माकन ने कहा, दुर्भाग्य से पिछले 10-15 साल में हम जीडीपी में तो आगे बढ़े लेकिन ओलिंपिक पदक तालिका में आगे नहीं बढ़ पाए।
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नई दिल्ली:
केंद्रीय खेलमंत्री अजय माकन ने कहा कि यदि भारत को शक्तिशाली देश बनाना है तो इसके लिए आर्थिक मजबूती के साथ ही ओलिंपिक खेलों में अधिक से अधिक पदक जीतना भी जरूरी है।
माकन ने ओएनजीसी के खिलाड़ियों के विदाई समारोह के अवसर पर कहा, शक्तिशाली देश बनने के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में वृद्धि के साथ ओलिंपिक पदक तालिका में भी ऊपर होना जरूरी है। देश से शुरू से ओलिंपिक में आगे बढ़ने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा करते रहे हैं क्योंकि इससे उनकी ताकत का भी पता चलता है।
उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से पिछले 10-15 साल में हम जीडीपी में तो आगे बढ़े लेकिन ओलिंपिक पदक तालिका में आगे नहीं बढ़ पाए। इसको आगे बढ़ाना जरूरी है। इस बारे में हमारे सर्वाधिक खिलाड़ियों ने ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया है और इसलिए सबसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद भी की जा रही है।
माकन ने इसके साथ ही विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों और रेलवे से अपील की कि वह किसी खिलाड़ी के संन्यास लेने के बाद भी उसे खेलों से इतर काम नहीं सौंपे और उसे खेल से जोड़े रखे। उन्होंने कहा, कोई भी खिलाड़ी जब खेल छोड़ता है तो उसे दूसरा काम सौंप दिया जाता है। इससे उस खिलाड़ी का सही उपयोग नहीं हो पाता है। हमारे देश में कोचों की बहुत कमी है और ऐसे खिलाड़ियों को कोचिंग का काम सौंपा जा सकता है।
माकन ने ओएनजीसी के खिलाड़ियों के विदाई समारोह के अवसर पर कहा, शक्तिशाली देश बनने के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में वृद्धि के साथ ओलिंपिक पदक तालिका में भी ऊपर होना जरूरी है। देश से शुरू से ओलिंपिक में आगे बढ़ने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा करते रहे हैं क्योंकि इससे उनकी ताकत का भी पता चलता है।
उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से पिछले 10-15 साल में हम जीडीपी में तो आगे बढ़े लेकिन ओलिंपिक पदक तालिका में आगे नहीं बढ़ पाए। इसको आगे बढ़ाना जरूरी है। इस बारे में हमारे सर्वाधिक खिलाड़ियों ने ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया है और इसलिए सबसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद भी की जा रही है।
माकन ने इसके साथ ही विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों और रेलवे से अपील की कि वह किसी खिलाड़ी के संन्यास लेने के बाद भी उसे खेलों से इतर काम नहीं सौंपे और उसे खेल से जोड़े रखे। उन्होंने कहा, कोई भी खिलाड़ी जब खेल छोड़ता है तो उसे दूसरा काम सौंप दिया जाता है। इससे उस खिलाड़ी का सही उपयोग नहीं हो पाता है। हमारे देश में कोचों की बहुत कमी है और ऐसे खिलाड़ियों को कोचिंग का काम सौंपा जा सकता है।
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