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मुंबई एयरपोर्ट पर गर्मजोशी से हुआ वर्ल्ड चैंपियन दिव्या देशमुख का स्वागत

Divya Deshmukh: मुंबई एयरपोर्ट पर दिव्या का स्वागत गर्मजोशी और गर्व के साथ किया गया और उनके इस दौरान उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि को सराहा गया.

मुंबई एयरपोर्ट पर गर्मजोशी से हुआ वर्ल्ड चैंपियन दिव्या देशमुख का स्वागत
Divya Deshmukh: मुंबई एयरपोर्ट पर गर्मजोशी से हुआ वर्ल्ड चैंपियन दिव्या देशमुख का स्वागत
  • फिडे महिला विश्व कप 2025 चैंपियन दिव्या देशमुख जब स्वदेश लौंटी तो मुंबई एयरपोर्ट पर उनका जोरदार स्वागत हुआ.
  • मुंबई एयरपोर्ट पर दिव्या का स्वागत गर्मजोशी और गर्व के साथ किया गया. उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि को सराहा गया.
  • दिव्या भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर हैं और यह उपलब्धि हासिल करने वाली चौथी भारतीय महिला हैं.
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Divya Deshmukh FIDE Women's World Cup 2025 Champion: फिडे महिला विश्व कप 2025 चैंपियन दिव्या देशमुख जब स्वदेश लौंटी तो मुंबई एयरपोर्ट पर उनका जोरदार स्वागत हुआ. दिव्या यह खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं. मुंबई एयरपोर्ट पर दिव्या का स्वागत गर्मजोशी और गर्व के साथ किया गया और उनके इस दौरान उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि को सराहा गया. 

महज 19 साल की उम्र में, दिव्या ने प्रतिष्ठित FIDE महिला विश्व कप 2025 चैंपियन का खिताब जीतकर और प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करके इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है. दिव्या भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर हैं और यह उपलब्धि हासिल करने वाली चौथी भारतीय महिला हैं. उनकी जीत वैश्विक शतरंज में भारत की बढ़ती प्रमुखता का एक शानदार उदाहरण है.

कोनेरू हम्पी को हराकर जीता खिताब

भारत की युवा शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने अपने करियर की सबसे बड़ी सफलता हासिल करते हुए बीते सोमवार को हमवतन और अपने से कहीं अधिक अनुभवी कोनेरू हम्पी को टाईब्रेकर में हराकर फिडे महिला विश्व कप का खिताब जीता. इस जीत से 19 साल की दिव्या ने ना सिर्फ यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीता बल्कि साथ ही ग्रैंडमास्टर भी बन गईं जो टूर्नामेंट की शुरुआत में असंभव लग रहा था.

वह ग्रैंडमास्टर बनने वाली सिर्फ चौथी भारतीय महिला और कुल 88वीं खिलाड़ी हैं. नागपुर की इस खिलाड़ी ने शनिवार और रविवार को खेले गए दो क्लासिकल मुकाबलों के ड्रॉ होने के बाद टाईब्रेकर में जीत दर्ज की. दो क्लासिकल बाजी ड्रॉ होने के बाद टाईब्रेकर का पहला समूह निर्णायक साबित हुआ जिसमें हम्पी ने अपना संयम खो दिया. 

विश्व कप और महिला विश्व चैंपियनशिप को छोड़कर हम्पी ने अंतरराष्ट्रीय शतरंज में सब कुछ जीता है लेकिन किस्मत या फिर अपने धैर्य के कारण विश्व कप खिताब जीतने में नाकाम रही हैं. दिव्या ने सोमवार को दृढ़ निश्चय दिखाया और इस जज्बे का बोनस ग्रैंडमास्टर खिताब था जो इस प्रतियोगिता के चैंपियन के लिए आरक्षित था.

सोमवार को समय नियंत्रित टाईब्रेकर की पहली बाजी में सफेद मोहरों से खेलते हुए दिव्या ने हम्पी को फिर से ड्रॉ पर रोका लेकिन दूसरी बाजी में काले मोहरों से खेलते हुए उन्होंने दो बार की विश्व रैपिड चैंपियन को हराकर जीत दर्ज की. दिव्या अब हम्पी, डी हरिका और आर वैशाली के साथ देश की ग्रैंडमास्टर बनने वाली महिलाओं की सूची में शामिल हो गई हैं.

हम्पी 38 साल की हैं और 2002 में ग्रैंडमास्टर बनीं जबकि दिव्या का जन्म 2005 में हुआ. दिव्या ऊर्जा से भरी थीं और उन्होंने शुरुआती टाईब्रेकर में हम्पी पर दबाव बनाए रखा और अपनी दिग्गज प्रतिद्वंद्वी को थका दिया और फिर दूसरे टाईब्रेकर में जीत दर्ज की.

पेट्रॉफ डिफेंस का इस्तेमाल करते हुए दिव्या ने हम्पी को पहली टाईब्रेक बाजी में बेहतर स्थिति में होने का मौका दे दिया था. हम्पी ने हालांकि समय के दबाव में गलती की और जल्द ही वह ऐसी स्थिति में पहुंच गईं जहां उनके पास दिव्या की रानी के खिलाफ एक रूक (हाथी), बिशप (ऊंट) और एक पॉन (प्यादा) था.

हालांकि स्थिति लगभग बराबरी की रही और अंत में हम्पी ने आसानी से ड्रॉ कर लिया. दूसरी बाजी में हम्पी ने कैटलन ओपनिंग का इस्तेमाल किया और दिव्या फिर से अच्छी तरह तैयार थीं. हम्पी ने 40वीं चाल में अपना आपा खो दिया और प्यादों को गंवाकर विरोधी खिलाड़ी पर आक्रमण करने की कोशिश की. दिव्या को हालांकि इससे अधिक मुश्किल नहीं हुई.

यह दिव्या का दिन था क्योंकि हम्पी के पास फिर से समय की कमी थी और उन्होंने फिर से गलती की जिससे सैद्धांतिक रूप से दिव्या की जीत की स्थिति बन गई. इस बाजी में दिव्या की किस्मत लंबे समय तक बराबरी और जीत के बीच झूलती रही जिसके बाद नागपुर की इस लड़की ने बाजी मार ली.

अपने से दोगुनी उम्र की प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ जीत के बाद भावुक दिव्या अपने आंसू नहीं रोक पाईं. हम्पी ने दिव्या के खिलाफ हारने से पहले आखिर तक संघर्ष किया. दिव्या ने कहा,"मुझे इसे (जीत को) समझने के लिए समय चाहिए. मुझे लगता है कि यह नियति की बात थी कि मुझे इस तरह ग्रैंडमास्टर का खिताब मिला क्योंकि इस (टूर्नामेंट) से पहले मेरे पास एक भी (ग्रैंडमास्टर) नॉर्म नहीं था और अब मैं ग्रैंडमास्टर हूं."

(भाषा से इनपुट के साथ)

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