
- मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में कैंडल मार्च के दौरान छात्रों ने विवादित नारे लगाए थे
- पुलिस ने इस कार्यक्रम में शामिल नौ छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है
- जांच में डिजिटल डिवाइस मिले हैं जिनमें संदिग्ध लिटरेचर और सोशल मीडिया चैट्स भी शामिल हैं
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) एक बार फिर सुर्खियों में है. कैंपस में हुए एक विवादित कार्यक्रम को लेकर पुलिस ने 9 छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. बताया जा रहा है कि इन छात्रों ने कैंपस में कैंडल मार्च निकालते हुए “उमर खालिद को रिहा करो” और “शरजील इमाम को रिहा करो” जैसे नारे लगाए थे.
पुलिस जांच में सामने आया है कि यह पूरा कार्यक्रम दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जी.एन. साईबाबा की बरसी के बहाने आयोजित किया गया था. सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को जांच के दौरान कुछ डिजिटल डिवाइस मिले हैं, जिनमें लिटरेचर और कुछ प्राइवेट सोशल मीडिया ग्रुप्स से जुड़ी चैट्स मिली हैं. इन डिवाइसों में मिले डेटा को पुलिस स्कैन कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसमें कोई संदिग्ध या भड़काऊ सामग्री तो नहीं है.
पुलिस को शक है कि इन छात्रों का संबंध कुछ “फ्रंटल अर्बन ऑर्गनाइजेशन” से हो सकता है. ये संगठन आम तौर पर झुग्गी-बस्तियों में जाकर लोगों से बातचीत करते हैं और सरकार की नीतियों के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करते हैं. कहा जा रहा है कि ये संगठन गरीब तबके के उन युवाओं को चिन्हित करते हैं जिनमें बोलने और समझाने की क्षमता होती है. बाद में उन्हें आर्थिक और शैक्षणिक मदद देकर तैयार किया जाता है, ताकि आगे चलकर वही युवा मैदान में उतरकर दूसरे लोगों को भी प्रभावित कर सकें.
सूत्रों ने यह भी बताया कि पुलिस ने TISS के सुरक्षा कर्मियों के बयान दर्ज किए हैं. सुरक्षा गार्ड्स ने पुष्टि की है कि उन्होंने कैंपस में “उमर खालिद को रिहा करो” और “शरजील इमाम को रिहा करो” जैसे नारे सुने थे.
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