पीएम मोदी ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को लेकर कही ऐसी बात, सीएम कमलनाथ ने दुरुस्त की जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का नाता मध्य प्रदेश के होशंगाबाद से जोड़ दिया तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे खारिज करते हुए कहा-सोचा, आपकी जानकारी दुरुस्त कर दूं.

पीएम मोदी ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को लेकर कही ऐसी बात, सीएम कमलनाथ ने दुरुस्त की जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो.

खास बातें

  • पीएम मोदी ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को लेकर किया गलत दावा
  • उन्हें बताया मध्य प्रदेश की धरती का रहने वाला
  • मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दी सही जानकारी
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को होशंगाबाद के इटारसी में जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस और कथित तौर पर सांप्रदायिकता के आरोपों से घिरे जाकिर नाईक पर हमला करते हुए देश विरोधियों के खिलाफ अभियान को जारी रखने की बात कहते हुए कहा था, "इसी धरती की संतान राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त ने कहा था, 'नर हो न निराश करो मन को, कुछ काम करो कुछ काम करो.' यह देश काम से नाम की तरफ बढ़ने वालों की कद्र करता है, जो मेहनत करता है उसकी कद्र करता है। यही हमारी संस्कृति है, यही हमारे संस्कार हैं." इस पर सीएम कमलनाथ ने उन्हें ट्वीट कर कहा है कि आपको जानकारी दुरुस्त करने की जरूरत है.कमलनाथ ने प्रधानमंत्री को बताया कि राष्ट्रकवि का नहीं, बल्कि माखन लाल चतुर्वेदी का होशंगाबाद से नाता रहा है. माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म होशंगाबाद में हुआ, जबकि राष्ट्रकवि का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी के चिरगांव में हुआ था.

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प्रधानमंत्री के इस बयान और जानकारी पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर सवाल उठाए और उनकी जानकारी को दुरुस्त किया. इस ट्वीट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लिखा है, "आपने होशंगाबाद के इटारसी में अपनी सभा में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जिक्र करते हुए उन्हें होशंगाबाद का बता दिया. जबकि उनका जन्म तीन अगस्त 1886 को उत्तर प्रदेश के चिरगांव में हुआ था, होशंगाबाद के तो पंडित माखन लाल चतुर्वेदी थे. सोचा आपकी जानकारी दुरुस्त कर दूं."माखन लाल चतुर्वेदी का होशंगाबाद के बावई में चार अप्रैल 1889 को जन्म हुआ था. उनके नाम पर राजधानी में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय है. चतुर्वेदी को देश स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और 'कर्मवीर' अखबार के संपादक के तौर पर पहचानता है. चतुर्वेदी के जन्म दिन पर बीते माह बावई में विश्वविद्यालय ने बड़ा कार्यक्रम किया था. चतुर्वेदी की कर्मभूमि खंडवा रही है. 

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प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मैथिली शरण गुप्त को होशंगाबाद का बताए जाने पर जाने माने कवि राजेश जोशी ने कहा, "जब किसी को साहित्य और कला की जानकारी नहीं है तो उसे उस विषय पर बोलना ही नहीं चाहिए, राजनेता हैं तो सिर्फ राजनीति की बात करनी चाहिए. कम से कम गलत तो नहीं बोलना चाहिए. मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, उनका भाषण पीएमओ से तैयार होता होगा, ऐसी गलतियां कैसे हो जाती है, समझ से परे है." 

होशंगाबाद के बावई गांव तो बापू महात्मा गांधी भी गए थे. अपनी इस यात्रा पर महात्मा गांधी ने लिखा, "मैं बावई जैसे छोटे स्थान पर इसलिए जा रहा हूं, क्योंकि वह माखन लाल जी का जन्म स्थान है. जिस भूमि ने माखन लाल जी को जन्म दिया है, उसी भूमि को मैं सम्मान देना चाहता हूं."कहा जाता है कि मैथिली शरण गुप्त और हरिवंश राय बच्चन की काफी नजदीकियां रही हैं. यही कारण है कि अमिताभ बच्चन के नामकरण में गुप्त ने परामर्श दिया था. हरिवंश राय बच्चन अपने बेटे का नाम इंकलाब रखना चाहते थे, मगर गुप्त ने अमिताभ नाम रखने का सुझाव दिया था. 

होशंगाबाद के बावई में जन्मे माखन लाल चतुर्वेदी को लेकर पूर्व में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव गांधी ने एक बार माखन लाल कहकर संबोधित किया तो सियासत में हंगामा मच गया था. तब तमाम लोगों ने कहा था, देश के प्रधानमंत्री को ही एक सेनानी का पूरा नाम नहीं पता. अब वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा होशंगाबाद को राष्ट्रकवि की जन्मस्थली बताए जाने पर सियासी पारा चढ़ रहा है.होशंगाबाद और राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की जन्मस्थली उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के चिरगांव कस्बे के बीच दूरी 400 किलोमीटर से ज्यादा की है. दोनों समकालीन रहे हैं. चतुवेर्दी का जन्म 1889 को तो गुप्त का जन्म 1886 में हुआ था. वहीं एक अन्य मशहूर कवि भवानी प्रसाद मिश्र का नाता जरूर होशंगाबाद के बावई से रहा है. 

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