एमपी ट्रांसको (मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी) ने नवाचार करते हुए प्रदेश के कुछ चुनिंदा 132 केव्ही एआईएस (एक्सट्रा हाई टेंशन एयर इंसूलेटेड स्विच गेयर सबस्टेशनों) को रिमोट से संचालित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है. प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने बताया कि एमपी ट्रांसको के जबलपुर स्थित 132 केव्ही सबस्टेशन माढ़ोताल को रिमोट से नियंत्रित और संचालित करने का पहला चरण पूरा कर लिया गया है.
तोमर ने बताया कि यह प्रदेश का पहला ऐसा पुराना एआईएस (एयर इंसूलेटेड स्विच गेयर) सबस्टेशन है जिसे मानवरहित आपरेशन करने की तकनीक के तहत रिमोट (नजदीक के 220 केव्ही सबस्टेशन जबलपुर) से नियंत्रित और संचालित किया जाएगा.
मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी शशिकांत ओझा ने जानकारी दी कि, इस माह सेवानिवृत्त हो रहे अतिरिक्त मुख्य अभियंता एसव्ही वझे को प्रबंध संचालक इंजीनियर सुनील तिवारी ने सम्मान देते हुए 220 केव्ही सबस्टेशन जबलपुर से रिमोट आपरेशन का पहला क्लिक करने का गौरव दिया. ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने इस सफलता के लिए एम पी ट्रांसको को बधाई दी है.
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा प्रदेश के तीन पुराने सबस्टेशनों को रिमोट (मानव रहित सबस्टेशन) से संचालित करने का कार्य प्रयोग के तौर पर किया जा रहा है. जबलपुर ऐसा पहला सबस्टेशन है जहां इस प्रोजेक्ट का पहला चरण पूरा कर लिया गया है. अन्य सबस्टेशनों में भोपाल का 132 केव्ही सबस्टेशन अयोध्या नगर तथा इंदौर में 132 केव्ही सत्यसांई सबस्टेशन शामिल है, जिन्हें मानवरहित आपरेशन (रिमोट) से संचालित करने का कार्य प्रगति पर है.
एसएएस (सबस्टेशन ऑटोमेशन सिस्टम) के इन सब स्टेशनों को एमपी ट्रांसको में नई टेक्नालॉजी के एडॉप्शन के तहत बनाया गया है. इस अत्याधुनिक तकनीक के उपयोग से जहां फाल्ट एनॉलिसिस शीघ्रता से हो सकेगा वहीं रिस्टोरेशन टाइम में भी कमी आएगी.
इनहाउस डेवलप तकनीक ने किया काम आसान
रिमोट ऑपरेशन के लिए एमपी ट्रांसको के ओपीजी डब्ल्यू (फायबर आप्टिक ग्राउंड वायर) सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है. यह फाइबर आप्टिक नेटवर्क सिस्टम एमपी ट्रांसको द्वारा इनहाउस डेवलप किया गया है. एचएमआई (ह्यूमन मशीन इंटरफेस) तकनीक के सहारे सबस्टेशन में रिमोट ऑपरेशन करने में सफलता हासिल हो सकी है.
एमपी ट्रांसको के मुख्य अभियंता प्रवीण कुमार गार्गव और अतिरिक्त मुख्य अभियंता मनीष खरे ने इस इनहाउस नवाचार की रुपरेखा तैयार करने और क्रियान्वयन करवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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