फाइल फोटो
शिलांग:
सेना ने मेघालय की राजधानी शिलांग में फिर हिंसा भड़कने के बाद सोमवार को फ्लैग मार्च किया. वहां अधिकारियों ने फिर से कर्फ्यू लगा दिया है. यह कदम रविवार रात सीआरपीएफ के शिविर पर प्रदर्शनकारियों के हमला करने के बाद उठाया गया. शिलांग में सीआरपीएफ की 15 से अधिक कंपनियां (प्रत्येक कंपनी में 100 जवान) तैनात की गई हैं. केंद्र ने शहर में शांति बहाल करने के लिये अर्द्धसैनिक बलों की 10 अतिरिक्त कंपनियां भी भेजीं. वहां लगातार चौथे दिन स्थानीय आदिवासियों और पंजाबियों के बीच झड़प के बाद सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा. आठ घंटे के लिये कल कर्फ्यू में ढील दिये जाने के बाद कल रात नये सिरे से संघर्ष हुआ. इसके बाद पुलिस को भीड़ को शांत करने के लिये आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा. अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने रविवार रात मवलाई में सीआरपीएफ शिविर पर पथराव किया.
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यह शिविर जयाव लुमसिंथ्यू इलाके के ठीक नीचे है. सीआरपीएफ के आईजी प्रकाश डी ने कहा कि सीआरपीएफ के तीन जवानों को मामूली चोट आई और शिविर में ही उनका उपचार हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल उनकी जान को खतरा नहीं है और शिविर में संपत्ति को क्षति पहुंचने की कोई सूचना नहीं है.’’ अधिकारियों ने बताया कि कर्फ्यू सोनवार शाम चार बजे फिर से लगाया गया और अगले आदेश तक यह जारी रहेगा. मुख्यमंत्री कोनराड एस संगमा ने हिंसा के संबंध में शिलांग में एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की और एक समिति के गठन की घोषणा की. यह समिति बड़ा बाजार के निकट देम मीटर से स्वीपर कॉलोनी को दूसरी जगह ले जाने के लंबे समय से लंबित मुद्दे का स्थायी समाधान ढूंढेगी. वहां गुरुवार को संघर्ष हुआ था.
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संगमा ने पंजाब सरकार द्वारा भेजे गए चार सदस्यीय दल को भी स्थिति से अवगत कराया. पंजाब के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि राज्य में सिख समुदाय के लोग सुरक्षित हैं. वे पंजाबी समुदाय के प्रतिनिधियों से कल मिलेंगे। रक्षा प्रवक्ता रत्नाकर सिंह ने बताया कि सेना ने लैतुमखराह, पोलो और बड़ा बाजार समेत प्रभावित क्षेत्रों में सोमवार को फ्लैग मार्च किया. उन्होंने कहा कि सेना को एक जून को बुलाया गया था. सिंह ने कहा कि तकरीबन 300 विस्थापित लोगों को बचाया गया और वे अगले दिन अपने घर लौट आए. विस्थापितों में ज्यादातर महिलाएं एवं बच्चे थे. जिला अधिकारी ने हालात पर नियंत्रण करने और शहर के अन्य हिस्से में प्रदर्शन फैलने से रोकने के लिये प्रदेश की समूची राजधानी में कर्फ्यू लगा दिया है.
यह भी पढ़ें: शिलांग में कर्फ्यू के बाद भी कई इलाकों में भड़की हिंसा, सेना ने 500 से ज्यादा लोगों को बचाया
ईस्ट खासी हिल्स जिले के उपायुक्त ने कहा कि प्रदेश की राजधानी में रात का कर्फ्यू का समय रात 10 बजे से पहले करके शाम चार बजे कर दिया गया जब खुफिया सूचना में संकेत मिले कि तकरीबन 500 प्रदर्शनकारी शहर में घुस गए हैं.
उन्होंने कहा कि कर्फ्यू में कल कुछ घंटे की ढील दी गई थी लेकिन अगले आदेश तक यह जारी रहेगा. सीआरपीएफ आईजी ने बताया कि विभिन्न स्थानों पर सीआरपीएफ की 15 कंपनियां तैनात की गई हैं, जिनकी पहचान जिले के अधिकारियों ने हमले के लिये संवेदनशील क्षेत्र के तौर पर की थी. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) संघर्ष की जांच के लिये एक सदस्य को शिलांग भेजेगा. एनसीएम अध्यक्ष सैयद घायोरूल हसन रिजवी ने बताया कि आयोग ने पंजाब से अपने सदस्य मनजीत सिंह राय को हालात का जायजा लेने के लिये शिलांग भेजने का फैसला किया है.
