गौठान में गोबर से बन रहा है जैविक खाद और लकड़ी, इनकम में हो रहा जबरदस्त इजाफा

नगर पालिक निगम, अम्बिकापुर के शहरी गौठान घुटरापारा में नियमित रूप से गोबर की खरीदी की जा रही है, जिससे कई प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं.

गौठान में गोबर से बन रहा है जैविक खाद और लकड़ी, इनकम में हो रहा जबरदस्त इजाफा

अंबिकापुर:  नगर पालिक निगम, अम्बिकापुर के शहरी गौठान घुटरापारा में नियमित रूप से गोबर की खरीदी की जा रही है, जिससे कई प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं. जिससे गौठान की इनकम में जबरदस्त इजाफा हुआ है. अम्बिकापुर का यह गौठान महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा संचालित है, इसमें 35 महिलाओं का समूह कार्य करता है. ये महिलाएं गोबर से जैविक खाद, खाना बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला कंडा, मुक्तिधाम में उपयोग होने वाली गोबर की लकड़ी और अब पेंट बना रही हैं.

लगभग पांच एकड़ भूमि में संचालित इस गौठान में गोबर खरीदने से लेकर अलग-अलग प्रोडक्ट बनाने की युनिट भी अलग है. यहां काम करने वाली रेखा बताती हैं कि शहरी गौठान का मुख्य गोबर खरीदी केन्द्र घुटरापारा गौठान है. यहां प्रतिदिन 60 क्विंटल गोबर खरीदा जाता है, जिसका भुगतान हर 15 दिनों में ऑनलाइन होता है.

5olfvtc

शहरी गौठान घुटरापारा के सुपरवाइजर बिंदेश्वर सिंह बताते हैं कि जो गोबर खरीदा जाता है उसके पश्चात उससे सबसे पहले वर्मी कंपोस्ट खाद बनाया जाता है, इस खाद की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, खास तौर पर धान फसल लगाने के समय इसे पंचायतों में भेज दिया जाता है.

8mmdv088

वहीं, खाना पकाने में इस्तेमाल किए जाने वाले कंडों की मांग भी बढ़ी है. इसके साथ ही मुक्तिधाम के लिए गोबर से निर्मित लकड़ी बनाई जा रही है. उन्होंने बताया कि यहा काम करने वाली 35 महिलाओं को प्रतिमाह 6-6 हजार रुपये वेतन दिया जाता है. 

oqvht3fg
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

श्री सिंह ने बताया कि गोबर से बनने वाले पेंट की मशीन अब चालू हो गई है, वहीं वर्तमान में गौठान में लगभग 2000 क्विंटल वर्मी खाद तैयार है, तथा 900  क्विंटल गोबर वर्मी पिट तैयार है. गौठान में नियमित रूप से समूहों की ओर से पाली गई 10 गाय व बछड़े है. इसके अलावा समय-समय पर निगम के द्वारा आवारा मवेशियों को पकड़कर गौठान लाया जाता है, जिनके चारे के लिए लगभग 02 एकड़ भूमि पर नेपियर घास गौठान में ही लगाई गई है. भूसा, खली व नमक सहित अन्य समान, अतिरिक्त रूप से मवेशियों की संख्या के आधार पर उपलब्ध कराया जाता है. गौठान नियमित रूप से संचालित हो रहा है.