कांग्रेस की कथित भगवा आतंकवाद की अवधारणा के खिलाफ सत्याग्रह के नाम पर भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) को भोपाल लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) को भारी मतों के अंतर से पराजित कर दिया है. ठाकुर भोपाल लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की उम्मीदवार बनने के मात्र एक घंटे पहले ही भाजपा में शामिल हुयी थीं. उम्मीदवार बनने के दूसरे ही दिन मालेगांव बम विस्फोट के आरोप में पुलिस हिरासत के दौरान मुम्बई आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे को लेकर विवादास्पद बयान देकर वह चुनाव प्रचार के प्रारंभ में ही सुर्खियों में आ गयी थीं. हालांकि इस बयान की आलोचना के बाद अगले ही दिन उन्होंने बयान वापस लेते हुए माफी मांग ली.
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अपने बयानों पर विवाद में घिरी प्रज्ञा सिंह (Pragya Singh) को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) ने नयी दिल्ली में पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा था कि साध्वी को भाजपा का उम्मीदवार बना कर कोई गलती नहीं हुयी है. शाह ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर भगवा आतंकवाद की अवधारणा गढ़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि साध्वी प्रज्ञा की भाजपा से उम्मीदवारी ‘भगवा या हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा' के खिलाफ भाजपा का सत्याग्रह है.
लोकसभा उम्मीदवार घोषित होने के पहले प्रज्ञा ने एक सवाल के जवाब में कहा था, ‘‘मैं धर्म युद्ध के लिए तैयार हूं.'' प्रज्ञा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) को ऐसे हिंदू विरोधी नेता की संज्ञा दी जो हिंदुओं को आतंकवादी बताते हैं. संघ परिवार के प्रखर आलोचक 72 वर्षीय दिग्विजय सिंह को पराजित करने के लिये संघ ने हिन्दुत्व के प्रतीक के तौर पर भाजपा ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाकर राजनीति में उतारा. वह जल्द ही संसद में प्रवेश करेंगी.
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मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताकर बापू का अपमान करने के लिये वह प्रज्ञा को मन से माफ नहीं कर सकेंगे. प्रज्ञा के पिता डॉ चद्रपाल सिंह के मित्र और भोपाल के पत्रकार रामभुवन कुशवाहा ने ‘पीटीआई भाषा' को बताया कि प्रज्ञा भी बचपन में अन्य शरारती बच्चों की तरह ही थीं. वह पढ़ाई में अच्छी थी. कुशवाहा ने कहा कि एक बार जब वह डॉ सिंह से मिलने गये तो पता चला कि अपनी छोटी बहन के साथ बाजार गयी प्रज्ञा ने वहां उपद्रव मचाने वाले तीन-चार बदमाशों की पिटाई कर दी.''
प्रज्ञा के परिचित और भिण्ड के पत्रकार प्रहलाद सिंह भदौरिया ने बताया कि प्रज्ञा ने भिण्ड के एमजीएस कॉलेज से इतिहास विषय में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. उन्होंने कहा चूंकि प्रज्ञा के पिता आरएसएस के प्रचारक के साथ पत्रकार भी थे, इस कारण प्रज्ञा सिंह अपने विद्यार्थी जीवन में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की गतिविधियों से जुड़ गयी थीं. भोपाल जाने के बाद एबीवीपी की आयोजन सचिव बन गयी थीं. कुछ समय वह प्रदेश के उज्जैन जिले में एबीवीपी की आयोजन सचिव भी रहीं. वह कुछ समय तक छत्तीसगढ़ में अपनी बड़ी बहन उपमा के घर में भी रहीं और अंत में अपने परिवार के साथ सूरत चलीं गयी.
गुजरात में उनके पिता ने एक नर्सिग होम शुरू किया. भदौरिया ने बताया कि यह वह समय था जब प्रज्ञा संन्यास ग्रहण कर साध्वी बन गयी थीं. वह उसी समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संपर्क में आयीं, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे. प्रज्ञा के नाम पर रजिस्टर्ड एक बाइक मालेगांव बम विस्फोट में इस्तेमाल होने के चलते 2008 में उनकी इस मामले में गिरफ्तारी हुई. मालेगांव बम विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा को 2008 में गिरफ्तार किया गया.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उन्हें मामले में क्लीन चीट दे दी है लेकिन अदालत ने उन्हें मामले में बरी करने से इंकार कर दिया. अदालत ने उनके खिलाफ मकोका के तहत आरोप हटा दिए और अब उन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है. इस मामले में बम्बई उच्च न्यायालय ने उन्हें 2017 में जमानत दे दी. हालांकि साध्वी प्रज्ञा की मुसीबतें अभी कम नहीं हुयी हैं क्योंकि कांग्रेस नीत मध्यप्रदेश सरकार उनके खिलाफ पुरानी हत्या के एक मामले को फिर से खोलने की योजना बना रही है.
प्रदेश के विधि मंत्री पीसी शर्मा ने हाल ही में कहा कि सरकार पूर्व आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्या के मामले को फिर से खोलने पर कानूनी राय ले रही है. जोशी की 29 दिसंबर, 2007 को देवास जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. ठाकुर और सात अन्य आरोपियों को एक अदालत ने 2017 में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.
(इनपुट भाषा में)
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