पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव (West Bengal Election Result 2019) में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का साल 2014 जैसा प्रदर्शन नहीं रहा. तृणमूल कांग्रेस (TMC) को इस बार 42 सीटों में से 22 सीटें ही मिलीं, जबकि साल 2014 में ममता बनर्जी की पार्टी को 34 सीटें मिली थीं. पश्चिम बंगाल में बीजेपी को इस बार ऐतिहासिक सफलता मिली और उसने 18 सीटों पर कब्जा जमाया. बीजेपी के लिए यह सफलता इसलिए भी खास रही, क्योंकि साल 2014 में उसे महज 2 सीटें ही मिली थीं. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने अब लोकसभा चुनावों में राज्य में बीजेपी के चौंकाने वाले प्रदर्शन के बाद शनिवार को अपने आवास पर पार्टी नेताओं की आपात बैठक बुलाई है. यह बैठक दोपहर 3.30 बजे शुरू होगी.
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने चुनाव के नतीजों पर ज्यादा कुछ तो नहीं बोलास लेकिन एक ट्वीट किया था जो चर्चा में रहा था. उन्होंने लिखा था: "विजेताओं को बधाई. सभी हारने वाले हारे नहीं हैं." बताया जा रहा है कि शनिवार को टीएमसी (TMC) की बैठक में लोकसभा चुनाव के नतीजों और 2021 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावी की रणनीति पर चर्चा होगी. पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि विधानसभा चुनावों में लोग फिर से टीएमसी (TMC) का साथ देंगे.
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बंकुरा लोकसभा सीट से हारने वाले तृणमूल कांग्रेस नेता सुब्रत मुखर्जी ने वामपंथियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी को पैसे के बदले में वोट देने का आरोप लगाया. सुब्रत मुखर्जी ने यह भी कहा, "इस निम्न स्तर की राजनीति को उजागर करना होगा." बंकुरा सीट से इस बार बीजेपी के प्रत्याशी सुभाष सरकार ने जीत दर्ज की है. वहीं, सुब्रत मुखर्जी के आरोपों को वामपंथी पार्टियों ने नकार दिया है. सपीआई एम (CPI M) की कैंडिडेट अमिया पात्रा ने कहा, "किसी ने भी किसी को वोट देने के लिए कोई पैसा नहीं लिया है. लेकिन हमें तृणमूल कांग्रेस ने प्रताड़ित किया. हमारे लोगों ने वोट के जरिए तृणमूल कांग्रेस की प्रताड़ना का जवाब दिया है."
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बताया जा रहा है कि बैठक में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की इस बैठक में जिलाध्यक्ष और दूसरे वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे. देश भर में अपने शानदार प्रदर्शन की तरह पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन कर 42 संसदीय सीटों में से 18 जीत कर प्रदेश में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की बेचैनी बढ़ा दी है. टीएमसी को 22 सीटों पर जीत हासिल हुईं. जबकि कांग्रेस के खाते में दो सीटें गईं लेकिन तीन दशक से ज्यादा समय तक राज्य की सत्ता पर काबिज रहे वाम दल राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल पाए.
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