VIDEO: शिलांग में ताजा झड़पों के बाद सेना का फ्लैग मार्च
समस्या तब शुरू हुई थी जब शहर के पंजाबी लाइन इलाके में लोगों के दो समूहों के बीच संघर्ष हुआ. यह घटना तब हुई थी जब लोगों के समूह ने एक बस कर्मचारी की कथित तौर पर पिटाई की थी. हिंसा में पुलिसकर्मियों समेत 10 से अधिक लोग घायल हुए. इस हमले के सिलसिले में अब तक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है.
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यह शिविर जयाव लुमसिंथ्यू इलाके के ठीक नीचे है. सीआरपीएफ के आईजी प्रकाश डी ने कहा कि सीआरपीएफ के तीन जवानों को मामूली चोट आई और शिविर में ही उनका उपचार हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल उनकी जान को खतरा नहीं है और शिविर में संपत्ति को क्षति पहुंचने की कोई सूचना नहीं है.’’ अधिकारियों ने बताया कि कर्फ्यू सोनवार शाम चार बजे फिर से लगाया गया और अगले आदेश तक यह जारी रहेगा. मुख्यमंत्री कोनराड एस संगमा ने हिंसा के संबंध में शिलांग में एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की और एक समिति के गठन की घोषणा की. यह समिति बड़ा बाजार के निकट देम मीटर से स्वीपर कॉलोनी को दूसरी जगह ले जाने के लंबे समय से लंबित मुद्दे का स्थायी समाधान ढूंढेगी. वहां गुरुवार को संघर्ष हुआ था.
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संगमा ने पंजाब सरकार द्वारा भेजे गए चार सदस्यीय दल को भी स्थिति से अवगत कराया. पंजाब के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि राज्य में सिख समुदाय के लोग सुरक्षित हैं. वे पंजाबी समुदाय के प्रतिनिधियों से कल मिलेंगे। रक्षा प्रवक्ता रत्नाकर सिंह ने बताया कि सेना ने लैतुमखराह, पोलो और बड़ा बाजार समेत प्रभावित क्षेत्रों में सोमवार को फ्लैग मार्च किया. उन्होंने कहा कि सेना को एक जून को बुलाया गया था. सिंह ने कहा कि तकरीबन 300 विस्थापित लोगों को बचाया गया और वे अगले दिन अपने घर लौट आए. विस्थापितों में ज्यादातर महिलाएं एवं बच्चे थे. जिला अधिकारी ने हालात पर नियंत्रण करने और शहर के अन्य हिस्से में प्रदर्शन फैलने से रोकने के लिये प्रदेश की समूची राजधानी में कर्फ्यू लगा दिया है.
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ईस्ट खासी हिल्स जिले के उपायुक्त ने कहा कि प्रदेश की राजधानी में रात का कर्फ्यू का समय रात 10 बजे से पहले करके शाम चार बजे कर दिया गया जब खुफिया सूचना में संकेत मिले कि तकरीबन 500 प्रदर्शनकारी शहर में घुस गए हैं.
उन्होंने कहा कि कर्फ्यू में कल कुछ घंटे की ढील दी गई थी लेकिन अगले आदेश तक यह जारी रहेगा. सीआरपीएफ आईजी ने बताया कि विभिन्न स्थानों पर सीआरपीएफ की 15 कंपनियां तैनात की गई हैं, जिनकी पहचान जिले के अधिकारियों ने हमले के लिये संवेदनशील क्षेत्र के तौर पर की थी. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) संघर्ष की जांच के लिये एक सदस्य को शिलांग भेजेगा. एनसीएम अध्यक्ष सैयद घायोरूल हसन रिजवी ने बताया कि आयोग ने पंजाब से अपने सदस्य मनजीत सिंह राय को हालात का जायजा लेने के लिये शिलांग भेजने का फैसला किया है.
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समस्या तब शुरू हुई थी जब शहर के पंजाबी लाइन इलाके में लोगों के दो समूहों के बीच संघर्ष हुआ. यह घटना तब हुई थी जब लोगों के समूह ने एक बस कर्मचारी की कथित तौर पर पिटाई की थी. हिंसा में पुलिसकर्मियों समेत 10 से अधिक लोग घायल हुए. इस हमले के सिलसिले में अब तक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है.
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