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This Article is From Mar 28, 2017

मध्यप्रदेश : संतरे की बंपर पैदावार बनी मुसीबत, पांच रुपये किलो का भी नहीं मिल रहा भाव

मध्यप्रदेश : संतरे की बंपर पैदावार बनी मुसीबत, पांच रुपये किलो का भी नहीं मिल रहा भाव
उज्जैन: किसानों को संतरा के भाव पांच रुपये किलो भी नहीं मिल रहे हैं. जो आम तौर पर 25-30 रुपये किलो होता है जबकि बड़े शहरों मे यहीं 70-100 किलो बैठता है. खरीदार व्यापारी किसानों के बगीचे नहीं खरीद रहे और संतरा पूरी तरह से पक चुका है. अगर एक सप्ताह में संतरा नहीं बिका तो पूरी फसल जमीन पर गिरकर बर्बाद हो जाएगी.

30 साल पहले इलाके में संतरा खेती की शुरुवात हुई जिसका पौधा नागपुर महाराष्ट्र से लाया गया था. इस क्षेत्र की मिट्टी और पर्यावरण संतरा खेती के लिए उपयुक्त है जिसकी वजह से इसका उत्पादन इतना अधिक होता है. अभी तक सरकार ने ऐसा की क़दम नही उठाया जिससे संतरा किसानों को फायदा मिल सके. यह लगातार तीसरा साल है जिसमे संतरा किसान भारी नुकसान उठा रहे हैं. साल 2015 में किसानों को संतरा सड़क पर फैंकना पड़ा था तब भाव पचास पैसे किलो भी नही मिल पाया था. 2016 में ओला वृष्टि से फसल नष्ट हो गई थी और इस साल वापस भाव जमीन पर है.

सामान्यता बड़ा किसान ही संतरा खेती करता है क्योंकि इसका खर्च बहुत महंगा है. उत्तर प्रदेश , महारष्ट्र , दिल्ली , आंध्र प्रदेश , पश्चिम बंगाल के अलावा बांग्लादेश में यहां के संतरे की भारी मांग रहती है और आपूर्ति होता है. नोटबंदी का सीधा असर इस पर हुआ है क्योंकि यह पूरी तरह से नगद में बिकने वाली फसल है. साल में दो बार आने वाली फसल है. एक फसल नवम्बर-दिसम्बर में और दूसरी फरवरी-मार्च में. फरवरी-मार्च में आने वाली फसल में अगस्त महीने से ही फूल आना शुरू हो जाते हैं और उसके सौदे नवम्बर-दिसम्बर में. संतरा के बगीचे फ्लोवरिंग देखकर एडवांस नगदी देकर व्यापारी खरीद लेता है लेकिन इस बार नवम्बर में नोटबंदी की वजह से एडवांस सौदे नही हुए. किसानों के बगीचे नही बिके जिसका सीधा असर अब देखने को मिल रहा है.

 

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