मकार
संसद की स्थायी समिति (कमिटी) की एक अन्य सिफारिश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत गैर-सहमति वाले कामों को दंडित करने की थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया है, लेकिन कमिटी ने इसे नए विधेयक में बनाए रखने के लिए कहा है.
- ndtv.in
-
"एडल्टरी, होमोसेक्सुअलिटी फिर हों अपराध के दायरे में" : पैनल की केंद्र से सिफारिश, अब SC के फैसले पर नजर
- Tuesday November 14, 2023
- Reported by: सुनील प्रभु, Edited by: अंजलि कर्मकार
गृह मामलों की स्थायी समिति की रिपोर्ट चाहती है कि एडल्टरी कानून को थोड़ा बदलकर क्राइम के दायरे में वापस लाया जाए. इसका मतलब है कि पुरुष और महिला दोनों को सजा का सामना करना पड़ेगा.
- ndtv.in
-
सशस्त्र बलों में व्याभिचार पर आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई जारी रहेगी : रक्षा मंत्रालय की अर्जी पर SC का स्पष्टीकरण
- Tuesday January 31, 2023
- Reported by: आशीष कुमार भार्गव, Edited by: आनंद नायक
सशस्त्र बलों में व्याभिचार पर आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई जारी रहेगी. व्यभिचार के लिए सशस्त्र कर्मियों/ अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, इसके लिए सशस्त्र बल के जवानों का कोर्ट मार्शल किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय की अर्जी पर यह स्पष्टीकरण दिया है.
- ndtv.in
-
"नैतिक अधमता के कृत्यों का वर्दीधारी पेशे...", व्याभिचार पर सशस्त्र बलों को बाहर रखने की याचिका पर सुनवाई में रक्षा मंत्रालय
- Tuesday January 31, 2023
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: तिलकराज
केंद्र ने एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें 2018 के फैसले में आईपीसी की धारा 497 के तहत व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिसमें कहा गया था कि यह सशस्त्र बलों पर लागू नहीं होना चाहिए.
- ndtv.in
-
Relationship Tips: इन 5 वजहों से पत्नी करती है पति पर शक, Husbands समय रहते सुधार लें अपनी गलतियां
- Wednesday July 6, 2022
- Written by: Seema Thakur
Relationship Tips For Husbands: पति अक्सर जाने-अंजाने ऐसे कई काम कर देते हैं जिनकी वजह से पत्नी ना चाहते हुए भी उनपर शक करने लगती है. अपने रिश्ते को बिगाड़ने वाली ये गलतियां आप ना करें.
- ndtv.in
-
'आर्म्ड फोर्सेज में व्यभिचार को क्राइम ही रहने दें', सुप्रीम कोर्ट से केंद्र की गुहार- 3 जजों ने CJI को भेजा केस
- Wednesday January 13, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण
158 साल पुराने व्यभिचार-रोधी कानून को रद्द करते हुए तब सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि व्यभिचार अपराध नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि इसे तलाक का आधार माना जा सकता है लेकिन यह कानून महिला के जीने के अधिकार पर असर डालता है.
- ndtv.in
-
क्योंकि संपत्ति नहीं है स्त्री
- Thursday September 27, 2018
- प्रियदर्शन
व्यभिचार कानून को रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला बस इतना नहीं है कि स्त्री और पुरुष के विवाहेतर संबंधों को अब जुर्म नहीं माना जाएगा. दुर्भाग्य से हमारे लगातार सतही-सपाट होते समय में ज़्यादातर लोग इस फैसले की इतनी भर व्याख्या करेंगे. लगातार चुटकुलेबाज होते जा रहे हमारे समाज को यह फैसला अपने लिए स्त्री-पुरुष संबंधों के खुलेपन पर कुछ छींटाकशी का अवसर भर लग सकता है, लेकिन यह एक ऐतिहासिक फैसला है.
- ndtv.in
-
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने दूसरी बार पलटा अपने पिता का फैसला
- Thursday September 27, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर अपने पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के 33 साल पुराने फैसले को पलट दिया. सन 1985 में जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने व्यभिचार की धारा को बरकरार रखा था और कहा था कि यह असंवैधानिक नहीं है. अब जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि यह कानून असंवैधानिक है और रद्द किया जाता है.
- ndtv.in
-
व्यभिचार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से दिया केंद्र सरकार को बड़ा झटका , ठुकरा दी दलील
- Thursday September 27, 2018
- Written by: नवनीत मिश्र
व्यभिचार के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केंद्र सरकार को झटका देने वाला है.दरअसल व्यभिचार(एडल्टरी) कानून का मौजूदा मोदी सरकार ने समर्थन किया था. कानून खत्म होने को शादी जैसी संस्था के लिए खतरा बताया था.
- ndtv.in
-
बहुमत से अलग जस्टिस नजीर बोले- व्यापक परीक्षण के बिना लिया गया फैसला, धार्मिक आस्था को ध्यान में रखकर विचार की ज़रूरत
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने ‘मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं’ के बारे में शीर्ष अदालत के 1994 के फैसले को फिर से विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से गुरुवार को इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच में से 2-1 की बहुमत से यह फैसला लिया गया कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला अयोध्या जमीन विवाद से अलग है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर तीन जजों में से एक जस्टिस अब्दुल नजीर ने अन्य जजों की राय से अपनी असहमति जताई है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर का कहना है कि बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए था मामला.
- ndtv.in
-
सुप्रीम कोर्ट बोला: व्यभिचार अपराध नहीं, पति, पत्नी का मालिक नहीं, पढ़ें इस मामले की पूरी टाइमलाइन
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार कानून को रद्द कर दिया और अब से यह अपराध नहीं रहा. सुप्रीम कोर्ट की प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से व्यभिचार से संबंधित दंडात्मक प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए उसे मनमाना और महिलाओं की व्यक्तिकता को ठेस पहुंचाने वाला बताते हुए निरस्त किया. मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने कहा, "व्यभिचार अपराध नहीं हो सकता. यह निजता का मामला है. पति, पत्नी का मालिक नहीं है. महिलाओं के साथ पुरूषों के समान ही व्यवहार किया जाना. इस मामले में हुई सुनवाई से संबंधित घटनाक्रम कुछ इस प्रकार रहा.
- ndtv.in
-
Supreme Court verdict: इटली में रहने वाले इस शख्स ने उठाया था मुद्दा, तो सुप्रीम कोर्ट ने तोड़ा 158 साल पुराना व्यभिचार का कानून
- Thursday September 27, 2018
- Written by: नवनीत मिश्र
भारतीय मूल के इटली निवासी जोसेफ शाइन (Joseph Shine) ने व्यभिचार के मुद्दे को सबसे पहले उठाया था. व्यभिचार पर सिर्फ पुरुषों को दोषी मानने पर सवाल खड़े करते हुए आठ दिसंबर 2017 को शाइन ने सुप्रीम कोर्ट में आइपीसी की धारा 497 की वैधता को चुनौती दी.
- ndtv.in
-
सुप्रीम कोर्ट के ये हैं 5 जज, जिन्होंने समलैंगिकता के बाद अब व्यभिचार को किया अपराध से बाहर
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
- ndtv.in
-
जानें क्या है IPC 497? सुप्रीम कोर्ट ने 158 साल पुराने व्यभिचार कानून को किया खत्म
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार-रोधी कानून को रद्द कर दिया है और कहा है कि व्यभिचार अपराध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि यह तलाक का आधार हो सकता है लेकिन यह कानून महिला के जीने के अधिकार पर असर डालता है.
- ndtv.in