लोकसभा चुनाव (General Election 2019) की सरगर्मियां बढ़ गई हैं. इस बार भी सबकी निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के गृह राज्य गुजरात (Gujarat) पर टिकी हैं. पिछली बार बीजेपी ने राज्य की सभी 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी और पार्टी को 60 फीसद वोट मिले थे, लेकिन इस बार स्थिति बदली नजर आ रही है. मोदी सरकार भले ही तमाम दावे करे, लेकिन खुद पीएम के गृहराज्य के वोटर ही उनके कामकाज से नाख़ुश हैं. जिसका ख़ामियाजा पार्टी को चुनावों में उठाना पड़ सकता है. राजनीतिक सुधारों पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के एक सर्वे में गुजरात के मतदाताओं ने आम जन से जुड़े मुद्दों पर मोदी सरकार के कामकाज को औसत से भी कम रेटिंग दी है. जो साफ-साफ बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है.
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रोजगार के मोर्चे पर सरकार के कामकाज से नाखुश हैं मतदाता
एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के सर्वे के अनुसार गुजरात के 42.68 फीसद मतदाताओं की पहली प्राथमिकता रोजगार है, लेकिन इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदम को उन्होंने औसत से भी कम माना है. 5 में से सिर्फ 2.33 रेटिंग दी है. इसी तरह 37.12 फीसद मतदाताओं की प्राथमिकता पीने का पानी है और इस मुद्दे पर सरकार को 2.60 रेटिंग दी है. इसी तरह, 30.23 प्रतिशत मतदाताओं ने अच्छे अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को अपनी प्राथमिकता बताया है. इस मोर्च पर भी सरकार की पहल से नाखुशी जाहिर की है और 2.62 रेटिंग ही दी है.
शहरी मतदाताओं के लिए ट्रैफिक जाम, तो ग्रामीण मतदाताओं के लिए पानी बड़ा मुद्दा
अगर गुजरात के शहरी और ग्रामीण मतदाताओं की अलग-अलग बात करें तो शहरी मतदाताओं के लिए ट्रैफिक जाम सबसे बड़ा मुद्दा है. जबकि ग्रामीण मतदाताओं के लिए सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था पहली प्राथमिकता है. हालांकि न तो शहरी और न ही ग्रामीण मतदाता. इन फ्रंट पर सरकार के कामकाज से खुश हैं. यहां भी सरकार को औसत से कम रेटिंग ही मिली है.
2014 के बाद कांग्रेस भी हुई है मजबूत
2014 के लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस गुजरात में मजबूत हुई है. खासकर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की स्थिति बदली नजर आ रही है. आपको बता दें कि 182 सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी को 99 सीटें मिली थीं. तो वहीं कांग्रेस के खाते में 77 सीटें गई थीं. इसके अलावा राज्यसभा के चुनाव में भी बीजेपी को अहमद पटेल से मुंह की खानी पड़ी थी. इससे साफ है कि इस बार गुजरात (Gujarat) में लोकसभा चुनाव की जंग एकतरफा नहीं होगी.
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