
पिछले लोकसभा चुनावों और मौजूदा लोकसभा चुनावों के दौरान देश के मतदाताओं के मूड की तुलना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दावा किया कि इस बार सत्तारूढ़ राजग गठबंधन के समर्थन में लहर है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 का चुनाव एंटी इन्कम्बेन्सी (सत्ताविरोधी लहर) का था, जबकि 2019 का मौजूदा चुनाव प्रो-इन्कम्बेन्सी (सत्तासमर्थक लहर) का है. वर्ष 2014 के चुनाव में भ्रष्टाचार, वंशवाद और नीतिगत लकवे के खिलाफ जनता का आक्रोश चरम पर था, जबकि 2019 के चुनाव में जनता का विश्वास चरम पर है.
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पीएम मोदी ने कहा, "2014 के चुनाव में देश ने मेरे और मेरे काम के बारे में बस सुना था. 2019 के इस चुनाव में देश मेरे काम को जानने लगा है. लिहाजा इस बार भारतीय जनता पार्टी नहीं, बल्कि खुद भारतीय जनता चुनाव लड़ रही है. प्रधानमंत्री ने कहा, "मेरी निष्ठा, नीयत और नीति का आकलन कम-ज्यादा हो सकता है. लेकिन मेरे इरादों में कोई भी खोट नहीं निकाल सकता. पीएम मोदी ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर आक्रमण करते हुए कहा, "हमने अक्सर देश में सत्तारूढ़ दल को हटाने के लिये जनता को खड़े होते देखा है. अक्सर यह भी बोला जाता है कि देश का मतदाता शांत होता है. लेकिन इस बार मतदाता मुखर है और वह कश्मीर से कन्याकुमारी तक (एनडीए) सरकार को दोबारा चुनने के लिए खड़ा हो गया है. इस कारण कई नेताओं की नींद हराम हो गयी है और उन्होंने बयानबाजी के मामले में अपना संतुलन खो दिया है.
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वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के विवादास्पद बयान "हुआ तो हुआ" को लेकर कांग्रेस पर हमले जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कथन कांग्रेस का अहंकार दिखाता है. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नजरिये पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, "वंशवाद की सीढ़ी पर चढ़कर उन्हें (राहुल) पार्टी की कमान तो मिल सकती है, लेकिन दूरदृष्टि नहीं मिल सकती.
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प्रधानमंत्री ने अलवर में दलित महिला से सामूहिक बलात्कार पर कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस मामले को दबाने की कोशिश की. मोदी ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह इस घटना को लेकर इतनी ही चिंतित हैं तो उनकी पार्टी को राजस्थान की कांग्रेस नीत सरकार से समर्थन वापस ले लेना चाहिये. (इनपुट भाषा से)
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