मुख्तार अंसारी
मऊ विधानसभा की सदर सीट से बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी बीएसपी के टिकट से चुनावी मैदान में हैं. सपा से बेआबरू होने के बाद अपनी सीट बचाने का दबाव तो उन पर है ही पर साथ में उन पर मायावती की उम्मीदों का भी बोझ है. जेल में रहते हुए वे अपनी सीट और मायावती की उम्मीदों पर कैसे खरे उतरते हैं, यह बड़ा सवाल है, क्योंकि वे इस बार बीजेपी के निशाने पर हैं.
मुख्तार मऊ से कुल चार बार विधायक रह चुके हैं. पहली बार उन्होंने बीएसपी के टिकट पर विधानसभआ चुनाव जीता था. इसके बाद दो बार वह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे और जीते. वर्ष 2007 में उन्होंने फिर से बसपा ज्वॉइन की. आपराधिक गतिविधियों के चलते उन्हें बसपा ने 2010 में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके बाद उन्होंने अपने भाइयों के साथ मिलकर अपनी नई पार्टी कौमी एकता दल बनाई. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में मुख्तार ने कौमी एकता दल के टिकट पर मऊ सीट से जीत दर्ज की.
अंसारी पर नवंबर 2005 में अफजाल अंसारी को मोहम्मदाबाद से चुनाव हराने वाले बीजेपी नेता कृष्णा नंदन राय की हत्या का आरोप है. अंसारी इस मामले में ट्रायल का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा उन पर 40 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं.
बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का जनवरी, 2017 में बहुजन समाज पार्टी में विलय हो गया था. तभी बीएसपी ने मुख्तार अंसारी को मऊ सदर सीट से, मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को घोसी से और उनके भाई सिबगतउल्ला अंसारी को मुहम्मदाबाद यूसुफपुर सीट से पार्टी उम्मीदवार घोषित किया था. मुख्तार के बेटे अब्बास निशानेबाजी में राष्ट्रीय स्तर पर कई स्वर्ण पदक जीत चुके हैं.
इस सीट पर भाजपा ने राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी (भासपा) के उम्मीदवार को गठबंधन के तहत उतारा है. भासपा के जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में है उनका नाम है महेंद्र राजभर. महेंद्र 2012 के चुनाव में मुख्तार के साथ थे और उन्होंने अपनी बिरादरी के वोट दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. पर इस बार वे खुद उनके सामने हैं. पिछली बार भाजपा यहां चौथे नंबर पर थी.
सपा से जिलाध्यक्ष रहे बुनकर नेता अल्ताफ अंसारी लड़ रहे हैं जिन्हें पिछली बार 54 हजार वोट मिले थे.
मऊ सदर सीट के मतदान छठे चरण में होगा. छठे चरण में कुल 77 लाख 84 हजार महिलाओं समेत करीब एक करोड़ 72 लाख मतदाता, कुल 635 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला कर सकेंगे. इसके लिये 17 हजार 926 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं. वर्ष 2012 में इन सीटों में से सपा ने 27, बसपा ने नौ, भाजपा ने सात तथा कांग्रेस ने चार सीटें जीती थी, जबकि दो सीटें अन्य के खाते में गयी थीं. इस चरण में सबसे ज्यादा 23 उम्मीदवार गोरखपुर सीट पर मैदान में हैं, जबकि सबसे कम सात उम्मीदवार मऊ जिले की मोहम्मदाबाद गोहना सीट से किस्मत आजमा रहे हैं.
छठे चरण में नेपाल से सटे महराजगंज और कुशीनगर के साथ-साथ गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ तथा बलिया जिलों की 49 सीटों पर आगामी चार मार्च को मतदान होगा. इस चरण के चुनाव प्रचार में भी भाजपा, सपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत लगायी.
मुख्तार मऊ से कुल चार बार विधायक रह चुके हैं. पहली बार उन्होंने बीएसपी के टिकट पर विधानसभआ चुनाव जीता था. इसके बाद दो बार वह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे और जीते. वर्ष 2007 में उन्होंने फिर से बसपा ज्वॉइन की. आपराधिक गतिविधियों के चलते उन्हें बसपा ने 2010 में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके बाद उन्होंने अपने भाइयों के साथ मिलकर अपनी नई पार्टी कौमी एकता दल बनाई. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में मुख्तार ने कौमी एकता दल के टिकट पर मऊ सीट से जीत दर्ज की.
अंसारी पर नवंबर 2005 में अफजाल अंसारी को मोहम्मदाबाद से चुनाव हराने वाले बीजेपी नेता कृष्णा नंदन राय की हत्या का आरोप है. अंसारी इस मामले में ट्रायल का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा उन पर 40 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं.
बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का जनवरी, 2017 में बहुजन समाज पार्टी में विलय हो गया था. तभी बीएसपी ने मुख्तार अंसारी को मऊ सदर सीट से, मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को घोसी से और उनके भाई सिबगतउल्ला अंसारी को मुहम्मदाबाद यूसुफपुर सीट से पार्टी उम्मीदवार घोषित किया था. मुख्तार के बेटे अब्बास निशानेबाजी में राष्ट्रीय स्तर पर कई स्वर्ण पदक जीत चुके हैं.
इस सीट पर भाजपा ने राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी (भासपा) के उम्मीदवार को गठबंधन के तहत उतारा है. भासपा के जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में है उनका नाम है महेंद्र राजभर. महेंद्र 2012 के चुनाव में मुख्तार के साथ थे और उन्होंने अपनी बिरादरी के वोट दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. पर इस बार वे खुद उनके सामने हैं. पिछली बार भाजपा यहां चौथे नंबर पर थी.
सपा से जिलाध्यक्ष रहे बुनकर नेता अल्ताफ अंसारी लड़ रहे हैं जिन्हें पिछली बार 54 हजार वोट मिले थे.
मऊ सदर सीट के मतदान छठे चरण में होगा. छठे चरण में कुल 77 लाख 84 हजार महिलाओं समेत करीब एक करोड़ 72 लाख मतदाता, कुल 635 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला कर सकेंगे. इसके लिये 17 हजार 926 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं. वर्ष 2012 में इन सीटों में से सपा ने 27, बसपा ने नौ, भाजपा ने सात तथा कांग्रेस ने चार सीटें जीती थी, जबकि दो सीटें अन्य के खाते में गयी थीं. इस चरण में सबसे ज्यादा 23 उम्मीदवार गोरखपुर सीट पर मैदान में हैं, जबकि सबसे कम सात उम्मीदवार मऊ जिले की मोहम्मदाबाद गोहना सीट से किस्मत आजमा रहे हैं.
छठे चरण में नेपाल से सटे महराजगंज और कुशीनगर के साथ-साथ गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ तथा बलिया जिलों की 49 सीटों पर आगामी चार मार्च को मतदान होगा. इस चरण के चुनाव प्रचार में भी भाजपा, सपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत लगायी.
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