आयकर छापेमारी पर राजस्व विभाग के जवाब से नाराज हुआ चुनाव आयोग, कहा-यह शिष्टाचार के खिलाफ

चुनाव आयोग ने राजस्व विभाग की ओर से दिए गए उस जवाब को अशिष्टता माना है, जिसमें  आयोग ने विभाग को सलाह दी थी कि चुनाव के दौरान उसकी इनकम टैक्स और ईडी जैसी प्रवर्तन एजेंसियों की कोई भी कार्रवाई निष्पक्ष एवं भेदभाव रहित होनी चाहिए.

आयकर छापेमारी पर राजस्व विभाग के जवाब से नाराज हुआ चुनाव आयोग, कहा-यह शिष्टाचार के खिलाफ

भारत निर्वाचन आयोग.

नई दिल्ली:

चुनाव आयोग ने राजस्व विभाग की ओर से दिए गए उस जवाब को अशिष्टता माना है, जिसमें  आयोग ने विभाग को सलाह दी थी कि चुनाव के दौरान उसकी इनकम टैक्स और ईडी जैसी प्रवर्तन एजेंसियों की कोई भी कार्रवाई निष्पक्ष एवं भेदभाव रहित होनी चाहिए. राजस्व विभाग ने जो और जिस अंदाज में जवाब दिया, उसकी चुनाव आयोग को अपेक्षा नहीं थी. राजस्व विभाग ने नसीहत देने के अंदाज में आयोग से कह दिया कि चुनाव में कालाधन रोकने की जिम्मेदारी आयोग के साथ-साथ प्रवर्तन एजेंसियों की भी है. इस नाते अपने चुनाव में लगे अधिकारियों को कालाधन इस्तेमाल होने की सूचना पर कार्रवाई करने के लिए कहें. यह बात आयोग को नागवार गुजरी है. आयोग ने कहा, “चुनाव आयोग उसकी ओर से दी गई पूर्ण निष्पक्ष एवं भेदभाव रहित रहने वाली सलाह पर राजस्व विभाग की तरफ से अनौपचारिक एवं हल्के ढंग से दी गई प्रतिक्रिया पर अत्यंत आक्रोश प्रकट करता है. सलाह को लागू करने के तरीकों का ब्योरा देने की बजाए विभाग ने उल्टे सलाह दे डाली.” जिस पर चुनाव आयोग ने कहा“स्थापित शिष्टाचार के उल्लंघन और एक संवैधानिक प्राधिकरण को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल किए गए लहजे एवं तरीके पर अत्यंत निराशा” व्यक्त करता है.

आयोग ने कहा, “इसलिए आयोग राजस्व विभाग को अनुचित टिप्पणी करने के लिए फटकार लगाता है और उम्मीद करता है कि आयोग की तरफ से उक्त परामर्श में जारी किए गए निर्देशों का अक्षरश: पालन होगा. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों के ठिकानों पर हुई छापेमारी पर विपक्ष ने यह कहकर सवाल उठाए थे कि चुनाव के वक्त ऐसा कर विपक्ष को परेशान किया जा रहा. जिसके बाद आयोग ने प्रवर्तन एजेंसियों का नियंत्रण करने वाले राजस्व विभाग से कहा था कि कोई भी कार्रवाई भेदभाव रहित होनी चाहिए.

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दरअसल, चुनाव आयोग ने राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे को सात अप्रैल को लिखे पत्र में  सुझाव दिया था कि उसकी प्रवर्तन एजेंसियों की चुनाव के दौरान कोई भी कार्रवाई निष्पक्ष और गैर - भेदभावपूर्ण होनी चाहिए. साथ ही ऐसी किसी भी कार्रवाई के बारे में चुनाव आयोग के अधिकारियों को सूचित करने को कहा. चुनाव आयोग का यह सुझाव आयकर विभाग के मध्य प्रदेश में रविवार को तथा पिछले कुछ दिनों में कर्नाटक , तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में विपक्षी राजनेताओं तथा उनसे जुड़े लोगों के यहां छापे मारने के बाद आया है. आम चुनावों के कारण 10 मार्च से आचार संहिता लागू होने के बाद आयकर विभाग ने राजनेताओं तथा उनसे जुड़े लोगों पर कई छापे मारे हैं. विपक्षी दलों ने इसे चुनाव के दौरान केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग करार दिया है. सूत्रों के अनुसार अपने जवाब में पांडे ने लिखा है , ‘‘ हम ‘ तटस्थ , पक्षपातहीन और गैर - भेदभावपूर्ण ' शब्दों का अर्थ समझते हैं. इसका मतलब है कि हमें जब कभी किसी के खिलाफ सूचना मिले , हम उसके खिलाफ कार्रवाई करे , चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल से क्यों न संबंधित हो. विभाग इसी विचार पर काम करता रहा है और आगे भी करता रहेगा. ''  

विभाग ने चुनाव आयोग को ही दे दिया निर्देश
 विभाग ने पत्र में चुनाव आयोग को एक प्रकार से यह निर्देश दे डाला कि वह अपने क्षेत्रीय अधिकारियों से कहे कि जब भी उन्हें चुनावी प्रक्रिया में अवैध धन के उपयोग के बारे में सूचना मिले , वे तत्काल कार्रवाई करे. पांडे ने पत्र में कहा है , ‘‘ चुनाव आयोग के साथ राजस्व एजेंसियों की काला धन के चुनाव में उपयोग को रोकने की जवाबदेही है. ऐसे में हम चुनाव आयोग से यह आग्रह करेंगे कि वह आचार संहिता लागू करने में लगे अपने क्षेत्र में कार्यरत अधिकारियों को यह सलाह दे कि जब भी उन्हें चुनावी प्रक्रिया में अवैध धन के उपयोग के बारे में कोई सूचना मिले , वे चुनाव और उपयुक्त कानून के तहत अपने स्तर से तत्काल कार्रवाई करें. ''    उन्होंने लिखा है , ‘‘ अगर जरूरी लगे तो वे इसकी सूचना गोपनीय रूप से आयकर विभाग को आगे की कार्रवाई के लिये दे सकते हैं. ''आयकर विभाग , प्रवर्तन निदेशालय और राजस्व खुफिया निदेशालय वित्तीय अपराधों से निपटने को लेकर राजस्व विभाग की कार्यकारी इकाइयां हैं. वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाली एजेंसियों ने हाल के दिनों में 55 छापे मारे हैं.सूत्र बताते हैं कि यही बात आयोग को नागवार गुजर गई. (इनपुट-भाषा)

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