मुंशी प्रेमचंद
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ईदगाह और हामिद का चिमटा... वक्फ की बहस में आखिर क्यों हुई प्रेमचंद की कहानी की चर्चा
- Thursday April 3, 2025
- Written by: प्रभांशु रंजन
Waqf Bill Debate: लोकसभा से पास होने के बाद अब राज्यसभा में वक्फ बिल पर चर्चा जारी है. गुरुवार को राज्यसभा में वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान मुंशी प्रेमचंद की कहानी ईदगाह का भी जिक्र आया.
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हिन्दी दिवस क्विज़ : मुंशी प्रेमचंद के बारे में कितना जानते हैं आप? यहां जांच लें
- Monday October 14, 2024
- Written by: Sachin Jha Shekhar
मुंशी प्रेमचंद को हिंदी साहित्य का 'उपन्यास सम्राट' माना जाता है. NDTV की इस क्विज की मदद से आप हिंदी के महान रचनाकार को और करीब से जान पाएंगे.
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गीता प्रेस और मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली गोरखपुर में सालों से बज रहा है बीजेपी का डंका
- Tuesday February 27, 2024
- Written by: वंदना वर्मा
योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त देखनी पड़ी थी. सपा के प्रवीण निषाद ने बीजेपी को हरा दिया. इसके बाद एक बार फिर 2019 में जनता ने बीजेपी की वापसी करते हुए रवि किशन को विजयी बनाया.
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ग्रेटर नोएडा के विश्वविद्यालय में सिगरेट पीने को लेकर गार्ड और छात्रों में झड़प, 15 गिरफ्तार
- Tuesday June 6, 2023
- Reported by: भाषा
पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय के मुंशी प्रेमचंद छात्रावास में रहने वाले छात्र कथित तौर पर सिगरेट पी रहे थे जिसका सुरक्षाकर्मियों ने विरोध किया. झड़प में 22 छात्रों को चोटें आई हैं.
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Munshi Premchand: खुद भी पढ़िए और अपने बच्चों को भी पढ़ाएं मुंशी प्रेमचंद की ये 5 कहानियां
- Tuesday October 8, 2019
- Written by: अर्चित गुप्ता
हिंदी साहित्य को नई उचाइयों तक पहुंचाने वाले मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को मनाई जाती है. साहित्य में प्रेमचंद के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. प्रेमचंद को उपन्यास के सम्राट माने जाते हैं. प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था. प्रेमचंद की कई कहानियां ग्रामीण भारत पर हैं. उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से किसानों की हालत का वर्णन किया.
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क्या आज भी मौजूद हैं नमक के दरोगा?
- Sunday September 8, 2019
- रवीश रंजन शुक्ला
मित्रों मुंशी प्रेमचंद की कहानी नमक का दरोगा का ये अंश है. इस कहानी को दोबारा सालों बाद इसलिए पढ़ी कि शनिवार को मैं किसी पैरामिलिट्री के अफसर के पास बैठा था उन्होंने मुझे बताया कि ISS यानी इंडियन साल्ट सर्विसेज यानी भारतीय नमक सेवा अब भी देश में मौजूद है. देशभर में करीब दर्जनभर अधिकारी हैं जो नमक की गुणवत्ता और उसकी सप्लाई पर नजर रखते हैं.
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आज भी उपेक्षा का शिकार हैं मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव
- Friday August 2, 2019
- Reported by: अजय सिंह, Edited by: विवेक रस्तोगी
अब पूरे साल उन्हें सभी उनके हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार हैं और जो कुछ बना भी है, वह बस यूं ही खड़ा है, बिना किसी काम के.
