
मेलबर्न 1956 ओलंपिक (Olympic Games) में ऐतिहासिक चौथे स्थान पर रही भारतीय फुटबॉल की टीम अगुवाई करने वाले पूर्व कप्तान समर ‘बद्रू' बनर्जी (Samar Badru Banerjee) का लंबी बीमारी के बाद शनिवार तड़के कोलकाता में निधन हो गया. वह 92 साल के थे. 'बद्रू दा' के नाम से मशहूर बनर्जी अल्जाइमर, एजोटेमिया और उच्च रक्तचाप से संबंधित बीमारियों से पीड़ित थे. उन्हें कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद 27 जुलाई को एमआर बांगर अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
मोहन बागान (Mohun Bagan) के सचिव देबाशीष दत्ता ने बताया, “उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें राज्य के खेल मंत्री अरूप विश्वास की देखरेख में सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने तड़के करीब दो बजकर 10 मिनट पर अंतिम सांस ली.”
उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, “वह हमारे प्रिय 'बद्रू दा' थे और हमने उन्हें 2009 में मोहन बागान रत्न से नवाजा था. यह हमारे लिए एक और बड़ी क्षति है.” उनके पार्थिव शरीर को क्लब में लाया गया जहां सदस्यों और प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
Samar "Badru" Banerjee, a Former Captain of Indian Football as well as Mohun Bagan Ratna, Paid a Parting Visit to Our Club Tent. His Contribution towards Indian Football Will Always Be Treasured.#SamarBanerjee pic.twitter.com/LBqvxjwuYP
— Mohun Bagan (@Mohun_Bagan) August 20, 2022
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस महान खिलाड़ी के निधन पर ट्वीट कर शोक जताया.
Anguished by the demise of Samar Banerjee, renowned footballer and excellent sportsman.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 20, 2022
GoWB awarded him with the 'Lifetime Achievement Award' in 2016-17.
I offer my deepest condolences to his family and fans. He will continue to serve as an inspiration for many.
भारतीय फुटबॉल टीम (Indian Football Team) ने अब तक तीन ओलंपिक में भाग लिया है और बनर्जी के नेतृत्व वाली 1956 की टीम ने इन खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. तब भारतीय टीम कांस्य पदक के प्ले ऑफ में बुल्गारिया से 0-3 से हारकर चौथे स्थान पर रही. इस युग को भारतीय फुटबॉल का ‘स्वर्ण युग' माना जाता है.
पहले दौर में वॉकओवर पाने के बाद सैयद अब्दुल रहीम के मार्गदर्शन में खेल रही टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 4-2 से हराया. इस टीम में पीके बनर्जी, नेविल डिसूजा और जे 'किट्टू' कृष्णास्वामी भी थे. डिसूजा ने मैच में शानदार हैट्रिक लगाई. टीम अंतिम चार चरण में यूगोस्लाविया से 1-4 से हारकर फाइनल में जगह बनाने में विफल रही.
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) ने बनर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है. AIFF के कार्यवाहक महासचिव सुनंदो धर ने एक बयान में कहा, “यह सुनकर दुख हुआ कि भारत के सबसे महान फुटबॉलर में से एक बद्रू दा नहीं रहे. भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा.”
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धर ने कहा, “वह भारतीय फुटबॉल की स्वर्णिम पीढ़ी के पर्याय बने रहेंगे. बद्रू दा आप हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे.”
बनर्जी को सम्मान के प्रतीक के रूप में शनिवार को इम्फाल और कोलकाता में डूरंड कप मुकाबलों में एक मिनट का मौन रखा जाएगा.
मोहन बागान की अपने पहले डूरंड कप (1953), रोवर्स कप (1955) सहित कई ट्रॉफिया जीतने में मदद करने वाले बनर्जी ने एक खिलाड़ी (1953, 1955) के रूप में दो और कोच (1962) के रूप में एक बार संतोष ट्रॉफी भी जीती. वह भारतीय राष्ट्रीय टीम के चयनकर्ता भी रहे.
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