कोलकाता:
पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष ने अपने विवादित बयान का फिर समर्थन किया है। सोमवार को एनडीटीवी से बात करते हुए घोष ने कहा कि उन्होंने (तृणमूल कार्यकर्ताओं) हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमला किया है। अगर हिंसा से हिंसा रुकती है तो हमें यही करेंगे। घोष ने कहा कि अगर कोई मुझ पर बम से हमला करेगा तो मैं उसे चाय नहीं पिलाऊंगा।
कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी जिम्मेदारी
हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए चुनाव में खड़गपुर सदर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद विधायक पद की शपथ लेने कोलकाता पहुंचे घोष ने कहा कि अपने कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी जिम्मेदारी है। गौरतलब है कि घोष ने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को यह कहते हुए धमकी दी थी कि 'मेरी पार्टी के लोगों को आरएसएस ने ट्रेनिंग दी है और आपके कंधे तोड़ने के लिए उनके हाथ ही काफी हैं।'
बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है जिसके बाद राज्य में राजनीतिक हिंसा तेज़ हो गई है। इन सबके बीच घोष ने कहा है कि उनकी पार्टी 'हिसाब किताब बराबर कर लेगी।'
दिल्ली में दिल्ली की तरह की राजनीति और कोलकाता में कोलकाता की तरह की राजनीति
खबर यह भी पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह, घोष के इस बयान से नाराज हैं। जब घोष से सिंह की नाराजगी पर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि दिल्ली में दिल्ली की तरह की राजनीति और कोलकाता में कोलकाता की तरह की राजनीति होगी। जब उनसे पार्टी प्रमुख अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस प्रकार के बयान पर आपत्ति उठाए जाने के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि पार्टी के किसी भी नेता ने उनसे बात नहीं की है। उनका कहना है कि पार्टी और नेता सभी मेरे साथ हैं।
'असली ताकत का दिखावा नहीं...'
खड़गपुर में अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए घोष ने कहा था 'अगर हम घूसे मारने पर भी उतर आए न तो हमारे ज्यादातर लोगों को आरएसएस ने ट्रेन किया है। आपके कंधे तोड़ने के लिए हमारे हाथ ही काफी हैं।' अपनी बात पूरी करते हुए घोष ने कहा 'कंधे टूटने की आवाज़ काली घाट तक जाएगी।' दरअसल घोष का इशारा तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के आवास की तरफ था। बीजेपी प्रमुख ने यह भी कहा कि 'हम यह रास्ता अख्तियार करना नहीं चाहते। जिनके पास असली ताकत होती है वह ज्यादा दिखावा नहीं करते।'
पश्चिम बंगाल में विपक्ष ने तृणमूल पर आरोप लगाया है कि 19 मई को परिणामों की घोषणा होने के बाद राज्य में हिंसा बढ़ गई है। यही नहीं कांग्रेस, बीजेपी और लेफ्ट ने यह कहते हुए भी ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया कि यह हिंसा दरअसल विपक्ष को पूरी तरह 'खत्म' करने के इरादे से हो रही है। उधर तृणमूल ने घोष की टिप्पणी की निंदा की है और कहा है कि बीजेपी अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। राज्य की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री शशि पंजा ने एनडीटीवी से कहा था कि यह प्रजातंत्र है। यह चुनाव है जिसमें कोई जीतेगा और कोई हारेगा। वहीं इन टिप्पणियों पर लेफ्ट ने कहा कि तृणमूल और बीजेपी के बीच की राजनीतिक हिंसा से बंगाल 'तबाह' हो जाएगा।
कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी जिम्मेदारी
हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए चुनाव में खड़गपुर सदर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद विधायक पद की शपथ लेने कोलकाता पहुंचे घोष ने कहा कि अपने कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी जिम्मेदारी है। गौरतलब है कि घोष ने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को यह कहते हुए धमकी दी थी कि 'मेरी पार्टी के लोगों को आरएसएस ने ट्रेनिंग दी है और आपके कंधे तोड़ने के लिए उनके हाथ ही काफी हैं।'
बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है जिसके बाद राज्य में राजनीतिक हिंसा तेज़ हो गई है। इन सबके बीच घोष ने कहा है कि उनकी पार्टी 'हिसाब किताब बराबर कर लेगी।'
दिल्ली में दिल्ली की तरह की राजनीति और कोलकाता में कोलकाता की तरह की राजनीति
खबर यह भी पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह, घोष के इस बयान से नाराज हैं। जब घोष से सिंह की नाराजगी पर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि दिल्ली में दिल्ली की तरह की राजनीति और कोलकाता में कोलकाता की तरह की राजनीति होगी। जब उनसे पार्टी प्रमुख अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस प्रकार के बयान पर आपत्ति उठाए जाने के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि पार्टी के किसी भी नेता ने उनसे बात नहीं की है। उनका कहना है कि पार्टी और नेता सभी मेरे साथ हैं।
'असली ताकत का दिखावा नहीं...'
खड़गपुर में अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए घोष ने कहा था 'अगर हम घूसे मारने पर भी उतर आए न तो हमारे ज्यादातर लोगों को आरएसएस ने ट्रेन किया है। आपके कंधे तोड़ने के लिए हमारे हाथ ही काफी हैं।' अपनी बात पूरी करते हुए घोष ने कहा 'कंधे टूटने की आवाज़ काली घाट तक जाएगी।' दरअसल घोष का इशारा तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के आवास की तरफ था। बीजेपी प्रमुख ने यह भी कहा कि 'हम यह रास्ता अख्तियार करना नहीं चाहते। जिनके पास असली ताकत होती है वह ज्यादा दिखावा नहीं करते।'
पश्चिम बंगाल में विपक्ष ने तृणमूल पर आरोप लगाया है कि 19 मई को परिणामों की घोषणा होने के बाद राज्य में हिंसा बढ़ गई है। यही नहीं कांग्रेस, बीजेपी और लेफ्ट ने यह कहते हुए भी ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया कि यह हिंसा दरअसल विपक्ष को पूरी तरह 'खत्म' करने के इरादे से हो रही है। उधर तृणमूल ने घोष की टिप्पणी की निंदा की है और कहा है कि बीजेपी अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। राज्य की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री शशि पंजा ने एनडीटीवी से कहा था कि यह प्रजातंत्र है। यह चुनाव है जिसमें कोई जीतेगा और कोई हारेगा। वहीं इन टिप्पणियों पर लेफ्ट ने कहा कि तृणमूल और बीजेपी के बीच की राजनीतिक हिंसा से बंगाल 'तबाह' हो जाएगा।
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