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This Article is From Jul 24, 2021

Olympic 2020: कुछ ऐसे मां ने पहचानी 12 साल की चानू के भीतर प्रतिभा, जानिए मीराबाई के बारे में 5 खास बातें

Olympic 2020: ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) के जीवन में एक समय ऐसा भी आया, जब उन्होंने संन्यास का फैसला ले लिया था, लेकिन एक बार फिर से बचपन में उनकी प्रतिभा पहचानने वालीं उनकी मां ने उनका फैसला बदल दिया. और परिणाम आज सामने है.

Olympic 2020: कुछ ऐसे मां ने पहचानी 12 साल की चानू के भीतर प्रतिभा, जानिए मीराबाई के बारे में 5 खास बातें
Olympic 2020: मीराबाई चानू ने पीड़ाकाल में देश को खुशी दी है
नई दिल्ली:

शनिवार को भारतीय खेल इतिहास में ऐसा दिन आया, जिसकी मिसाल हमेशा भारतीय खेल जगत में दी जाएगी. एक ऐसे दौर में जब कोविड-19 में देश बुरी तरह कराह रहा है, ऐसे मुश्किल समय में महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (Mirabai Chanu snatches silver in Olympic) ने इतिहास रचते हुए बारिश के मौसम में करोड़ों भारतीयों को खुशियों की बारिश में तर कर दिया. आम से लेकर खास तक का मीराबाई को बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया, तो 49 किग्रा भार वर्ग में पदक लाने वाली मीराबाई देखते ही देखते सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगीं और उन्हें हर बड़े प्लेटफॉर्म पर सर्च किया जाने लगा. फैंस उनके बारे में छोटी से छोटी जानकारी जानने के लिए आतुर थे. चलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं मीराबाई के बारे में अहम जानकारियां

मां ने सबसे पहले पहचाना टैलेंट
सैखोम मीराबाई चानू का जन्म नोंगपोक कैकचिंग (इंफामल, मणिपुर) में हुआ था. उनके परिवार ने चानू की प्रतिभा के बारे में तभी जान लिया था, जब वह अपने भाई के साथ जंगल से लकड़ी काट कर लाया करती थीं. तब वह सिर्फ 12 साल की थीं और उम्र में अपने से बड़े भाई से ज्यादा वजन उठाती थीं. तभी उनकी मां ने उनके भीतर की प्रतिभा को महसूस किया और वेटलिफ्टिंग की ओर जाने के लिए प्रेरित किया. हालांकि, मीराबाई के पिता उनके खेल से जुड़ने के खिलाफ थे, लेकिन मां की जिद के आगे उनकी नहीं चली. 

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संन्यास का फैसला लेकिन मां बीच में आ गयीं
मीराबाई चानू के लिए पिछला ओलिंपिक बहुत ही निराशा लेकर आया, जब क्लीन एंड जर्क कैटेगिरी में उनकी एक भी कोशिश सफल नहीं हुयी. चानू के तीनों प्रयास बेकार चले गए और यह इस मंच पर किसी खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी निराशा थी. चानू का कॉन्फिडेंस बुरी तरह से हिल गया था और उन्होंने खेल से संन्यास लेने का मन बना लिया था, लेकिन एक बार फिर से मां के आगे चानू की नहीं ही चली. उनकी मां ने उनका फैसला बदल दिया. तब से लेकर पदक जीतने तक चानू ने तपस्या की है. शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरा हो, जब पिछले चार  साल में उन्होंने ट्रेनिंग न की हो. 

एशियाई चैंपियनशिप से मिला भरोसा
बदले हुए कोच और ट्रेनिंग का साल साल 2021 में ताशकंद में हुयी एशियाई चैंपियनशिप में देखने को मिला. हालांकि, यहां भी मीराबाई के शुरुआती दो प्रयास बेकार गए, लेकिन उन्होंने क्लीन एंड जर्क में 119 किलो भार उठाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने के साथ ही कांस्य पदक जीता. और यह पदक मीराबाई को भरोसा दे गया कि वह ओलिंपिक में भी पदक पर निशाना साध सकती हैं. 

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राष्ट्रकुल खेलों में भी मचायी धूम
चानू ने साल 2014 में ग्लास्गो में हुए 48 किग्रा भार वर्ग में रजत पदक जीता था, जबकि इन्हीं खेलों में साल 2028 में गोल्ड कोस्ट में चानू ने खेलों का रिकॉर्ड भी तोड़ा. बहरहाल, ओलिंपिक से पहले उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि सा 2017 में अमरीका में हुयी विश्व चैंपियनशिप में आई, जब उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था. यह एक और प्रतियोगिता रही जब लगा कि चानू ओलिंपिक में भी पदक जीत सकती हैं और भारत सरकार और खेल मंत्रालय ने अलग-अलग स्कीमों के तहत उनकी हौसलाअफजाई में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी.

जीत चुकी हैं खेलरत्न और पद्मश्री
8 अगस्त को 1994 को जन्मीं मीराबाई विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रकुल खेलों में कई बार पदक जीत चुकी हैं. साल 2018 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेलरत्न से नवाजा था, तो वह देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री भी जीत चुकी हैं. 
 

VIDEO: प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने मीराबायी चानू को बधायी दी है. 

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