
मुंबई महानगरपालिका यानी BMC चुनाव को लेकर तैयारियां अभी से ही शुरू हो गई है. आपको बता दें कि BMC भारत की सबसे बड़ी नगरपालिका है. BMC का काम शहर की साफ-सफाई, पानी, सड़कों, कचरा प्रबंधन, लाइसेंस, अस्पताल, स्कूल और नागरिक सेवाओं का संचालन करना होता है। इसके लिए शहर को अलग-अलग हिस्सों में बाँटा गया है जिन्हें "वॉर्ड" कहा जाता है.
BMC की शुरुआत और वॉर्ड्स का पहला स्वरूप
BMC की स्थापना साल 1873 में हुई थी. शुरुआत में यह सिर्फ दक्षिण मुंबई तक ही सीमित थी. उस समय मुंबई एक छोटा-सा इलाका था और बहुत सीमित जनता इसके तहत आती थी. लेकिन जैसे-जैसे शहर का विस्तार हुआ, वैसे-वैसे BMC की सीमाएं भी बढ़ती गईं. 1950 के दशक में मुंबई के उपनगरों को भी BMC के अंतर्गत लाया गया. पहले सायन से लेकर अंधेरी तक और फिर 1956 में दहिसर और मुलुंड जैसे उपनगर भी इसके दायरे में आए.
प्रशासनिक वॉर्ड्स क्या होते हैं?
मुंबई को प्रशासनिक रूप से 24 वॉर्ड्स में बांटा गया है. इन्हें अंग्रेजी अक्षरों के नाम पर A से T तक रखा गया है. हर वॉर्ड में BMC का एक ऑफिस होता है जिसे "वॉर्ड ऑफिस" कहा जाता है. वहां एक सहायक आयुक्त होता है जो उस इलाके में पानी, सफाई, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य नागरिक सुविधाओं की निगरानी करता है. इन 24 वॉर्ड्स को 7 बड़े ज़ोन में भी बांटा गया है, जैसे दक्षिण मुंबई, मध्य मुंबई, पूर्व उपनगर, पश्चिम उपनगर आदि...
निर्वाचन वॉर्ड्स क्या होते हैं?
प्रशासनिक वॉर्ड को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर "निर्वाचन वॉर्ड" बनाए जाते हैं. इनसे नगरसेवक चुने जाते हैं. शुरुआत में इनकी संख्या 170 थी. लेकिन 1991 की जनगणना के बाद बढ़ती आबादी को देखते हुए इनकी संख्या 221 कर दी गई. फिर 2002 में इसे बढ़ाकर 227 कर दिया गया यानि, मुंबई में 227 चुनावी वॉर्ड्स हैं जिनसे 227 नगरसेवक चुने जाते हैं.
वॉर्ड्स की संख्या में बदलाव कैसे हुआ?
साल 2022 में महाराष्ट्र की तत्कालीन महा विकास आघाड़ी सरकार ने BMC के वॉर्ड्स की संख्या बढ़ाकर 236 कर दी थी. इसके पीछे कारण था, बढ़ती आबादी को बेहतर प्रतिनिधित्व देना. इसलिए शहर, पूर्व उपनगर और पश्चिम उपनगर में तीन-तीन नए वॉर्ड जोड़े गए थे.लेकिन, सरकार ने यह फैसला पलट दिया और वॉर्ड्स की संख्या फिर से 227 कर दी गई.
कोर्ट का क्या फैसला रहा?
इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. लेकिन कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराया और 236 वॉर्ड्स का प्रस्ताव खारिज कर दिया. अब इस साल में होने वाले मुंबई महानगरपालिका के चुनाव 227 निर्वाचन वॉर्ड्स के हिसाब से ही होंगे.
वॉर्ड्स तय कैसे किए जाते हैं?
हर दस साल में जनगणना के बाद वॉर्ड्स का फिर से विभाजन यानी ‘डिलिमिटेशन' किया जाता है. इसका मकसद होता है कि हर वॉर्ड में लगभग समान जनसंख्या हो. BMC में हर निर्वाचन वॉर्ड की औसतन आबादी करीब 55,000 होती है. डिलिमिटेशन के समय इलाके की भौगोलिक स्थिति, सामाजिक संरचना और सुविधा के अनुसार सीमाएं तय की जाती हैं.
आरक्षण की व्यवस्था कैसी होती है?
BMC के वॉर्ड्स में आरक्षण की भी व्यवस्था होती है. कुल सीटों में से 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाती हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और ओबीसी समुदायों के लिए भी आरक्षण तय किया जाता है. हर चुनाव से पहले यह आरक्षण घुमाव पद्धति से तय होता है.
- मुंबई के 24 प्रशासनिक वॉर्ड्स कौन-कौन से हैं?
- मुंबई को 24 प्रशासनिक वॉर्ड्स में बाँटा गया है.
- इनमें A वॉर्ड में कोलाबा और फोर्ट जैसे इलाके आते हैं.
- B वॉर्ड में मांडवी और मस्जिद बंदर
- C वॉर्ड में मरीन लाइन्स और चंदनवाडी
- D वॉर्ड में गिरगांव और ग्रांट रोड,
- E वॉर्ड में भायखळा और नागपाडा शामिल हैं.
- इसी तरह F वॉर्ड (उत्तर और दक्षिण) में माटुंगा, सायन, परेल और शिवड़ी जैसे इलाके आते हैं.
- G वॉर्ड (उत्तर और दक्षिण) में दादर, वरळी, महिम, प्रभादेवी
- H वॉर्ड में सांताक्रूज, खार, K वॉर्ड में अंधेरी, वर्सोवा
- L वॉर्ड में कुर्ला और चेंबूर, M वॉर्ड में गोवंडी और टिळक नगर
- N वॉर्ड में घाटकोपर
- P वॉर्ड में मलाड और गोरेगांव
- R वॉर्ड में बोरिवली और कांदिवली
- S वॉर्ड में भांडुप और T वॉर्ड में विक्रोली और आसपास के इलाके आते हैं
मुंबई एक विशाल महानगर है और इसे सुचारु रूप से चलाने के लिए BMC का वॉर्ड सिस्टम बेहद ज़रूरी है. हर वॉर्ड में एक निर्वाचित नगरसेवक होता है जो जनता की समस्याएं उठाता है और स्थानीय विकास कार्यों को सुनिश्चित करता है. समय के साथ जैसे शहर की आबादी और सीमाएं बढ़ीं,वैसे ही वॉर्ड्स की संख्या और संरचना में भी बदलाव आया. इसलिए एक जागरूक नागरिक के रूप में यह जानना ज़रूरी है कि आपका वॉर्ड कौन-सा है, वहां के नगरसेवक कौन हैं और कैसे वॉर्ड सीमाएं तय की जाती हैं.
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