क्या है आर्टिकल 35A? जिसे लेकर लोकसभा चुनाव से पहले गरमाई है राजनीति

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के पहले चरण के मतदान से पहले जम्मू-कश्मीर के नेताओं व पीएम मोदी समेत बीजेपी राजनेताओं के बीच अनुच्छेदों 370 और 35 A को लेकर लगातार बहस हो रही है.

क्या है आर्टिकल 35A? जिसे लेकर लोकसभा चुनाव से पहले गरमाई है राजनीति

एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती

खास बातें

  • आर्टिकल 35-ए के बारे में जानें
  • लोकसभा चुनाव से पहले सियासी गहमा-गहमी
  • जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने दिया बयान
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के पहले चरण के मतदान से पहले जम्मू-कश्मीर के नेताओं व पीएम मोदी समेत बीजेपी राजनेताओं के बीच अनुच्छेदों 370 और 35 A को लेकर लगातार बहस हो रही है. वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने पिछले दिनों को कहा था कि ''जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में गैर-स्थायी निवासियों के संपत्ति खरीदने पर रोक लगाने वाला अनुच्छेद 35 ए (Article 35A) संवैधानिक रूप से दोषपूर्ण है और राज्य के आर्थिक विकास को बाधित कर रहा है.'' गृहमंत्री राजनाथ सिंह का भी बयान आया है कि बीजेपी दोबारा सत्ता में आई तो 35-A खत्म करेंगे. कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा.'' इस मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जवाबी हमला बोला. 

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फारूक अब्दुल्ला ने मोदी सरकार को संविधान के अनुच्छेदों 370 और 35 A को 'छूकर दिखाने' की चुनौती दी. उन्होंने कहा, ''जिस समय वे अनुच्छेद 370 और 35 A से छेड़छाड़ करेंगे, भारत के साथ जम्मू एवं कश्मीर का विलय समाप्त हो जाएगा.'' सोमवार को उन्होंने कहा, ''भाजपा को दिलों को जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए, ना कि उन्हें तोड़ने की. संविधान के अनुच्छेद 370 (Article 370) को समाप्त करने से जम्मू कश्मीर की जनता के लिए 'आजादी' का रास्ता साफ हो जाएगा. मैं भी देखता हूं फिर कि कौन इनका झंडा खड़ा करने के लिए तैयार होता है.''

वहीं, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती का एक विवादित बयान दिया था. वह बोलीं, ''अनुच्छेद 35-ए में अगर किसी तरह का बदलाव किया गया तो राज्य के लोग राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की बजाय किसी और झंडे को भी थाम सकते हैं.'' आपको बता दें कि भाजपा को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने कड़े बयान जारी कर अनुच्छेद 35-ए को कमजोर करने या इसमें संशोधन करने के केंद्र के किसी भी कदम का विरोध किया है. 

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क्या है आर्टिकल 35A?

- संविधान में जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा
- 1954 के राष्ट्रपति के आदेश से ये संविधान में जोड़ा गया
- इसके तहत राज्य के स्थायी निवासियों की पहचान
- जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोग संपत्ति नहीं खरीद सकते
- बाहरी लोग राज्य सरकार की नौकरी नहीं कर सकते

आइए जानें कि अनुच्छेद 35-ए से जुड़ी जरूरी बातें : 

1- अनुच्छेद 35-ए संविधान का वह आर्टिकल है जो जम्मू कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को पारिभाषित कर सके. 
2- साल 1954 में 14 मई को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35 A जोड़ दिया गया. आर्टिकल 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है. 
3- साल 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया. 
4- जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो, और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो. 
5- साल 2014 में एक एनजीओ ने अर्जी दाखिल कर इस आर्टिकल को समाप्त करने की मांग की थी. इस मामले की सुनवाई अभी भी सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. 

आर्टिकल 35A के विरोध में दलील

- यहां बसे कुछ लोगों को कोई अधिकार नहीं
- 1947 में जम्मू में बसे हिंदू परिवार अब तक शरणार्थी
- ये शरणार्थी सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर सकते
- सरकारी शिक्षण संस्थान में दाख़िला नहीं
- निकाय, पंचायत चुनाव में वोटिंग राइट नहीं
- संसद के द्वारा नहीं, राष्ट्रपति के आदेश से जोड़ा गया आर्टिकल 35A

Video: क्यों है 35 A की वैधता पर सवाल?

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