दिल्ली के राज्य निर्वाचन आयुक्त एस के श्रीवास्तव ने बताया, 'करीब 1,790 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत राशि गंवा दी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली नगर निगम चुनाव में उतरे कुल 2,516 उम्मीदवारों में से आप के 40 और कांग्रेस के 92 प्रत्याशियों सहित 70 प्रतिशत उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके. इस तरह ये उम्मीदवार वोटों का सम्माजनक आंकड़ा भी हासिल नहीं कर सके.
दिल्ली के राज्य निर्वाचन आयुक्त एस के श्रीवास्तव ने बताया, 'करीब 1,790 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत राशि गंवा दी. वर्ष 2012 के निकाय चुनावों में 2,423 में से 1,782 उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे.' नगर निगम चुनावों में जीत की हैट्रिक बनाने वाली भाजपा के केवल पांच उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके.
लगातार तीसरी बार एमसीडी की सत्ता में आई भाजपा के सिर्फ पांच प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है, जबकि 2012 में पिछले चुनाव में भाजपा के 18 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी. हालांकि भाजपा ने 23 अप्रैल को हुए नगर निगम चुनावों में 181 सीटों पर जीत दर्ज की है.
दरअसल, जब कोई प्रत्याशी कुल पड़े मतों की संख्या का छठा हिस्सा भी नहीं हासिल कर पाता तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है.
इन दिल्ली निकाय चुनावों में कुल पड़े मतों का 0.67 फीसदी मत नोटा के पक्ष में रहे. श्रीवास्तव ने कहा, "नोटा के पक्ष में पड़े मतों में आए उछाल से पता चलता है कि मतदाता किसी भी प्रत्याशी से सहमत नहीं थे और नोटा के जरिए उन्होंने अपनी अनिच्छा जाहिर की है."
(इनपुट एजेंसियों से)
दिल्ली के राज्य निर्वाचन आयुक्त एस के श्रीवास्तव ने बताया, 'करीब 1,790 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत राशि गंवा दी. वर्ष 2012 के निकाय चुनावों में 2,423 में से 1,782 उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे.' नगर निगम चुनावों में जीत की हैट्रिक बनाने वाली भाजपा के केवल पांच उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके.
लगातार तीसरी बार एमसीडी की सत्ता में आई भाजपा के सिर्फ पांच प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है, जबकि 2012 में पिछले चुनाव में भाजपा के 18 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी. हालांकि भाजपा ने 23 अप्रैल को हुए नगर निगम चुनावों में 181 सीटों पर जीत दर्ज की है.
दरअसल, जब कोई प्रत्याशी कुल पड़े मतों की संख्या का छठा हिस्सा भी नहीं हासिल कर पाता तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है.
इन दिल्ली निकाय चुनावों में कुल पड़े मतों का 0.67 फीसदी मत नोटा के पक्ष में रहे. श्रीवास्तव ने कहा, "नोटा के पक्ष में पड़े मतों में आए उछाल से पता चलता है कि मतदाता किसी भी प्रत्याशी से सहमत नहीं थे और नोटा के जरिए उन्होंने अपनी अनिच्छा जाहिर की है."
(इनपुट एजेंसियों से)
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