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उत्तर प्रदेश : लमही गांव में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उनके प्रति बरसा एक दिन का प्यार
- Thursday August 1, 2019
- Reported by: अजय सिंह, Edited by: सूर्यकांत पाठक
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती उनके गांव लमही मनाया गया. सरकारी महकमों ने अपनी फ़र्ज़ अदायगी की तो प्राइवेट स्कूल, रंगकर्मी, साहित्यकार और पत्रकारों ने भी अपने कथाकार को याद किया. अब पूरे साल उन्हें सभी उनके अपने हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार है. मुंशी जी की जयंती पर उनके पात्र होरी, माधव, घीसू की गहरी संवेदना से जुड़े कलाकार नाटक के जरिए उन्हें याद कर रहे थे. लमही में हर साल उनका जन्म दिवस मनाया जाता है. सरकारी महकमे फ़र्ज़ अदायगी का टेंट भी लगाते हैं. स्मारक स्थल पर कार्यक्रम होते हैं और गांव में मेले जैसा माहौल रहता है. लेकिन अपने कथाकार के प्रति एक दिन के इस प्यार पर गांव के लोगों के अंदर एक दर्द भी है.
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मुंशी प्रेमचंद के पैतृक घर को मिली बिजली, आपूर्ति रोके जाने पर हो गया था विवाद
- Tuesday July 30, 2019
- भाषा
उत्तरप्रदेश विद्युत निगम ने वाराणसी के बाहरी इलाके में लमही में स्थित महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद के पैतृक मकान में बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी है. दरअसल, लेखक की 139 वीं जयंती के कुछ दिन पहले पिछले सप्ताह उनके मकान की बिजली आपूर्ति रोके जाने से विवाद पैदा हो गया था. हालांकि, वराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इससे इनकार किया कि महान कथाकार के पैतृक गांव में मकान की बिजली आपूर्ति रोक दी गई थी.
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प्रेमचंद की कहानियां को आज भी भूले नहीं हैं लोग
- Monday July 31, 2017
- Bhasha
साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का स्थान उस ऊंचाई पर हैं जहां बिरले पहुंच पाये हैं. उनकी कहानियों में ग्रामीण भारत खासतौर पर किसानों की स्थिति का जो वर्णन है वह किसानों की आज की हालत से कोई खास भिन्न नहीं है.
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प्रेमचंद के लेखन ने बदली हिंदी-उर्दू साहित्य की दिशा
- Monday February 20, 2017
- Edited by: शिखा शर्मा
प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद के पौत्र आलोक राय का कहना है कि होरी और गोबर जैसे पात्रों के रचियता ने अपने ‘आधुनिक दृष्टिकोण’ और सहज अभिव्यक्ति से हिंदी तथा उर्दू साहित्य की दिशा बदल दी.
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.....और ढहा दिया गया मुंशी प्रेमचंद का 'घर'
- Monday December 19, 2016
- Written by: इंडो-एशियन न्यूज़ सर्विस
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने जिस किराए के घर में कथा संसार रचा, सहेजने की बजाय प्रशासन ने लोगों के लिए 'खतरा' बताकर उसे चंद समय में ढाह दिया और समाज का पहरुआ बनने का ढोंग करने वाले सिर्फ तमाशबीन बने रहे.
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आत्मकथा : महात्मा गांधी के दर्शन के दो दिन बाद ही प्रेमचंद ने छोड़ दी थी 20 साल पुरानी नौकरी
- Thursday August 4, 2016
- NDTVKhabar.com टीम
ऐसा समारोह मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था. महात्माजी के दर्शनों का यह प्रताप था, कि मुझ जैसा मरा आदमी भी चेत उठा. उसके दो ही चार दिन बाद मैंने अपनी बीस साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया.
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प्रेमचंद को गूगल का अनोखा सलाम, 'गोदान' डूडल से किया याद
- Sunday July 31, 2016
- NDTVKhabar.com टीम
कथाकार मुंशी प्रेमचंद की 136वीं सालगिरह पर गूगल इंडिया ने उन्हें अनोखे तरीके से याद किया है. सबसे बड़े सर्च इंजन ने अपने होम पेज पर प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास 'गोदान' का डूडल लगाया है.
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प्रेमचंद एक सदी बीत जाने के बाद भी उतने ही प्रासंगिक हैं : गुलजार
- Sunday July 31, 2016
- Reported by: भाषा
साहित्य के साथ गुलजार के रिश्ते में मुंशी प्रेमचंद का सबसे अधिक प्रभाव रहा है और प्रख्यात कवि-गीतकार का मानना है कि एक सदी बीत जाने के बाद भी प्रेमचंद की कृतियों ने अपनी प्रासंगिकता नहीं गंवाई है.
