मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री राधाबिनोद कोईजाम इन विधानसभा चुनावों में बीजेपी के पाले में हैं. सितंबर, 2015 में बीजेपी ज्वॉइन करने से पहले वह अन्य कई पार्टियों में रह चुके हैं. वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष भी रहे. 2007 में उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर थंगमेबंद हिजम लेखई विधानसभा सीट से चुनाव जीता.
15 फरवरी, 2001 को उन्होंने मणिपुर के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. हालांकि उनकी सरकार बहुत छोटी अवधि (1 जून, 2001) के लिए रही. पीपुल्स डेमोक्रेटिक एलायंस की गठबंधन सरकार उसी वर्ष गिर गई.
राधाबिनोद कोईजाम ने वर्ष 1980 में एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया. उन्होंने यह चुनाव 22.64 फीसदी वोटों के अंतर से जीता. इसके बाद 1984 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस के टिकट पर भी उन्होंने 44.73 प्रतिशत मतों के अंतर से जीत दर्ज की.
हालांकि 1990 के चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने में नाकाम रहे. लेकिन 1995 में उन्होंने वापसी की और 46.16 प्रतिशत मतों के अंतर से चुनाव जीता. वर्ष 2000 में भी उन्होंने चुनाव जीता. वर्ष 2002 में वह कांग्रेस छोड़कर समता पार्टी में शामिल हो गए. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में वह हार गए. 2007 में उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की और चुनाव जीता.
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चार और आठ मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है. चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित किए जाएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी और ओ इबोबी सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
मणिपुर विधानसभा की 38 सीटों पर चार मार्च को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए कुल 168 उम्मीदवार मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी ने सभी 38 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के 37 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. साथ ही 14 निर्दलीय उम्मीदवार विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
बीजेपी की कोशिश है कि वो कांग्रेस के खिलाफ पैदा हुए एंटी इंकंबेंसी का फायदा उठाए. मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें घाटी में हैं. जबकि पहाड़ पर विधानसभा की 20 सीटें हैं. बीजेपी भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन के वादे के साथ इस बार मणिपुर में एक पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रही हैं.
प्रदेश की राजनीति में हमेशा मेतई समुदाय का ही दबदबा रहा है. मणिपुर की क़रीब 31 लाख जनसंख्या में 63 प्रतिशत मेतई है. मुख्यमंत्री इबोबी सिंह भी मेतई समुदाय से हैं.
बीजेपी यह कहती रही है कि कांग्रेस ने पहाड़ी क्षेत्र के विकास के लिए कोई काम नहीं किया.
15 फरवरी, 2001 को उन्होंने मणिपुर के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. हालांकि उनकी सरकार बहुत छोटी अवधि (1 जून, 2001) के लिए रही. पीपुल्स डेमोक्रेटिक एलायंस की गठबंधन सरकार उसी वर्ष गिर गई.
राधाबिनोद कोईजाम ने वर्ष 1980 में एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया. उन्होंने यह चुनाव 22.64 फीसदी वोटों के अंतर से जीता. इसके बाद 1984 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस के टिकट पर भी उन्होंने 44.73 प्रतिशत मतों के अंतर से जीत दर्ज की.
हालांकि 1990 के चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने में नाकाम रहे. लेकिन 1995 में उन्होंने वापसी की और 46.16 प्रतिशत मतों के अंतर से चुनाव जीता. वर्ष 2000 में भी उन्होंने चुनाव जीता. वर्ष 2002 में वह कांग्रेस छोड़कर समता पार्टी में शामिल हो गए. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में वह हार गए. 2007 में उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की और चुनाव जीता.
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चार और आठ मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है. चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित किए जाएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी और ओ इबोबी सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
मणिपुर विधानसभा की 38 सीटों पर चार मार्च को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए कुल 168 उम्मीदवार मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी ने सभी 38 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के 37 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. साथ ही 14 निर्दलीय उम्मीदवार विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
बीजेपी की कोशिश है कि वो कांग्रेस के खिलाफ पैदा हुए एंटी इंकंबेंसी का फायदा उठाए. मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें घाटी में हैं. जबकि पहाड़ पर विधानसभा की 20 सीटें हैं. बीजेपी भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन के वादे के साथ इस बार मणिपुर में एक पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रही हैं.
प्रदेश की राजनीति में हमेशा मेतई समुदाय का ही दबदबा रहा है. मणिपुर की क़रीब 31 लाख जनसंख्या में 63 प्रतिशत मेतई है. मुख्यमंत्री इबोबी सिंह भी मेतई समुदाय से हैं.
बीजेपी यह कहती रही है कि कांग्रेस ने पहाड़ी क्षेत्र के विकास के लिए कोई काम नहीं किया.
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