इरोम शर्मिला
इस बार थउबल विधानसभा सीट का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. वजह है यहां से इरोम शर्मिला का खड़ा होना. सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने थउबल विधानसभा सीट से पर्चा दाखिल किया है. पहली बार चुनाव लड़ रहीं शर्मिला ने पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलाइंस (पीआरजेए- (Peoples’ Resurgence and Justice Alliance)) की ओर से नामांकन पत्र दाखिल किया है. नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए इरोम ने अपने समर्थकों के साथ साइकिल पर इंफाल से 20 किलोमीटर की दूरी तय की और थाउबल पहुंचीं.
आयरन लेडी के नाम से मशहूर इरोम थउबल विधानसभा सीट से कांग्रेस नेता और राज्य के मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं. भाजपा ने एल बशंता सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है.
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए- अफस्पा के खिलाफ 16 वर्ष तक भूख हड़ताल पर रहीं शर्मिला को राज्य के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी समझा जा रहा है. शर्मिला ने अगस्त 2016 में अपनी भूख हड़ताल खत्म की थी.
पीआरजेए वैकल्पिक राजनीति के जरिये सूबे में प्रभाव कायम करने की कोशिश में जुटी है. वहीं वर्ष 2002, 2007 और 2012 में जीत हासिल करने वाले मणिपुर के तीन बार के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह की निगाहें चौथी बार जीत हासिल करने पर होगी.
अक्टूबर, 2016 में इरोम चानू शर्मिला ने पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिसका एक मात्र एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है.
मणिपुर विधानसभा चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहीं इरोम शर्मिला का कहना है कि उन्होंने विवादित कानून एएफएसपीए के खिलाफ अपनी लड़ाई छोड़ी नहीं है बल्कि इसे ख़त्म करवाने की रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है.
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चार और आठ मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है. चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित किए जाएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी और ओ इबोबी सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
आयरन लेडी के नाम से मशहूर इरोम थउबल विधानसभा सीट से कांग्रेस नेता और राज्य के मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं. भाजपा ने एल बशंता सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है.
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए- अफस्पा के खिलाफ 16 वर्ष तक भूख हड़ताल पर रहीं शर्मिला को राज्य के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी समझा जा रहा है. शर्मिला ने अगस्त 2016 में अपनी भूख हड़ताल खत्म की थी.
पीआरजेए वैकल्पिक राजनीति के जरिये सूबे में प्रभाव कायम करने की कोशिश में जुटी है. वहीं वर्ष 2002, 2007 और 2012 में जीत हासिल करने वाले मणिपुर के तीन बार के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह की निगाहें चौथी बार जीत हासिल करने पर होगी.
अक्टूबर, 2016 में इरोम चानू शर्मिला ने पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिसका एक मात्र एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है.
मणिपुर विधानसभा चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहीं इरोम शर्मिला का कहना है कि उन्होंने विवादित कानून एएफएसपीए के खिलाफ अपनी लड़ाई छोड़ी नहीं है बल्कि इसे ख़त्म करवाने की रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है.
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चार और आठ मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है. चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित किए जाएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी और ओ इबोबी सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
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