ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने शुक्रवार को डायमंड लीग (Diamond League 2022) के चैंपियन बन गए. उन्होंने ज्यूरिक में आयोजित इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के फाइनल में 88.44 मीटर का थ्रो फेंककर टॉप किया. इसी के साथ वो एक डायमंड लीग फाइनल (Diamond League Final) जीतने वाले पहले भारतीय बन गए. उनके उपलब्धियों में 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड और टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में गोल्ड के साथ डायमंड लीग ट्रॉफी शामिल हो गई. चोपड़ा को टोक्यो 2020 के सिल्वर मेडल विजेता जैकब वडलेज्चो (Jakub Vadlejch) की ओर से कड़ी टक्कर मिली, जिन्होंने 86.94 मीटर का अपना बेस्ट थ्रो किया.
जर्मनी के जूलियन वेबर (Julian Weber) 83.73 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
😍😍
— SAI Media (@Media_SAI) September 8, 2022
Victory Lap of Champions at #DiamondLeagueFinal 💎
🇮🇳's @Neeraj_chopra1 wins his 1st ever #DiamondLeague Trophy 🏆
Congratulations!#ZurichDL #DLFinal@IndiaSports @afiindia @Diamond_League@WorldAthletics @WeltklasseZH @Adille1 @SAI_Patiala @ddsportschannel @mygovindia pic.twitter.com/GuGVPJZOG5
Golds,Silvers done, he gifts a 24-carat Diamond 💎 this time to the nation 🇮🇳🤩
— Athletics Federation of India (@afiindia) September 8, 2022
Ladies & Gentlemen, salute the great #NeerajChopra for winning #DiamondLeague finals at #ZurichDL with 88.44m throw.
FIRST INDIAN🇮🇳 AGAIN🫵🏻#indianathletics 🔝
X-*88.44*💎-86.11-87.00-6T😀 pic.twitter.com/k96w2H3An3
वडलेज्चो ने अपने पहले थ्रो के साथ 84.15 मीटर का प्रयास करके बढ़त बनाई. नीरज का सबसे पहला थ्रो वैध नहीं था और भारतीय एथलीट के लिए यह अच्छी शुरुआत नहीं थी.
वडलेज्चो ने फिर अपने मौके को और बढ़ाने के लिए 86 मीटर थ्रो दर्ज किया, लेकिन नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में बढ़त बना ली, जिससे उन्हें जीत मिली.
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उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 88 मीटर फेंका, जबकि वडलेज्चो ने इस राउंड में फाउल थ्रो किया. वडलेज्चो ने अपने चौथे प्रयास में 86.94 मीटर थ्रो के साथ अपने प्रदर्शन में सुधार किया, जबकि नीरज ने 86.11 मीटर का थ्रो फेंका.
नीरज ने अपने पांचवें प्रयास में 87 मीटर फेंका, जिसका अर्थ है कि उनके पास तीन थ्रो थे जो उसे फाइनल में जीत दिलाते.
उन्होंने 83.60 मीटर के थ्रो के साथ खत्म किया, लेकिन उनका अंतिम प्रयास केवल एक औपचारिकता थी. भारत की पहली डायमंड लीग ट्रॉफी पहले ही सुरक्षित हो गई थी, जब उसके सभी प्रतियोगियों ने उसे पीछे छोड़े बिना थ्रो के अंतिम दौर को खत्म कर दिया था.
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