इसरो असम में एक विशेष शोध केंद्र स्थापित करेगा..
गुवाहाटी:
अपने आधुनिक आविष्कारों और खोजों के कारण दुनिया भर में भारत का नाम स्वर्ण अच्छरों से लिखवाने वाला देश का अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) देश के विकास की ओर अपना एक और कदम बढ़ाते हुए शोध केन्द्र स्थापित करेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) स्टार्ट अप, अकादमिक जगत के लोगों, पर्यावरणविदों और उद्यमियों के लिए एक शोध केंद्र खोलेगा. अधिकारियों ने बताया कि इसरो ‘जियोस्पेटियल टेक्नोलॉजी’ का उपयोग करने की संभावना तलाशने के लिए असम में एक विशेष शोध केंद्र स्थापित करेगा. इसमें ‘ग्लोबल पोजीशनिंग टेक्नोलॉजी’ (जीपीएस), भोगौलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और उपग्रह रिमोट सेंसिंग के जरिए डेटा तैयार करना शामिल है.
वैज्ञानिकों का कहना है इससे असम के विकास में तेजी आएगी. गौरतलब है कि ‘जियोस्पेटियल टेक्नोलॉजी’ किसी खास स्थान के डेटा जुटाने से संबद्ध है. रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग सटीक बाढ़ चेतावनी प्रणाली, मिट्टी के कटाव और भूस्खलन आदि को रोकने में किया जाएगा.
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अधिकारियों के मुताबिक असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसरो अध्यक्ष एएस किरन कुमार से गुरुवार को एक बैठक में कहा कि राज्य सरकार शोध केंद्र के लिए इसरो को मुफ्त में भूमि मुहैया करेगी.
VIDEO : इसरो ने लॉन्च किया पीएसएलवी सी-38, सरहद पर रखेगा नजर
राज्य सरकार इसरो के साथ इस सिलसिले में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगी. सोनोवाल ने इसरो अध्यक्ष से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के साथ समन्वित करने का भी अनुरोध किया, ताकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल पूर्वोत्तर और अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के बीच सेतु के तौर पर किया जा सके.
(इनपुट भाषा से)
वैज्ञानिकों का कहना है इससे असम के विकास में तेजी आएगी. गौरतलब है कि ‘जियोस्पेटियल टेक्नोलॉजी’ किसी खास स्थान के डेटा जुटाने से संबद्ध है. रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग सटीक बाढ़ चेतावनी प्रणाली, मिट्टी के कटाव और भूस्खलन आदि को रोकने में किया जाएगा.
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अधिकारियों के मुताबिक असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसरो अध्यक्ष एएस किरन कुमार से गुरुवार को एक बैठक में कहा कि राज्य सरकार शोध केंद्र के लिए इसरो को मुफ्त में भूमि मुहैया करेगी.
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राज्य सरकार इसरो के साथ इस सिलसिले में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगी. सोनोवाल ने इसरो अध्यक्ष से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के साथ समन्वित करने का भी अनुरोध किया, ताकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल पूर्वोत्तर और अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के बीच सेतु के तौर पर किया जा सके.
(इनपुट भाषा से)
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