क्‍या संघर्षों से लड़ने वाली पूजा पाल के हिस्‍से इस बार लगेगी सफलता...

क्‍या संघर्षों से लड़ने वाली पूजा पाल के हिस्‍से इस बार लगेगी सफलता...

प्रतीकात्‍मक चित्र

उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में कई चेहरे उतरे हैं. इनमें से कई नाम ऐसे हैं जो कई कारणों से प्रमुख बनते हैं. इन्‍हीं में से एक है इलाहाबाद पश्चिमी सीट पर निर्वतमान विधायक पूजा पाल. पूजा ने जिस तरह राजनीति के गलियारों में सफलता पाई है, वह उन्‍हें भीड़ से अलग बनाता है. आईए नजर ड़ाले उनके सफर पर...

पूजा पाल, उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक हैं. बसपा से मौजूदा विधायक पूजा पाल ने बुरा वक्‍त भी देखा है. एक समय था जब वह हॉस्‍पिटल में पोछा लगाती थीं और उनके पिता पंक्‍चर बनाने थे.

लीक से हटकर हैं पूजा पाल
पूजा पाल ने जीवन में कई बदलाव देखे. कुछ अनजाने में तो कुछ खुद उन्‍होंने चुने. साल 2015 में जब उनकी सास का देहांत हुआ तो उन्‍होंने खुद अपनी सास को मुखाग्नि दी. जमाने के बंधनों को ताक पर लगाकर जो खुद को सही लगे वह करने वाली पूजा पॉल इस बार फिर बसपा के टिकट से चुनावी मैदान में हैं.

राजनीतिक सफर
पूजा के दिवंगत पति बीएसपी एमएलए राजू पाल की चुनाव से ठीक पहले हत्‍या कर दी गई थी. जिसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायवती ने पूजा पाल को टिकट दिया और पूजा इलाहाबाद पश्चिमी सीट से अतीक के भाई अशरफ को हराकर विधायक बनीं. साल 2012 में फिर बसपा की टिकट पर चुनाव लड़कर पूजा पाल विधानसभा पहुंचीं.
इन विधानसभा चुनावों में पूजा पाल का मुकाबला इलाहाबाद पश्चिमी सीट पर लालबहादुर शास्त्री के नाती और बीजेपी के सचिव सिद्धारथनाथ सिंह और सपा की ऋचा सिंह से है.


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