
मुंबई:
BMC के चुनाव जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे पार्टियां अपनी रणनीतियों को धार देने में जुट गयी हैं. आंतरिक बैठकों का दौर शुरू हो चुका है जहां पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें आयोजित की जा रही है. शिवसेना और शिवसेना (UBT) द्वारा वार्ड स्तर पर कमेटियां बनाई जा रही है, ताकि चुनाव प्रचार, मतदाता संपर्क और मुद्दों के सही चुनाव के जरिए अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सके.
हर दल यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि उसके कार्यकर्ता ज़मीनी स्तर पर सक्रिय हों और स्थानीय समस्याओं को सही ढंग से उठाकर मतदाताओं का भरोसा जीत सकें. क्या है BMC चुनाव 2025 से पहले के वो प्रमुख मुद्दे जो आम मुंबईकरों के जीवन से सीधे तौर पर जुड़े हैं.
- महिलाओं की स्वास्थ्य योजनाओं और स्वच्छता तक पहुंच अब भी सीमित है, जहां NFHS-5 के अनुसार केवल 30% महिलाएं ही हेल्थ बीमा या किसी सरकारी योजना से लाभान्वित हो पा रही हैं, जो मुंबई जैसे विकसित शहर के लिए बेहद कम है.
- BMC की ‘पीला बैग योजना' महिलाओं और स्वच्छता से जुड़े मुद्दों को हल करने की दिशा में एक अहम पहल है, जिसमें सैनिटरी नैपकिन, डायपर, उपयोग किए गए मास्क और दवाइयों जैसे विशेष कचरे को अलग-अलग इकट्ठा कर कचरे के बेहतर प्रबंधन का प्रयास किया जा रहा है.
- हर साल लगभग 20 करोड़ सैनिटरी नैपकिन मुंबई में इस्तेमाल होते हैं, लेकिन इनमें से केवल 30% का ही सही निपटान हो पाता है, जिससे नालों का जाम और बीमारियों का खतरा बढ़ता है. यह स्वच्छता को एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाता है.
- डिओनार डंपिंग ग्राउंड, जो मुंबई का सबसे पुराना पर्यावरण संकट रहा है, अब BMC की 2,368 करोड़ की टेंडर योजना के तहत 185 लाख टन कचरे को हटाने की प्रक्रिया के साथ साफ़ और पुनः उपयोगी ज़मीन में तब्दील होने की दिशा में अग्रसर है.
- BMC के 2025-26 बजट में ₹43,162 करोड़ केवल बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च करने का प्रस्ताव है, जिसमें सड़कों का चौड़ीकरण, नालों की सफाई, फुटपाथों का निर्माण और ट्रैफिक से जूझते क्षेत्रों में फ्लाईओवर बनाना शामिल है.
- महायुति गठबंधन केंद्र और राज्य सरकार के साथ समन्वय के जरिए जल आपूर्ति, परिवहन, डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं और मलिन बस्तियों के पुनर्विकास जैसे विषयों पर जनता का समर्थन पाने की रणनीति बना रहा है.
- सूत्रों का कहना है की महाविकास आघाड़ी भ्रष्टाचार, स्थानीय समस्याओं और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली जैसे मुद्दों पर BMC प्रशासन को घेरते हुए महिला स्वास्थ्य नीतियों, अस्पतालों की स्थिति और पारदर्शिता को अपने चुनावी एजेंडे में प्रमुखता देगी.
- मुंबई में कुल 450 से अधिक डिस्पेंसरीज़, 16 प्रमुख अस्पताल और कई शहरी स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन स्टाफ की कमी, उपकरणों की खराबी और सुविधाओं की असमान उपलब्धता के कारण महिलाएं और बुज़ुर्ग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं.
- मुंबई में सड़कें, मेट्रो और पुल जैसी बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं बड़े पैमाने पर चल रही हों, लेकिन कई काम अधूरे या सुस्त गति से चलते दिखाई दे रहे हैं, जिस पर पार्टियां तेज़ी और पारदर्शिता का वादा करके नागरिकों का समर्थन चाहेंगी.
- हालिया आंकड़ों के अनुसार लगभग 30% वयस्क हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं, जिस कारण BMC ने ‘नमक और शक्कर जागरूकता अभियान' शुरू किया है. चुनावी घोषणापत्र में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने और ‘आपला दवाखाना' को और सशक्त बनाने की बातें अहम रहेंगी.
- मुंबई की बड़ी आबादी स्लम्स में रहती है, ऐसे में पुनर्विकास योजनाएं और ‘हर किसी को घर' जैसे वादे चुनावों में बार-बार दोहराए जाएंगे.
- युवाओं के लिए रोज़गार और स्किल डेवलपमेंट जैसे मुद्दे केंद्र में होंगे, जहां पार्टियां स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन, डिजिटल ट्रेनिंग और युवाओं को BMC में प्रतिनिधित्व देने की बातें करेंगी.
- हर साल मानसून में जलभराव, कचरा प्रबंधन और प्रदूषण जैसे मुद्दे चर्चा में रहते हैं, और अब जब पर्यावरण के प्रति मुंबईकरों की चेतना बढ़ी है, तो सभी पार्टियों पर ठोस प्लान पेश करने का दबाव होगा.
- महिला सुरक्षा, सार्वजनिक परिवहन में सुविधा और महिला शौचालयों की संख्या जैसे मुद्दे भी चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा होंगे, खासकर तब जब शहर में महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
- हर साल BMC का बजट हज़ारों करोड़ में होता है, लेकिन आम जनता को नहीं पता चलता कि ये पैसा कहां और कैसे खर्च हो रहा है, इस पारदर्शिता की कमी को लेकर MVA सवाल उठाएगी, वहीं महायुति इसके समन्वय को अपनी ताकत बताएगी.
- BMC चुनाव केवल राजनीतिक पार्टियों के लिए सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि आम मुंबईकरों के लिए अपने जीवन से जुड़े मुद्दों पर निर्णय लेने का अवसर है. महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा, स्वच्छता, बुनियादी सुविधाएं, युवाओं के रोजगार, पर्यावरण और बजट पारदर्शिता, ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जो सीधे नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता से जुड़े हैं.
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