लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार ' प्रचंड मोदी लहर' पर सवार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) रिकॉर्ड सीटों के साथ फिर से केंद्र की सत्ता पर काबिज होने जा रही है. जिस तरह से बीजेपी जीती है उससे साफ है कि इस बार पीएम मोदी ने जातिगत समीकरणों को तोड़ दिया है. निर्वाचन आयोग की ओर से बृहस्पतिवार को जारी मतगणना की ताजा जानकारी के अनुसार भाजपा ने जहां एक सीट अपनी झोली में डाल ली है, वहीं 299 सीटों पर आगे चल रही है. उधर, कांग्रेस 50 सीटों पर आगे है। आयोग ने 542 सीटों के रुझान/परिणाम जारी किये हैं. कर्नाटक की हावेरी सीट पर भाजपा के उदासी एस सी ने एक लाख 40 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की है. ये चुनाव 68 वर्षीय मोदी को दशक के सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर स्थापित कर रहे हैं, निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मतगणना के आंकड़े दिखाते हैं कि भाजपा अपने 2014 के प्रदर्शन से भी बेहतर करने जा रही है. वाराणसी से चुनाव लड़ रहे मोदी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से करीब डेढ़ लाख वोटों से आगे चल रहे थे जबकि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह गांधीनगर में अपने करीबी उम्मीदवार से चार लाख से ज्यादा मतों से आगे चल रहे थे. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, '' आम चुनावों में यह ऐतिहासिक जीत मोदीजी के दूरदर्शी नेतृत्व, अमित शाहजी के जोश और जमीनी स्तर पर लाखों भाजपा कार्यकर्ताओं के कठिन परिश्रम का नतीजा है.'
राष्ट्रवाद का मुद्दा
ऑपरेशन बालाकोट के बाद से पूरा चुनाव मुद्दों के बजाए राष्ट्रवाद के आसपास सिमटता नजर आया है. पीएम मोदी ने भी एक रैली में पुलवामा में हुए शहीदों के नाम पर वोट डालने की अपील की थी. हालांकि बाद में उन्होंने अपने शब्दों को बदल दिया और चुनावी रैलियों में एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए मतदाताओं को 'राष्ट्रवाद' से प्रभावित करने की कोशिश की.
'TINA'फैक्टर काम कर गया
बीजेपी ने इस चुनाव में विपक्ष में पीएम मोदी की तुलना में किसी और विकल्प का मुद्दा भी जमकर उठाया. वहीं कांग्रेस की ओर से पीएम पद के उम्मीदवार राहुल गांधी विपक्ष के साथ आम सहमति बनाने में नाकामयाब रहे और पूरे चुनाव में पीएम मोदी के मुकाबले एक सर्वमान्य नेता कोई नहीं बन पाया. यानी पीएम मोदी के आगे There is No Alternative (TINA) फैक्टर ने विपक्ष को नुकसान पहुंचा दिया.
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राफेल के मुद्दे पर आक्रामक रणनीति
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो सालों से राफेल को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की. राहुल गांधी की ओर से 'चौकीदार चोर है' जैसे भी नारे लगाए गए. लेकिन पीएम मोदी ने भी उसी अंदाज में 'मैं हूं चौकीदार' का नारा लगाया. इस मुद्दे पर बीजेपी एक बार भी बैकफुट पर जाने के लिए तैयार नहीं हुई. इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इसी जुड़े एक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में माफी भी मांगनी पड़ गई.
इस बार महंगाई नहीं बन पाया मुद्दा
इस चुनाव की खास बात यह रही कि मोदी सरकार को महंगाई जैसे मुद्दों का सामना नहीं करना पड़ा. साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार के सामने महंगाई के एक बड़ा मुद्दा बन गई थी. इसकी बड़ी वजह यह रही है कि मोदी सरकार ने पूरे 5 साल तक पूरी तरह से नियंत्रण में रखा. सरकार में आते ही पीएम मोदी ने कालाबाजारियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया था. जिसका असर साफ दिखाई दिया.
उज्जवला, किसान निधि और घर-शौचालय
बीजेपी सरकार की जीत में इन योजनाओं का भी बड़ा असर हुआ है. चुनाव से पहले ही 2-2 हजार रुपये की दो किश्त किसानों के खाते में जा चुकी थी औ पूरे पांच साल मोदी सरकार ने जो स्वच्छता अभियान शुरू किए उसी के तहत मिलने वाले शौचालयों को चर्चा गांव-गांव हो रही है. दूसरी ओर उज्जवला योजना की तरह कई लाख घरों में सिलेंडर भी पहुंचाए गए. माना जा रहा है कि इन योजनाओं का असर भी वोटरों पर पड़ा.
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