राहुल गांधी ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'आयुष्मान भारत' को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा, 'आप बीमा दे रहे हो लेकिन आपके पास जो अस्पतालों का, स्वास्थ्य कर्मियों का जो ढांचा है वो उसका समर्थन नहीं कर सकता. आपने बीमा दे भी दिया तो वो कौन से अस्पताल में जाकर इलाज कराएगा. तो मुझे लगता है कि पूरा का पूरा नेटवर्क व्यवस्थित तरीके से हर राज्य में बनाना पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘‘मैं आयुष्मान भारत योजना की मुख्य रूप से इसलिए आलोचना करता हूं कि यह अस्पताल एवं चिकित्सकीय पेशेवरों की उचित समर्थन संरचना के बिना बीमा मुहैया कराती है. स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की क्षमता के बिना कोई बीमा प्रणाली काम नहीं कर सकती.''
My main criticism of Ayushman Bharat is, it gives insurance without a proper support structure from hospitals and medical professionals: Congress President @RahulGandhi #HealthcareForAll pic.twitter.com/93fTBcrw1f
— Congress (@INCIndia) March 15, 2019
उन्होंने कहा कि फिर से गरीब होने का सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य सेवा है. उन्होंने कहा, ‘‘हरकोई यह जानता है. स्वास्थ्यसेवा आधार है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह आधार मजबूत हो.'' राहुल गांधी ने आयुष्मान भारत योजना के बारे में कहा, ‘‘मैं इसे एक सीमित योजना के तौर पर देखता हूं जिसमें सीमित स्वास्थ्यसेवा मामलों को लक्ष्य बनाया गया है. यदि मैं स्पष्ट कहूं तो यह भारत के चुनिंदा 15-20 अमीर कारोबारियों के हाथ में है. हम इस प्रकार की योजना नहीं लाएंगे.''
Ayushman Bharat is a scheme targeting only a limited number of healthcare issues. It is a handout to the richest businessmen in India : Congress President @RahulGandhi #HealthcareForAll pic.twitter.com/PGmHlvc0MC
— Congress (@INCIndia) March 15, 2019
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा में सार्वजनिक क्षेत्र के व्यय की आवश्यकता है. निस्संदेह निजी संस्थाओं, बड़े कारोबारों और बीमा की भी इसमें भूमिका है, लेकिन इसमें मुख्य भूमिका सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की ही होनी चाहिए.'' उन्होंने कहा कि वह शिक्षा में जीडीपी का पांच से छह प्रतिशत व्यय करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं. राहुल गांधी ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्यसेवा में ‘नाटकीय असफलता' का मुख्य कारण विकास को लेकर भाजपा एवं आरएसएस के सोचने के तरीके में अंतर है.
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राहुल गांधी के इस बयान पर बीजेपी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सिलसिलेवार ढंग ट्वीट कर राहुल गांधी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा 'राहुल गांधी का आयुष्मान भारत पर बयान उनके अल्प ज्ञान का प्रतीक है. उनको अश्योरेंस और इंश्योरेंस का फ़र्क़ समझ नहीं आता है. अच्छे काम की प्रशंसा करने की ना तो राहुल गांधी की नीयत है, ना सोच है, ना ताक़त है. ये नकारात्मकता के प्रतीक बन चुके हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'गरीबी से उठकर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों की पीड़ा को दूर करने के लिए अनेकों योजनाएं बनायीं. विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत के तहत अब तक 15 लाख से अधिक गरीब, जो कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे, उनको 2000 करोड़ से अधिक का मुफ्त उपचार प्राप्त हुआ. आयुष्मान भारत पर ये तथ्यहीन बयान कि यह योजना इंश्योरेंस कंपनियों को फ़ायदा देने के लिए है, उन ग़रीब लोगों का अपमान है, जिनकी जान इस योजना के कारण बची है. उन परिवार के लोगों का मज़ाक़ जो आर्थिक तंगी के कारण अपनों को दर्द में देखकर असहाय महसूस करते थे.
राहुल गांधी का #AyushmanBharat पर बयान उनके अल्प ज्ञान का प्रतीक है।
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) March 15, 2019
उनको assurance और insurance का फ़र्क़ समझ नहीं आता है।
अच्छे काम की प्रशंसा करने की ना तो राहुल गांधी की नियत है, ना सोच है, ना ताक़त है।
ये नकारात्मकता के प्रतीक बन चुके है।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपने घोषणा पत्र में स्वास्थ्य सेवा कानून के वादे को शामिल करने पर विचार कर रही है ताकि सभी के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित की जा सके.
In our manifesto, we are considering a Right to Healthcare Act, where we guarantee certain minimum healthcare to all Indians, increasing our expenditure to about 3% of GDP and increasing the number of healthcare professionals: Congress President @RahulGandhi #HealthcareForAll pic.twitter.com/CXon5KpbF1
— Congress (@INCIndia) March 15, 2019
उन्होंने रायपुर में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चिकित्सकीय पेशेवरों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘हम अपने घोषणापत्र में तीन चीजों पर विचार कर रहे हैं : हम सभी भारतीयों के लिए निश्चित न्यूनतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य सेवा अधिकार कानून शामिल करने, स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र में व्यय को देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत से बढ़ाने और चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रहे है.''
I view healthcare provision as something that is done by large number of stakeholders- ASHA workers, doctors and other medical professionals, businesses etc. Each stakeholder's territory should be defended: Congress President @RahulGandhi #HealthcareForAll pic.twitter.com/mCFayMHiLr
— Congress (@INCIndia) March 15, 2019
राहुल ने यह भी कहा कि यदि उनकी पार्टी 2019 के आम चुनावों में सत्ता में आती है तो उसका ध्यान स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा में व्यय बढ़ाने पर केंद्रित होगा. उन्होंने कहा, ‘‘भारत ग्रामीण व्यवस्था से शहरी व्यवस्था में तबदील हो रहा है. बड़े स्तर पर स्थानांतरण हो रहा है और यह दु:खदायी है.'' राहुल ने कहा कि 21वीं सदी में किसी भी सरकार को भारतीय नागरिकों की रक्षा करने के लिए तीन चीजें करनी होंगी. उन्होंने कहा, ‘‘पहला, हमें बेरोजगारी की समस्या से निपटना होगा और दूसरा, कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मुहैया करानी होगी. तीसरा, हमें बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सुनिश्चित करनी होगी.''
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से, इन चीजों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. यदि हम ये सब नहीं करते हैं, तो हम सफल नहीं हो सकते.''
VIDEO: वडक्कन के बीजेपी में शामिल होने पर राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
(इनपुट भाषा से...)
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