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This Article is From Nov 06, 2019

पुलिस कर्मियों को निर्देश, एससी-एसटी व्यक्तियों से पुलिस अभिरक्षा में मारपीट न की जाए

मध्यप्रदेश पुलिस की एडवाइजरी सुर्खियों में, बहुत जरूरी न होने पर हिरासत में न लेने का निर्देश भी जारी किया गया

पुलिस कर्मियों को निर्देश, एससी-एसटी व्यक्तियों से पुलिस अभिरक्षा में मारपीट न की जाए
प्रतीकात्मक फोटो.
भोपाल:

मध्यप्रदेश पुलिस की एक एडवाइजरी इन दिनों सुर्खियों में है. राज्य के पुलिस महानिदेशक वीके सिंह की ओर से जारी की गई इस एडवाइजरी में राज्य पुलिस बल को निर्देश दिया है कि वे पुलिस अभिरक्षा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों के साथ अभद्र व्यवहार या मारपीट न करें. इसके साथ बहुत जरूरी न होने पर हिरासत में न लेने का निर्देश भी जारी किया गया है.
       
डीजीपी ने सभी अतिरिक्त महानिदेशकों (एडीजी), डीआईजी और सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश 4 नवंबर को जारी किए गए थे. इस निर्देश में लिखा है कि हाल में कुछ घटनाएं प्रकाश में आई हैं, जिसमें पुलिस हिरासत के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के वक्तियों के साथ अभद्र व्यवहार और मारपीट किए जाने का मामला सामने आया है. इन घटनाओं को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा गंभीर आपत्ति व्यक्त की गई है. ऐसे में भविष्य में किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी विधि के सुसंगत प्रावधानों और प्रक्रिया का पूर्णत: पालन करते हुए की जाए. साथ ही पुलिस हिरासत में किसी भी अऩुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के व्यक्ति के साथ अभद्र व्यवहार और मारपीट न की जाए.
    
परिपत्र में यह भी निर्देश दिया गया है कि SC/ST व्यक्तियों को केवल तभी हिरासत में लिया जाएगा जब यह मौजूदा कानूनी प्रावधानों के तहत महत्वपूर्ण है.

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने हाल ही में राज्य के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के नानपुर पुलिस स्टेशन से संबंधित अगस्त 2019 के मामले को उठाया था, जहां पांच आदिवासी युवकों की कथित रूप से पिटाई की गई थी और पुलिस हिरासत में पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया था.

इस मामले में संपर्क किए जाने पर, राज्य के गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा कि राष्ट्रीय आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं. वहीं इस मामले में पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि डीजीपी का ये खत साबित कर रहा है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था खराब है. मुख्यमंत्री को इस मामले में सफाई देनी चाहिए.

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