मध्य प्रदेश की राजनीति में बवाल मचा हुआ है. यहां सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पशोपेश में हैं. दरअसल पार्टी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) यहां अपनी ही सरकार के विरोध में खड़े नजर आ रहे हैं. खुद को जनता का सेवक बताने वाले सिंधिया सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की बात कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एक जनसभा में अतिथि शिक्षकों को संबोधित करते हुए वादे पूरे न होने पर राज्य सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की बात कही थी. जिसके बाद सूबे के मुखिया कमलनाथ (CM Kamal Nath) ने इस बारे में पूछे गए सवाल पर कहा था, 'तो उतर जाएं.' अब एक बार फिर सिंधिया ने राज्य सरकार को चेताते हुए अपनी बात दोहराई है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मैं जनता का एक सेवक हूं. जनता के मुद्दों के लिए लड़ाई लड़ना मेरा धर्म है. हमने एक साल धैर्य रखा. इसके बाद अगर घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं किया जाता है तो हम सड़कों पर प्रदर्शन करने से जरा भी नहीं झिझकेंगे.'
बताते चलें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अतिथि शिक्षकों को संबोधित करते हुए जनसभा में कहा था, 'आपकी मांग मैंने चुनाव के पहले भी सुनी थी. मैंने आपकी आवाज उठाई थी और ये विश्वास मैं आपको दिलाना चाहता हूं कि आपकी मांग जो हमारी सरकार के घोषणापत्र में अंकित है वो घोषणापत्र हमारे लिए हमारा ग्रंथ है. अगर उस घोषणापत्र का एक-एक अंग पूरा न हुआ तो अपने को सड़क पर अकेले मत समझना. आपके साथ सड़क पर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उतरेगा. सरकार अभी बनी है, एक साल हुआ है. थोड़ा सब्र हमारे शिक्षकों को रखना होगा. बारी हमारी आएगी, ये विश्वास, मैं आपको दिलाता हूं और अगर बारी न आई तो चिंता मत करो, आपकी ढाल भी मैं बनूंगा और आपकी तलवार भी मैं बनूंगा.'
सीएम कमलनाथ से जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'घोषणापत्र पांच साल के लिए होता है. ये पांच महीने का नहीं होता है.' गौरतलब है कि कांग्रेस के भीतर ही दो दिग्गजों की इस लड़ाई में नेताओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया भी मिल रही है. कुछ नेताओं ने जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन किया तो कुछ नेताओं का मानना है कि दोनों को पार्टी के भीतर अपने आंतरिक मतभेदों को साथ मिलकर हल करना होगा.
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