
- दिल्ली हाफ मैराथन 2005 में शुरू हुआ और अब तक 20 वर्षों में यह भारत का सबसे बड़ा और तेज़ हाफ मैराथन आयोजन बन चुका है.
- इस मैराथन में लगभग चालीस हजार प्रतिभागी विभिन्न दूरी की दौड़ जैसे हाफ मैराथन, ग्रेट दिल्ली रन, वरिष्ठ नागरिकों और व्हीलचेयर दौड़ में हिस्सा लेते हैं.
- डबल ओलिंपिक गोल्ड मेडल विजेता केन्या के एल्यूड किपचोगे भी इस मैराथन में भाग लेकर इसकी लोकप्रियता और रौनक बढ़ा चुके हैं.
Delhi Half Marathon 2025: 2005 में शुरू हुआ दिल्ली हाफ मैराथन अपने 20वें पड़ाव पर है. इसमें डबल ओलिंपिक गोल्ड मेडल विजेता केन्या के एल्यूड किपचोगे (2016 रियो और 2020 टोक्यो ओलिंपिक्स में गोल्ड मेडल) भी हिस्सा लेकर इसकी रौनक बढ़ा चुके हैं. दिल्ली हाफ मैराथन कोर्स को सबसे तेज़ हाफ मैराथन मार्गों में से एक माना जाता है. इस आयोजन में लगभग 40,000 प्रतियोगी हाफ मैराथन, 7 किमी ग्रेट दिल्ली रन, वरिष्ठ नागरिकों के लिए 4.3 किमी दौड़, और 3.5 किमी व्हीलचेयर दौड़ में हिस्सा लेते हैं.
12 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाले इस रेस के लिए रजिस्ट्रेशन से ठीक पहले प्रोकैम के ज्वाइंट एमडी और दिल्ली हाफ मैराथन के आयोजक विवेक सिंह से एनडीटीवी के स्पोर्ट्स एडिटर विमल मोहन ने बात की है और इस दौरान उन्होंने बताया कि कैसे फौजा सिंह ने लाखों मैराथन रनर को ना सिर्फ़ भारत में बल्कि दुनिया भर में लोगों को प्रेरणा दी है.
सवाल: मैराथन की बात हो रही है और सबसे पहले फौजा सिंह को लेकर आपसे पूछना चाहूंगा आपका जो उनके साथ इंटरैक्शन था, ख़ासकर तब जब वो मुंबई मैराथन के लिए आए थे, उस बारे में, उनकी शख़्सियत के बारे में बतायें.
विवेक सिंह: फौजा सिंह जी 2016 में मुंबई मैराथन के लिए आए थे. तब उनसे मेरी मुलाक़ात हुई थी. उनकी खूबी ये थी कि वो बेहद अनुशासित थे. जो भी उनसे मिलता था बगैर उनसे प्रभावित और प्रेरित हुए नहीं रह सकता था. मैराथन के प्रति उनका समर्पण कमाल का था. उन्होंने पूरी ज़िन्दगी उसको निभाया. डबल ओलिंपिक विजेता महान एल्यूड किपचोगे ने कहा था,"जो अनुशासित हैं, सही मायने में वही फ्री हैं, आज़ाद हैं." फौजा जी इस कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरते थे. उनका इस तरह देहांत होना तो बेहद अफ़सोस की बात है.
सवाल: फौजा कहते थे कि बगैर ट्रेनिंग के मैराथन मौत है, हर काम में एक तरह से ट्रेनिंग वो ज़रूरी मानते थे
विवेक सिंह: बिल्कुल, मैराथन में हिस्सा लेना ही बड़ी बात है. इसके लिए लोग कम से कम 3-4 महीने पहले से ट्रेनिंग करने लगते हैं. मैराथन की देश भर में लहर-सी है. पहले महिलाएं इसमें हिस्सा नहीं लेती थीं. अब 21% महिलाएं, हज़ारों महिलाएं हिस्सा लेने लगी हैं. और, कहते हैं कि जब एक महिला रेस में भागती है तो पूरा परिवार रेस में भागने लगता है. घर के खाने में बदलाव आने लगता है. इससे पूरे देश में सामाजिक क्रान्ति आने लगी है. ये बहुत अहम बात है.
सवाल: इस मैराथन से किस स्तर पर बदलाव देखने लगे हैं?
विवेक सिंह: वेदान्ता दिल्ली हाफ मैराथन ने तकरीबन 84 कोरड़ रुपये चैरिटी के लिए इकट्ठा किया है. ये मामूली बात नहीं है. दिल्ली हाफ मैराथन रनिंग का IPL है. IPL के बाद सबसे ज्यादा स्पॉन्सर पाने वाला स्पोर्टिंग इवेंट बन गया है दिल्ली हाफ मैराथन. ये दुनिया का ये है सबसे बड़ा हाफ मैराथन है. ये दिल्ली हाफ मैराथन का 20वां साल है. और, 2005 से लेकर अबतक इसमें 35,000 से ज़्यादा लोग और महिलाएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. ये मैराथन की क्रान्ति है.
सवाल: IPL के बाद यहां सबसे ज़्यादा स्पॉन्सर आ रहे हैं?
विवेक सिंह: बिल्कुल, यहां स्पॉन्सर तो आ ही रहे हैं. ये हिस्सेदारी वाली स्पोर्ट का IPL है. इसे गोल्ड स्टैन्डर्ड मिला है वर्ल्ड एथलेटिक्स बॉडी के द्वारा. इसका फायदा भी 300 से ज़्यादा चैरिटी ऑर्गेनाइजेशन उठा रहे हैं. इसने भारत को वर्ल्ड स्टेज पर ला दिया है.
सवाल: आपका टारगेट आख़िरकार क्या है?
विवेक सिंह: पूरी इंडिया दौड़ रही है. डिस्टेंस रनिंग भारत में सबसे तेज़ी से बढ़ता स्पोर्ट है. क़रीब 1000 नए लोग हर रोज़ दौड़ने को तैयार हो रहे हैं. इनमें कॉरपोरेट, स्टार्स, आम लोग सब हिस्सा ले रहे हैं. ये फिट इंडिया, खेलों की हिस्सेदारी का इंडिया की तस्वीर बन चुका है.
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