बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर (Tej Bahadur Yadav) का पीएम मोदी (PM Modi) के खिलाफ चुनाव लड़ने का मंसूबा ध्वस्त हो गया. चुनाव आयोग ने उनका नामांकन खारिज कर दिया है. बुधवार को नामंकन खारिज होने पर तेज बहादुर (Tej Bahadur Yadav) जहां एक तरफ ये कह रहे थे कि उनके खिलाफ साज़िश की गई है वहीं वो दूसरी तरफ ये भी कह रहे हैं कि नामांकन खारिज होने से वो चुनाव भले न लड़ पाए लेकिन उनकी आवाज़ कोई नहीं दबा सकता. अब वो बनारस रह कर ही मोदी को हारने के लिये सपा का प्रचार करेंगे. बनारस के जिला कचहरी में नामांकन भले ही ख़त्म हो गया हो लेकिन बुधवार के दिन यहां वैसी ही गहमा गहमी बानी रही इस गहमा गहमी की बड़ी वजह पहले निर्दलीय और बाद में सपा के प्रत्याशी रहे तेज बहादुर (Tej Bahadur Yadav) के नामांकन की वैधता को लेकर रही. तेज बहादुर (Tej Bahadur Yadav) भी अपने वकील के साथ तय समय पर जिला निर्वाचन अधिकारी के पास जवाब देने के लिये पहुंच गये थे. उन्होंने जवाब भी लगाया लेकिन शाम होते होते साफ़ हो गया कि उनका जवाब पर्याप्त नहीं था लिहाजा पर्चा खारिज हो गया. तेज बहादुर इसे अपने खिलाफ साज़िश बताते हैं " सुबह हमने 11 बजे जैसे ही जवाब दाखिल किया उसी के जस्ट थोड़ी देर बाद चुनाव आयोग से भी क्लियरेंस आ गया . उसके बाद भी हमें साढ़े तीन बजे तक बिठा कररखा गया सात से आठ बार पेपर को फाड़ा गया दिल्ली से आदेश आ रहा था की किसी भी तरह इस जवान का नामांकन रद्द किया जाए. अब हमें लास्ट में कहा कि जब आप दोनों ने नामांकन किया था तब चुनाव आयोग से परमिशन का लेटर नहीं दिया.
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बीएसफ के बर्खास्त जवान को टिकट देकर समाजवादी पार्टी ने एक तीर से कई निशाने लगाए थे. उसमे से तीर का निशाना ये थी कि अगर तेज बहादुर का नामांकन वैलिड हो जाता और वो चुनाव मैदान में मोदी से दो दो हाथ करते तो उन्हें सेना के मुद्दे पर उन्ही के घर में घेरते और कहते कि ये लड़ाई असली चौकीदार बनाम नकली चौकीदार की है और जब अब नामांकन कैंसिल हो गया है. तो तेज बहादुर को दुसरे तीर की तरह इस्तेमाल कर अपने हर मंच से एक सिपाही के मुंह से जहां ये कहलवायेंगे कि उनका नामांकन साज़िशन खारिज कराया गया है तो दूसरी तरफ सेना के नाम पर वोट मांग रहे पीएम मोदी को एक जवान से जवाब दिला कर उनके इस मुहीम को हवा निकालने की कोशिश करेंगे. यानि तेज बहादुर को लेकर समाजवादी पार्टी के दोनों हांथों में लड्डू था.
गौरतलब है कि तेज बहादुर ने पहले निर्दलीय पर्चा भरा था उसमे उन्होंने सेना से अपने निकाले जाने के कारण को 'हां' के जवाब में भरा था और बाद में जब सपा से नामांकन किया तो उसमे उसी कालम में 'न' लिख दिया. फ़ार्म के स्क्रूटनी के दौरान इसी बात का स्पष्टीकरण मांगा गया साथ ही नियम का हवाला देते हुवे चुनाव आयोग से एक सर्टिफिकेट लाने को कहा गया जो तेज बहादुर नहीं दे पाए. जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि एक जो अभ्यर्थी थे तेज बहादुर उन्होंने दो नामांकन किया था. उनकी स्क्रूटनी को डेफर किया गया था, कोई भी व्यक्ति सेन्ट्रल गवर्मेंट या स्टेट गवर्मेंट में नौकरी कर रहा था उससे डिसमिस हुआ हो और उस डिसमिसिल की तारीख पांच साल के अंदर की हो ऐसे सभी केसेज में सेक्शन 9 के तहत कम्पलसरी है कि वो इलेक्शन कमीशन से एक लेटर लाएगा. जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक तो चुनाव आयोग से सर्टिफिकेट की जरूरत थी और इस प्रक्रिया को यहाँ पर पूरा नहीं किया गया हमने मौक़ा भी दिया 11 बजे तक का वो नहीं लाये तो सुनवाई के बाद उनका नामांकन निरस्त किया गया.
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जिला निर्वाचन आयोग के इस दलील को तेज बहादुर और उनके वकील इस बात से खारिज करते है कि जब निर्दलीय पर्चा भरा गया था तब उसके बाद ऐसी कोई चीज क्यों नहीं मांगी गई समाजवादी पार्टी से भरने के बाड़ी ही क्यों. इसी वजह से इन्हे लग रहा है की कि राजनितिक षड्यंत्र हुआ है बहरहाल उनका पर्चा खारिज होने के बाद सामाजवादी पार्टी अब प्लान बी काम करेंगी उनकी दूसरी प्रत्याशी शालिनी यादव मोदी जो को टक्कर देंगी. जिनका नामांकन भी उसी दिन हुवा था . सपा के प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी इसे और स्पष्ट करते हैं " पहले से हमको अंदाज़ा था कि जो 56 इंच का सीना था उसको सिर्फ मुंह से बोलना है, बयानबीर है बीजेपी के लोग तो हम लोगों को लगा था कि अगर किसी और सहायक को नहीं रखा गया तो निश्चित रूप से खारिज कर देंगे ,तो हम लोगों ने एक और सहायक शालिनी यादव को अब पर्चे खारिज हो गये ( पैच ) तो सब्स्टीच्यूट उम्मीदवार के तौर पर शालिनी यादव का नाम पहले से था.
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