विज्ञापन
This Article is From Jun 19, 2016

बनारस में प्रदूषण के खतरे को लेकर सचेत हुए लोग, पीएम तक बात पहुंचाने के लिए चलाया पोस्टकार्ड अभियान

बनारस में प्रदूषण के खतरे को लेकर सचेत हुए लोग, पीएम तक बात पहुंचाने के लिए चलाया पोस्टकार्ड अभियान
वाराणसी: बनारस देश के शीर्ष 10 गंदे शहरों की सूची में शामिल है। वायु प्रदूषण तो यहां की हवा में जहर की तरह फैली हुई है। इससे कितना नुकसान पहुंच रहा है, इसके आंकड़े तब सामने आए, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय गुणवत्ता सूचकांक लागू किया। इसके सूचकांक बताते हैं कि बनारस की हवा खुली सांस लेने लायक नहीं रही। बनारस के अर्दली बाजार स्थित सूचकांक बताता है कि पीएम 10 की मात्रा का औसत 344 माइक्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर है। यह न्यूनतम 110 और अधिकतम 427 दर्ज किया गया, जबकि इसका स्तर 60 माइक्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर से कम होना चाहिए।

इसी तरह 10 माइक्रॉन से छोटे आकार के धूल के कण मानक से 7 गुना ज्यादा पाए गए। इसी क्रम में पीएम 2.5  की मात्रा का औसत 220 मिला। 24 घंटे में यह न्यूनतम 50 और अधिकतम 500 रिकॉर्ड किया गया, जबकि इसकी मात्रा 40 से कम होनी चाहिए। हवा में घुलते इस जहर के प्रति जब सरकारें उदासीन नज़र आईं, तो व्हीसल ब्लोवर ट्रस्ट की केयर फ़ॉर एयर टीम के बच्चे सड़क पर उतर आए। ये पिछले तीन दिनों से शहर में घूम-घूम कर लोगों को न सिर्फ जागरूक कर रहे हैं, बल्कि पोस्टकार्ड अभियान भी चला रहे हैं, जिसे वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाएंगे।

इसी कड़ी में बनारस के नगर निगम स्थित शहीद उद्यान में पोस्टकार्ड अभियान के तीसरे दिन लोगों को प्रदूषण से संबंधित सारे वैज्ञानिक तथ्यों से अवगत कराया गया। केयर फॉर एयर टीम के वॉलंटियरों द्वारा पार्क में मौजूद लोगों को बताया गया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा पिछले 2 वर्षों के दौरान जारी हुए आंकड़ों के अनुसार बनारस लगातार 5 सबसे ज्यादा प्रदूषित भारतीय शहरों में शामिल रहा है।
 

दिल्ली और चीन की राजधानी बीजिंग आदि का उदाहरण देते हुए केयर फ़ॉर एयर टीम के सदस्यों नें लोगों को बताया कि जो हालात दिल्ली के अंदर हैं, वही हालात आज से 10 वर्ष पहले चीन की राजधानी बीजिंग में थे। वहां जब लोगों ने यह बात समझ ली कि वायु प्रदूषण उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है, तब से उन्होंने प्रयास शुरू किए और तुलनात्मक रूप से एक बेहतर स्थिति में पहुंच सके।

इससे पहले हस्ताक्षर अभियान के दौरान वॉलंटियरों के माध्यम से पोस्टकार्ड पर लिखे गए तीन बिन्दुओं के बारे में भी आम लोगों को विस्तार से बताया गया। वॉलंटियरों नें बताया कि सार्वजनिक परिवहन बेहतर होने से परिवहन क्षेत्र का प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण बेहतर होगा। अब तक भारत में किए गए वैज्ञानिक शोधों से मालूम हुआ है कि हवा में कुल प्रदूषण का 10 प्रतिशत हिस्सा परिवहन क्षेत्र से पैदा होता है। सीएनजी की मांग भी परिवहन क्षेत्र को स्वच्छ ऊर्जा आधारित बनाने के लिए है। तीसरी मांग यह है कि बनारस में लगे एक स्टेशन से पूरे शहर की वायु गुणवत्ता की जानकारी जुटाना संभव नहीं है। ऐसे में शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में, स्टेशन बनाए जाएं, ताकि मिलने वाले आंकड़े ज्यादा विश्वसनीय हों।

उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण से 2013 में दुनिया भर में कुल 70 लाख मौतें हुईं। हाल ही में जारी एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में होने वाले हर तीन हार्ट अटैक में एक वायु प्रदूषण के कारण होता है। इसके अलावा, भारत में बच्चों में होने वाले अस्थमा, एलर्जी आदि की समस्याएं भी सीधे तौर पर वायु प्रदूषण से जुड़ी हुई हैं।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
वायु प्रदूषण, पॉल्यूशन, वाराणसी, बनारस, पोस्ट कार्ड अभियान, Air Pollution, Varanasi, Post Card Campaign
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com