
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान नेताओं के ट्वीट की भाषा पर भी तीखी हो चली है. बिहार के राजद नेता तेजस्वी यादव(Tejashwi Yadav) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(Nitish Kumar) पर हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा- नीतीश जी हार की बौखलाहट में अब खुलेआम मंचों से छाती पीट धमकी दे रहे है कि लालू जी को कभी भी जेल से बाहर नहीं आने दूंगा. यानि मान रहे है कि उन्होंने अपने गुर्गों के साथ साज़िश कर लालू जी को जेल भेजा . दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा- नीतीश जी, आपके दोहरे चरित्र का आपका पर्दाफ़ाश हो चुका है. नीतीश जी, संविधान का ज़रा सा भी ज्ञान है तो पता कर लीजिये निचली अदालत से ऊपर और भी अदालतें हैं. हम आपकी तरह ज़मीर और जनादेश नहीं बेचते. हम फासीवादियों से डटकर लड़ते और जीतते है. आप 2015 में क्यों लालू जी के पैरों में गिरे थे? क्या जेल से बचने के लिए आपने जनादेश का चीरहरण किया था?
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नियोजित शिक्षकों को लेकर भी साध चुके हैं निशाना
बिहार के नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने के आदेश से सुप्रीम कोर्ट के इनकार के बाद आरजेडी नेता और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा. तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार सरकार पर नियोजित शिक्षकों का केस ढंग से न लड़ने का आरोप लगाया. तेजस्वी ने ट्वीट किया, 'नीतीश कुमार ने बिहार के नियोजित शिक्षकों का सर्वोच्च न्यायालय में केस जानबूझकर ठीक से नहीं लड़ा. नीतीश-मोदी की निरंकुशता और मिलीभगत से आज बिहार के 3.5 लाख शिक्षकों के बीच समान काम के लिए समान वेतन नहीं मिलने से शोक का लहर है'. तेजस्वी ने आगे लिखा, ''नीतीश कुमार ने शिक्षकों को भी ठग लिया. शर्मनाक''.
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नीतीश कुमार ने बिहार के नियोजित शिक्षकों का सर्वोच्च न्यायालय में केस जान बूझकर ठीक से नहीं लड़ा. नीतीश-मोदी की निरंकुशता और मिलीभगत से आज बिहार के 3.5 लाख शिक्षकों के बीच समान काम के लिए समान वेतन नहीं मिलने से शोक का लहर है. तेजस्वी यादव ने कहा कि, नीतीश-मोदी के पास अपने प्रिय पूंजीपतियों पर लुटाने और भगाने के लिए खरबों करोड़ हैं, लेकिन बिहार के भविष्य को पढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने वाले शिक्षकों के लिए धन नहीं है.
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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने का आदेश देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका मंजूर करते हुए पटना हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया. दरअसल, 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया था और कहा था कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए. राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी. बिहार सरकार की दलील थी कि इस आदेश से उस पर करीब 9500 करोड़ रुपए का आर्थिक बोझ पड़ेगा.
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