भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने जैसे ही फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप की 14वीं बाजी में डिंग लिरेन को हराया, वैसे ही उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई लेकिन यह सिर्फ थोड़े पल के लिए था, क्योंकि इसके तुरंत बाद उनकी आंखों में खुशी और इंतजार के आंसू थे. गुकेश ने सालों तक इस पल का इंतजार किया था. 11 साल की उम्र में उन्होंने सबसे युवा विश्व चैंपियन बनने का सपना देख था और आज वो पल आ ही गया. वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद गुकेश का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें यह आंखों में आंसू लिए, अपने मोहरों में वापस उनके स्थान पर रखता हुआ दिख रहा है.
गुकेश की 'यह प्रथा' हुई वायरल
सिंगापुर में हुए शतरंज चैंपियनशिप में जैसे ही उन्होंने खिताब जीता, वैसे ही उन्होंने ईश्वर का शुक्रिया अदा किया और फिर पेपर साइन किए. लेकिन पेपर साइन करने के साथ ही उनके चेहरे के भाव बदल गए. गुकेश की आंखों में आंसू आ गए थे. वो अपने दोनों हाथों से चेहरे को छुपाए दिखे. इसी भावुकता में सालों से चली आ रही प्रथा पर उनके लिए अमल करना भारी होता गया. भावुकता पल-पल उन्हें गिरफ्त में लेती गई और प्रथा को बीच में ही रोककर गुकेश खुशी में फूट-फूटकर रोने लगे.
A crying Gukesh arranging pieces back on the board as a part of his ritual. Ding made a blunder, and Gukesh took 2 mins to digest he is the new world champion. What amazing scenes! pic.twitter.com/ofr0dDndLv
— Gabbar (@GabbbarSingh) December 12, 2024
दरअसल, गुकेश की अपनी ही एक प्रथा है, जिसे वो हर बाजी जीतने के बाद अपनाते आए हैं. गुकेश जीतने के बाद सभी मोहरों को वापस उनकी जगह पर रखते रहे हैं.
गुकेश बने सबसे युवा चैंपियन
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश बृहस्पतिवार को यहां उतार-चढ़ाव से भरे खिताबी मुकाबले की रोमांचक 14वीं और आखिरी बाजी में गत चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को हराकर 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बने.
गुकेश ने 14 बाजी के इस मुकाबले की आखिरी क्लासिकल बाजी जीतकर खिताब जीतने के लिए जरूरी 7.5 अंक जुटाए जबकि लिरेन के नाम 6.5 अंक रहे. यह बाजी हालांकि अधिकांश समय ड्रॉ की ओर जाती दिख रही थी. खिताब जीतने के लिए गुकेश को 25 लाख डॉलर की इनामी राशि का बड़ा हिस्सा मिलेगा.
चेन्नई के गुकेश ने यहां ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद संवाददाताओं से कहा,"मैं पिछले 10 वर्षों से इस पल का सपना देख रहा था. मुझे खुशी है कि मैंने इस सपने को हकीकत में बदला." उन्होंने कहा,"मैं थोड़ा भावुक हो गया था क्योंकि मुझे जीत की उम्मीद नहीं थी. लेकिन फिर मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला."
जीत के बाद मितभाषी किशोर गुकेश के चेहरे पर बड़ी मुस्कान देखी जा सकती थी और उन्होंने जश्न में अपनी बाहें ऊपर उठाईं. बृहस्पतिवार को गुकेश की खिताबी जीत से पहले रूस के दिग्गज गैरी कास्पारोव सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन थे जिन्होंने 1985 में अनातोली कार्पोव को हराकर 22 साल की उम्र में खिताब जीता था.
गुकेश इस साल की शुरुआत में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने के बाद विश्व खिताब के लिए चुनौती पेश करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने थे. वह दिग्गज विश्वनाथन आनंद के बाद वैश्विक खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं. पांच बार के विश्व चैंपियन आनंद ने 2013 में मैग्नस कार्लसन को विश्व खिताब गंवा दिया था.
गुकेश ने कहा,"हर शतरंज खिलाड़ी इस सपने को जीना चाहता है. मैं अपना सपना जी रहा हूं." गुकेश ने चार घंटे में 58 चाल के बाद लिरेन के खिलाफ 14वीं बाजी जीती और कुल मिलाकर 18वें विश्व शतरंज चैंपियन बने.
(भाषा से इनपुट के साथ)
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