पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (फाइल फोटो)
चंडीगढ़:
पंजाब विधानसभा ने अपने एक विशेष सत्र में सोमवार को उन व्यक्तियों को सरकारी जमीन तार्किक दरों पर आवंटित करने से संबंधित एक विधेयक पारित किया जो कम से कम 20 सालों से उस पर कब्जा बनाये हुए हैं और खेती कर रहे हैं.
विशेष सत्र अगले वर्ष होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले आया है. विपक्ष का आरोप है कि विभिन्न विधेयकों को आनन-फानन में पारित कराकर मतदाताओं को लुभाने के लिए यह सत्र बुलाया गया है.
विधेयक के वित्तीय प्रस्ताव के अनुसार राज्य सरकार की बड़ी संख्या में कृषि जमीनें विभिन्न व्यक्तियों के पास खेती के लिए हैं. ये जमीनें साल-दर-साल के आधार पर खुली निविदा से लीज पर दी जाती हैं, लेकिन कृषि वर्ष के अंत में कब्जा बदलने से विवाद उत्पन्न हो जाते हैं.
प्रस्ताव में कहा गया है कि ऐसे विवादों को रोकने और कृषि सुधार के तौर पर यह विधेयक उन व्यक्तियों को तार्किक दरों पर मालिकाना हक देने के लिए पेश किया गया जो खुद या वंशज के तौर पर 20 या उससे अधिक सालों से संबंधित जमीन पर खेती कर रहे हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
विशेष सत्र अगले वर्ष होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले आया है. विपक्ष का आरोप है कि विभिन्न विधेयकों को आनन-फानन में पारित कराकर मतदाताओं को लुभाने के लिए यह सत्र बुलाया गया है.
विधेयक के वित्तीय प्रस्ताव के अनुसार राज्य सरकार की बड़ी संख्या में कृषि जमीनें विभिन्न व्यक्तियों के पास खेती के लिए हैं. ये जमीनें साल-दर-साल के आधार पर खुली निविदा से लीज पर दी जाती हैं, लेकिन कृषि वर्ष के अंत में कब्जा बदलने से विवाद उत्पन्न हो जाते हैं.
प्रस्ताव में कहा गया है कि ऐसे विवादों को रोकने और कृषि सुधार के तौर पर यह विधेयक उन व्यक्तियों को तार्किक दरों पर मालिकाना हक देने के लिए पेश किया गया जो खुद या वंशज के तौर पर 20 या उससे अधिक सालों से संबंधित जमीन पर खेती कर रहे हैं.
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