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ईदगाह और हामिद का चिमटा... वक्फ की बहस में आखिर क्यों हुई प्रेमचंद की कहानी की चर्चा
- Thursday April 3, 2025
- Written by: प्रभांशु रंजन
Waqf Bill Debate: लोकसभा से पास होने के बाद अब राज्यसभा में वक्फ बिल पर चर्चा जारी है. गुरुवार को राज्यसभा में वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान मुंशी प्रेमचंद की कहानी ईदगाह का भी जिक्र आया.
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हिन्दी दिवस क्विज़ : मुंशी प्रेमचंद के बारे में कितना जानते हैं आप? यहां जांच लें
- Monday October 14, 2024
- Written by: Sachin Jha Shekhar
मुंशी प्रेमचंद को हिंदी साहित्य का 'उपन्यास सम्राट' माना जाता है. NDTV की इस क्विज की मदद से आप हिंदी के महान रचनाकार को और करीब से जान पाएंगे.
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गीता प्रेस और मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली गोरखपुर में सालों से बज रहा है बीजेपी का डंका
- Tuesday February 27, 2024
- Written by: वंदना वर्मा
योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त देखनी पड़ी थी. सपा के प्रवीण निषाद ने बीजेपी को हरा दिया. इसके बाद एक बार फिर 2019 में जनता ने बीजेपी की वापसी करते हुए रवि किशन को विजयी बनाया.
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ग्रेटर नोएडा के विश्वविद्यालय में सिगरेट पीने को लेकर गार्ड और छात्रों में झड़प, 15 गिरफ्तार
- Tuesday June 6, 2023
- Reported by: भाषा
पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय के मुंशी प्रेमचंद छात्रावास में रहने वाले छात्र कथित तौर पर सिगरेट पी रहे थे जिसका सुरक्षाकर्मियों ने विरोध किया. झड़प में 22 छात्रों को चोटें आई हैं.
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Munshi Premchand: खुद भी पढ़िए और अपने बच्चों को भी पढ़ाएं मुंशी प्रेमचंद की ये 5 कहानियां
- Tuesday October 8, 2019
- Written by: अर्चित गुप्ता
हिंदी साहित्य को नई उचाइयों तक पहुंचाने वाले मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को मनाई जाती है. साहित्य में प्रेमचंद के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. प्रेमचंद को उपन्यास के सम्राट माने जाते हैं. प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था. प्रेमचंद की कई कहानियां ग्रामीण भारत पर हैं. उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से किसानों की हालत का वर्णन किया.
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क्या आज भी मौजूद हैं नमक के दरोगा?
- Sunday September 8, 2019
- रवीश रंजन शुक्ला
मित्रों मुंशी प्रेमचंद की कहानी नमक का दरोगा का ये अंश है. इस कहानी को दोबारा सालों बाद इसलिए पढ़ी कि शनिवार को मैं किसी पैरामिलिट्री के अफसर के पास बैठा था उन्होंने मुझे बताया कि ISS यानी इंडियन साल्ट सर्विसेज यानी भारतीय नमक सेवा अब भी देश में मौजूद है. देशभर में करीब दर्जनभर अधिकारी हैं जो नमक की गुणवत्ता और उसकी सप्लाई पर नजर रखते हैं.
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आज भी उपेक्षा का शिकार हैं मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव
- Friday August 2, 2019
- Reported by: अजय सिंह, Edited by: विवेक रस्तोगी
अब पूरे साल उन्हें सभी उनके हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार हैं और जो कुछ बना भी है, वह बस यूं ही खड़ा है, बिना किसी काम के.
