अयोध्या से बीजेपी उम्मीदवार वेदप्रकाश गुप्ता
उत्तर प्रदेश में अपने गढ़ अयोध्या को वापस अपनी झोली में डालने के लिए बीजेपी ने वेद प्रकाश गुप्ता को चुनावी अखाड़े में उतारा है. अयोध्या सीट बीजेपी के लिए खासा मायने रखती है. अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा उन कुछेक मुद्दों में से एक है जिनके बलबूत बीजेपी ने दो सीट से दिल्ली की कुर्सी तक का सफर तय किया है.
बीजेपी का गढ़ कही जाने वाली अयोध्या विधानसभा सीट पर पिछले 2012 विधानसभा चुनावों में सपा नेता पवन पांडेय ने बीजपी के लल्लू सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी और अयोध्या सीट समाजवादी पार्टी के खाते में डाल दी थी. सपा के पवन पांडेय ने 21 साल बाद इस सीट को बीजेपी से छीनकर अपने कब्जे में कर लिया था. अखिलेश ने एक बार फिर उन्हीं पर दांव लगाया है. पिछले विधानसभा चुनाव में पवन पांडेय ने लल्लू सिंह को हराकर अपनी ताकत का एहसास कराया था।
यहां से बीजेपी के दिग्गज नेता लल्लू सिंह, जो कि अब सांसद हैं, पांच बार विधायक रह चुके हैं. 2012 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2014 में लल्लू सिंह मोदी लहर पर सवार होकर फैजाबाद सीट से सांसद चुने गए.
ट्रांसपोर्ट बिजनेस चलाने वाले वेद प्रकाश पहले सपा में रहे, फिर उन्होंने बसपा का दामन थामा और अब वो बीजेपी के साथ हैं.
अयोध्या से वेद प्रकाश ने पिछला विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था. तब वह तीसरे स्थान (33,481 वोट) पर रहे थे. जबकि सबसे ज्यादा 55,262 वोट सपा के पांडे को मिले थे. दूसरे स्थान पर 49,857 वोटों के साथ बीजेपी के लल्लू सिंह रहे थे. इससे पहले 2002 में वह सपा के टिकट पर लड़े थे और तब भी हार गए थे.
वेद प्रकाश कहते हैं कि, "श्री राम के आशिर्वाद से ही उन्हें टिकट मिला है, राम मंदिर का मामला कोर्ट में है, पर अगर बीजेपी की सरकार आई तो वो अयोध्या का खोया हुआ गौरव वापस दिलाएंगे और वो सपा के मौजूदा विधायक पवन पांडे को वो आसानी से हरा देंगे.
अयोध्या सीट एक और सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि पहली बार 1980 के बाद किसी पार्टी ने यहां से मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है. बसपा ने यहां से बज्मी सिद्दीकी को टिकट दिया है. बज्मी कहते हैं, "अयोध्या ऐसी सीट है जिसे लेकर विरोधी हमेशा से ही सियासत करते रहे हैं. यहां पर गंगा-जमुनी तहजीब को खत्म करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. बहन जी के शासनकाल में यहां हिंदू और मुसलमान दोनों को पूरी सुरक्षा मिलती है."
अयोध्या विधानसभा सीट पर मतदान 27 फरवरी (पांचवां चरण) को होगा. इस चरण में 96 लाख महिलाओं समेत करीब एक करोड़ 84 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे. पांचवें चरण में बलरामपुर, गोण्डा, फैजाबाद, अम्बेडकर नगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, अमेठी तथा सुलतानपुर जिलों की 51 सीटों पर मतदान होगा.
बीजेपी का गढ़ कही जाने वाली अयोध्या विधानसभा सीट पर पिछले 2012 विधानसभा चुनावों में सपा नेता पवन पांडेय ने बीजपी के लल्लू सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी और अयोध्या सीट समाजवादी पार्टी के खाते में डाल दी थी. सपा के पवन पांडेय ने 21 साल बाद इस सीट को बीजेपी से छीनकर अपने कब्जे में कर लिया था. अखिलेश ने एक बार फिर उन्हीं पर दांव लगाया है. पिछले विधानसभा चुनाव में पवन पांडेय ने लल्लू सिंह को हराकर अपनी ताकत का एहसास कराया था।
यहां से बीजेपी के दिग्गज नेता लल्लू सिंह, जो कि अब सांसद हैं, पांच बार विधायक रह चुके हैं. 2012 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2014 में लल्लू सिंह मोदी लहर पर सवार होकर फैजाबाद सीट से सांसद चुने गए.
ट्रांसपोर्ट बिजनेस चलाने वाले वेद प्रकाश पहले सपा में रहे, फिर उन्होंने बसपा का दामन थामा और अब वो बीजेपी के साथ हैं.
अयोध्या से वेद प्रकाश ने पिछला विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था. तब वह तीसरे स्थान (33,481 वोट) पर रहे थे. जबकि सबसे ज्यादा 55,262 वोट सपा के पांडे को मिले थे. दूसरे स्थान पर 49,857 वोटों के साथ बीजेपी के लल्लू सिंह रहे थे. इससे पहले 2002 में वह सपा के टिकट पर लड़े थे और तब भी हार गए थे.
वेद प्रकाश कहते हैं कि, "श्री राम के आशिर्वाद से ही उन्हें टिकट मिला है, राम मंदिर का मामला कोर्ट में है, पर अगर बीजेपी की सरकार आई तो वो अयोध्या का खोया हुआ गौरव वापस दिलाएंगे और वो सपा के मौजूदा विधायक पवन पांडे को वो आसानी से हरा देंगे.
अयोध्या सीट एक और सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि पहली बार 1980 के बाद किसी पार्टी ने यहां से मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है. बसपा ने यहां से बज्मी सिद्दीकी को टिकट दिया है. बज्मी कहते हैं, "अयोध्या ऐसी सीट है जिसे लेकर विरोधी हमेशा से ही सियासत करते रहे हैं. यहां पर गंगा-जमुनी तहजीब को खत्म करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. बहन जी के शासनकाल में यहां हिंदू और मुसलमान दोनों को पूरी सुरक्षा मिलती है."
अयोध्या विधानसभा सीट पर मतदान 27 फरवरी (पांचवां चरण) को होगा. इस चरण में 96 लाख महिलाओं समेत करीब एक करोड़ 84 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे. पांचवें चरण में बलरामपुर, गोण्डा, फैजाबाद, अम्बेडकर नगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, अमेठी तथा सुलतानपुर जिलों की 51 सीटों पर मतदान होगा.
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