छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में बिना अनुमति के 150 साल पुराना पीपल का पेड़ काट दिया गया. इससे यहां रहने वाले करीब 200 पक्षियों की मौत हो गई. लेकिन हद तो ये है कि कोई संबंधित विभाग जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. इसकी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाली जा रही है. पेड़ को काटने से उस पर रहने वाले पक्षी और उनके बच्चे सड़क और घरों पर गिरे और तड़प-तड़प कर मर गए. पेड़ पर पक्षियों के घोंसले करीब 40 से 50 फीट की ऊंचाई पर थे.
धमतरी में मंगलवार को बिना अनुमति के सदर मार्ग पर स्थित करीब 150 साल पुराना पीपल का पेड़ काट दिया गया. इस बात की सूचना वन विभाग को नहीं थी. बिना अनुमति के पेड़ को किसने कटवाया, यह जानकारी किसी को भी नहीं है.
जानकारी मिली है कि ग्राम लोहरसी से आए कुछ युवकों ने मिलकर जेसीबी की मदद से पेड़ को काटा है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जहां यह पेड़ काटा गया वहां से 300 मीटर की दूरी पर ही वन विभाग का कार्यालय है, फिर भी वन विभाग इतने बड़े पेड़ की कटाई से अनजान है. लगातार पांच घंटे तक शहर में बिजली आपूर्ति बंद रही और इसी दौरान वृक्ष को काटा गया.
सूत्रों के मुताबिक पेड़ को सदर के एक व्यापारी ने कुछ लोगों के सहयोग से अवैध तरीके से कटवाया है. उनका कहना है कि पक्षी पेड़ पर रहकर आसपास गंदगी करते थे, जिसकी वजह से बच्चे बीमार हो रहे थे, उन्हें काफी परेशानी भी हो रही थी. उनका यह भी कहना है कि वन विभाग में आवेदन दिया गया था, लेकिन विभाग द्वारा पेड़ को नहीं कटवाया गया. अब पेड़ को कटे हुए दो दिन से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन विभाग मीडिया की खबरों के बाद मौके पर जांच करने के लिए पहुंचा है.
मौके पर बिजली विभाग की टीम के अलावा सड़क से पेड़ हटाने निगम के कुछ कर्मचारी भी मौजूद थे. राजस्व, निगम, बिजली और वन विभाग के अफसर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं.
इस पेड़ की कटाई को रोकने पहुंचे विजय गोलछा ने इसका विरोध भी किया लेकिन लोगों ने उनकी बात नहीं मानी. उनका कहना है कि जिसने भी यह गलती की है, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
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