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दुनिया के सबसे उम्रदराज एथलीट फौजा सिंह का निधन, 114 साल की उम्र में सड़क हादसे में गंवाई जान

Fauja Singh Dies At 114: दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन रनर का खिताब हासिल करने वाले फौजा सिंह का सोमवार को एक सड़क दुर्घटना में 114 साल की उम्र में निधन हो गया.

दुनिया के सबसे उम्रदराज एथलीट फौजा सिंह का निधन, 114 साल की उम्र में सड़क हादसे में गंवाई जान
Fauja Singh Dies At 114: दुनिया के सबसे उम्रदराज एथलीट फौजा सिंह का निधन
  • फौजा सिंह, जो दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक थे, 114 वर्ष की उम्र में जालंधर-पठानकोट हाईवे पर सड़क दुर्घटना में निधन हो गया.
  • उनका जन्म 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के ब्यास गांव में हुआ था और उन्होंने 89 वर्ष की उम्र में दौड़ना शुरू किया था.
  • फौजा सिंह ने लंदन, टोरंटो और न्यूयॉर्क सहित कई प्रमुख मैराथन में भाग लिया और 2011 में टोरंटो मैराथन में 100 वर्ष की उम्र में दौड़ लगाया था.
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Fauja Singh Dies At 114: दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन रनर का खिताब हासिल करने वाले फौजा सिंह का सोमवार को एक सड़क दुर्घटना में 114 साल की उम्र में निधन हो गया. उनका जन्म 1 अप्रैल, 1911 को जालंधर के ब्यास गांव में हुआ था. बीबीसी पंजाबी की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार दोपहर जालंधर-पठानकोट हाईवे पर एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी. उनके सिर पर गंभीर चोट लगी. इसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया. लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. शाम 7:30 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया. 

पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा,"प्रसिद्ध मैराथन धावक और लचीलेपन और आशा के स्थायी प्रतीक सरदार फौजा सिंह जी के निधन पर गहरा दुख हुआ. 114 साल की उम्र में भी, उन्होंने अपनी ताकत और प्रतिबद्धता से पीढ़ियों को प्रेरित करना जारी रखा. मुझे दिसंबर 2024 में उनके गांव ब्यास, जिला जालंधर से दो दिवसीय 'नशा मुक्त - रंगला पंजाब' मार्च के दौरान उनके साथ चलने का सम्मान मिला. तब भी, उनकी उपस्थिति ने आंदोलन को अद्वितीय ऊर्जा और भावना से भर दिया."

"यह जानकर बहुत दुख हुआ कि उन्होंने आज अपने गांव में एक दुखद सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा दी. हालांकि, उनकी विरासत एक स्वस्थ और नशा मुक्त पंजाब के लिए लड़ने वालों के दिलों में हमेशा जीवित रहेगी. उनके परिवार और दुनिया भर में प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना. उनकी आत्मा को शाश्वत शांति मिले."

फौजा सिंह का जन्म साल 1911 में पंजाब के बीसालपुर गांव में हुआ था. वे ब्रिटिश इंडिया में पैदा हुए और बाद में इंग्लैंड में जाकर बस गए.  फौजा सिंह के लिए उम्र कभी बाधा नहीं बनी. उनके बेटे कुलदीप और उनकी पत्नी की मृत्यु ने उन्हें जीवन में एक सार्थक विकल्प की तलाश करने के लिए मजबूर किया. 

89 साल की उम्र में उन्होंने दौड़ को गंभीरता से लिया. फौजा सिंह ने अपनी पहली दौड़, लंदन मैराथन, 2000 में दौड़ी थी. उनके गांव के पुराने लोग बताते हैं कि वह अपने गांव में "एक स्थान से दूसरे स्थान तक दौड़ने" के लिए प्रसिद्ध थे.

फौजा सिंह ने लंदन, टोरंटो और न्यूयॉर्क में नौ 26-मील (42-किलोमीटर) मैराथन में भाग लिया. उनका सर्वश्रेष्ठ समय टोरंटो में था, जहां उन्होंने पांच घंटे, 40 मिनट और चार सेकंड का समय निकाला. साल 2011 में टोरंटो मैराथन के समय उनकी उम्र 100 साल थी, जिसके बाद उन्हें 'द टर्बन टॉर्नेडो' के नाम से जाना जाने लगा.

वह 2004 एथेंस गेम्स और 2012 लंदन ओलंपिक के टॉर्च्बेरर थे, और कई साल पहले डेविड बेकहम और मुहम्मद अली जैसे खिलाड़ियों के साथ एक प्रमुख स्पोर्ट्स ब्रांड के विज्ञापन में दिखाई दिए थे. फौजा सिंह की आखिरी पेशेवर दौड़ 2013 में हांगकांग मैराथन थी, जब वे 101 साल के थे. इसके बाद उन्होंने पेशेवर दौड़ों से संन्यास ले लिया.

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