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This Article is From May 23, 2019

Election Results 2019: मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में UPA का सूपड़ा साफ, ये रहे हार के 5 मुख्य कारण

Lok Sabha Election Results 2019: लोकसभा चुनाव (Election Result 2019) परिणामों के रुझान आते ही एनडीए और भाजपा के खेमे में खुशी की लहर है और पीएम मोदी (PM Narendra Modi) को देश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ विजय बनाने का फैसला कर लिया है.

Election Results 2019: मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में UPA का सूपड़ा साफ, ये रहे हार के 5 मुख्य कारण
मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में UPA का सूपड़ा साफ, ये रहे हार के 5 मुख्य कारण

Lok Sabha Election Results 2019: लोकसभा चुनाव (Election Result 2019) परिणामों के रुझान आते ही एनडीए और भाजपा के खेमे में खुशी की लहर है और पीएम मोदी (PM Narendra Modi) को देश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ विजय बनाने का फैसला कर लिया है. जहां अलग-अलग राज्यों में पार्टी की जीत के मायने हैं, वहीं कांग्रेस और यूपीए की हार के भी कुछ मुख्य कारण हैं. बात करें मध्यप्रदेश की तो कुछ समय पहले ही राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर के बाद कांग्रेस ने भाजपा को शिकस्त दी, अब 2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए ने यूपीए का सूपड़ा साफ कर दिया है और राज्य की कुल 29 सीटों में से 28 पर बढ़त बना ली है. मध्यप्रदेश में यूपीए के क्लीन स्वीप की वजह क्या है इसे हम अपको 5 कारणों के रूप में बता रहे हैं.

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1 - कर्ज माफी : किसान आंदोलन की वजह से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुत फायदा हुआ था और यह भी एक बड़ा कारण था जिससे राज्य में कांग्रेस की सरकार आई. सरकार बनाने के पहले मध्यप्रदेश में कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के दावेदार कमलनाथ ने किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था, जिससे पार्टी को बहुत फायदा हुआ और राज्य सरकार बनाने में कांग्रेस को सफलता मिली. लेकिन बाद में किसानों की कर्जमाफी डिफॉल्टर्स तक की सीमित रह गई जिससे लोकसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान हुआ.

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2 - 3000 करोड़ रुपए का ट्रेडिंग घोटाला : मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही एक बहुत बड़ा घोटाला सामने आया जो लगभग 3,000 करोड़ रुपए का था, इस ट्रेडिंग घोटाले में आयकर विभाग ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के रिश्तेदारों के घर पर छापा मारा था. यह भी बहुत बड़ी वजह रही कि प्रदेश की जनता ने 2019 लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से एनडीए के उम्मीदवारों को वोट दिया.

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3 - कांग्रेस में आपसी कलह : कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में कमलनाथ और ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने जमकर मेहनत की थी ज्‍योतिरादित्‍य को सीएम पद का दावेदार भी माना जा रहा था लेकिन आखिर में फैसला कमलनाथ के पक्ष में हुआ. लोकसभा चुनाव के दौरान सिंधिया को पश्चिमी यूपी का प्रभार दे दिया गया, इस कारण वे मध्‍यप्रदेश के चुनावों में ज्‍यादा वक्‍त नहीं दे पाए. एक और दिग्‍गज नेता दिग्विजय सिंह को भोपाल से उम्‍मीदवार बनाकर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला था. अंदरखाने इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव एकजुट होकर नहीं लड़ा. दिग्विजय को भोपाल सीट पर अकेला ही छोड़ दिया गया.

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4 - थोक में तबादले और बिजली की लचर व्यवस्था : बिजली के मामले में बीजेपी सरकार के समय में अच्‍छी स्थिति रही. गांवों और तहसील क्षेत्रों में भी पावरकट नहीं के बराबर था लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही पावर कट का दौर शुरू हो गया. बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सभाओं में कहा, लालटेन का फिर से इंतजाम कर लीजिए. राज्‍य में सत्‍ता संभालते ही कांग्रेस के राज में थोक में तबादले शुरू हो गई. इसे लेकर कर्मचारी वर्ग में खासी नाराजगी रही. हालत यह रही कि कुछ कर्मचारियों के तो दो-तीन माह के अंतरात में दो या तीन बार तबादले हुए.

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5 - बंद की छात्रों की स्कॉलरशिप : किसान का कर्ज माफ करने के ऐबज में कमलनाथ ने छात्रों की स्कॉलरशिप बंद कर दी जिससे युवा मतदाताओं में भारी निराशा देखी गई. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार में इन छात्रों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही थीं और कांग्रसे सरकार ने सत्ता में आते ही कुछ कठोर निर्णय लिए थे.

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