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उत्तर प्रदेश : लमही गांव में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उनके प्रति बरसा एक दिन का प्यार
- Thursday August 1, 2019
- Reported by: अजय सिंह, Edited by: सूर्यकांत पाठक
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती उनके गांव लमही मनाया गया. सरकारी महकमों ने अपनी फ़र्ज़ अदायगी की तो प्राइवेट स्कूल, रंगकर्मी, साहित्यकार और पत्रकारों ने भी अपने कथाकार को याद किया. अब पूरे साल उन्हें सभी उनके अपने हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार है. मुंशी जी की जयंती पर उनके पात्र होरी, माधव, घीसू की गहरी संवेदना से जुड़े कलाकार नाटक के जरिए उन्हें याद कर रहे थे. लमही में हर साल उनका जन्म दिवस मनाया जाता है. सरकारी महकमे फ़र्ज़ अदायगी का टेंट भी लगाते हैं. स्मारक स्थल पर कार्यक्रम होते हैं और गांव में मेले जैसा माहौल रहता है. लेकिन अपने कथाकार के प्रति एक दिन के इस प्यार पर गांव के लोगों के अंदर एक दर्द भी है.
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मुंशी प्रेमचंद के पैतृक घर को मिली बिजली, आपूर्ति रोके जाने पर हो गया था विवाद
- Tuesday July 30, 2019
- भाषा
उत्तरप्रदेश विद्युत निगम ने वाराणसी के बाहरी इलाके में लमही में स्थित महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद के पैतृक मकान में बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी है. दरअसल, लेखक की 139 वीं जयंती के कुछ दिन पहले पिछले सप्ताह उनके मकान की बिजली आपूर्ति रोके जाने से विवाद पैदा हो गया था. हालांकि, वराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इससे इनकार किया कि महान कथाकार के पैतृक गांव में मकान की बिजली आपूर्ति रोक दी गई थी.
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प्रेमचंद की कहानियां को आज भी भूले नहीं हैं लोग
- Monday July 31, 2017
- Bhasha
साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का स्थान उस ऊंचाई पर हैं जहां बिरले पहुंच पाये हैं. उनकी कहानियों में ग्रामीण भारत खासतौर पर किसानों की स्थिति का जो वर्णन है वह किसानों की आज की हालत से कोई खास भिन्न नहीं है.
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प्रेमचंद के लेखन ने बदली हिंदी-उर्दू साहित्य की दिशा
- Monday February 20, 2017
- Edited by: शिखा शर्मा
प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद के पौत्र आलोक राय का कहना है कि होरी और गोबर जैसे पात्रों के रचियता ने अपने ‘आधुनिक दृष्टिकोण’ और सहज अभिव्यक्ति से हिंदी तथा उर्दू साहित्य की दिशा बदल दी.
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.....और ढहा दिया गया मुंशी प्रेमचंद का 'घर'
- Monday December 19, 2016
- Written by: इंडो-एशियन न्यूज़ सर्विस
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने जिस किराए के घर में कथा संसार रचा, सहेजने की बजाय प्रशासन ने लोगों के लिए 'खतरा' बताकर उसे चंद समय में ढाह दिया और समाज का पहरुआ बनने का ढोंग करने वाले सिर्फ तमाशबीन बने रहे.
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आत्मकथा : महात्मा गांधी के दर्शन के दो दिन बाद ही प्रेमचंद ने छोड़ दी थी 20 साल पुरानी नौकरी
- Thursday August 4, 2016
- NDTVKhabar.com टीम
ऐसा समारोह मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था. महात्माजी के दर्शनों का यह प्रताप था, कि मुझ जैसा मरा आदमी भी चेत उठा. उसके दो ही चार दिन बाद मैंने अपनी बीस साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया.
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प्रेमचंद को गूगल का अनोखा सलाम, 'गोदान' डूडल से किया याद
- Sunday July 31, 2016
- NDTVKhabar.com टीम
कथाकार मुंशी प्रेमचंद की 136वीं सालगिरह पर गूगल इंडिया ने उन्हें अनोखे तरीके से याद किया है. सबसे बड़े सर्च इंजन ने अपने होम पेज पर प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास 'गोदान' का डूडल लगाया है.
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प्रेमचंद एक सदी बीत जाने के बाद भी उतने ही प्रासंगिक हैं : गुलजार
- Sunday July 31, 2016
- Reported by: भाषा
साहित्य के साथ गुलजार के रिश्ते में मुंशी प्रेमचंद का सबसे अधिक प्रभाव रहा है और प्रख्यात कवि-गीतकार का मानना है कि एक सदी बीत जाने के बाद भी प्रेमचंद की कृतियों ने अपनी प्रासंगिकता नहीं गंवाई है.
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